अब आंदोलन ही एक मात्र विकल्प ..

पर्यवेक्षक संघ की प्रदेश अध्यक्ष अंजू कोर्पे ने बताया कि अब हमारे लिए आंदोलन ही एकमात्र विकल्प बचा हुआ है। उन्होंने बताया कि 14 मार्च को सभी जिलों में संघ की बैठक होगी एवं 15 मार्च से सभी अनिश्चिकालीन सामूहिक अवकाश पर जाएंगे। अंजू कहती हैं कि महिला बाल विकास विभाग मुख्यमंत्री के पास हैं। सीएम हर वर्ग का न्याय करते है, लेकिन अधिकारी उनकी पीड़ा मुखिया तक पहुंचाने की बजाय दूर भाग रहे हैं….

भोपाल // महिला बाल विकास विभाग में मैदानी अधिकारियों को अन्य राज्यों की तरह वेतनमान दिलाने के लिए तैयार हुआ प्रस्ताव वित्त विभाग में धूल खा रहा है। इसमें परियोजना अधिकारियों और पर्यवेक्षकों के ग्रेड-पे बढ़ाये जाने थे। आरोप है कि मौजूदा समय में मुख्यमंत्री के पास विभाग है, लेकिन सक्षम अधिकारी उनके संज्ञान में यह बात लाने की बजाय दूर भाग रहे हैं।

परियोजना अधिकारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष इंद्रभूषण तिवारी का कहना है कि वेतन विसंगति की मांग 30 साल से लंबित है। इसके साथ ही अधिकारियों को पदनाम सहित टाइम पे स्केल की सौगात नहीं मिल पाई है। पर्यवेक्षकों को 14 प्रोन्नति दिए जाने दिए जाने का प्रस्ताव तैयार है। संविदा

मैदानी अफसर बोले मुख्यमंत्री के पास है विभाग फिर भी अफसर नहीं दे रहे ध्यान ;- पर्यवेक्षको को नियमित करने, विकास खंड महिला अधिकारियों को परियोजना अधिकारियों के पद पर मर्ज करने एवम वापस लिए गए आहरण संवितरण अधिकार पुनः दिये जाने जैसी प्रस्तावित फाइल अफसर लंबे समय से दबाकर बैठे हैं। तिवारी द्वारा बताया गया कि अगस्त 2018 से ग्रेड पे बढ़ाने की फाइल शासन के समक्ष लंबित है। वर्तमान में प्रदेश के परियोजना अधिकारियों एवं पर्यवेक्षको को देश में सबसे कम वेतन दिया जा रहा है। जबकि सबसे अधिक काम विभाग के अधिकारियों द्वारा किया जाता है।

श्री तिवारी द्वारा बताया गया कि महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और झारखंड में 5400 ग्रेड पे हैं। विभाजित छत्तीसगढ़ में भी 4300 ग्रेड पे है। आरोप है कि 3600 रुपये अपमानजनक ग्रेड पे दी जा रही है। जिस पर शासन द्वारा कोई ध्यान नहीं है।