कीटनाशक ,जैविक उत्पाद, खाद्य खरीदी में हो रहा है भारी भ्रष्टाचार ..

नेफेड के माध्यम की जा रही कीटनाशक जैविक उत्पाद, खाद्य खरीदी में हो रहा है भारी भ्रष्टाचार: विजयराघवेन्द्र सिंह
मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, नेफेड से खरीदी पर तुरंत रोक लगाई जाए ….कृषक हितेषी योजनाओं में नेफेड के माध्यम से कीटनाशक जैविक उत्पाद और खाद्य साम्रगी में भ्रष्टाचार एवं अनियमताओं की शिकायतें किसानों एवं समाचार पत्रों द्वारा लगातार प्राप्त हो रही हैं। आदिवासी योजनाओं तथा परंपरागत खेती योजना में नेफेड के माध्यम से कृषक आदान सामग्री खरीदी जा रही है, जबकि मप्र शासन की नोडल एजेंसी मार्कफेड एवं एमपी एग्रो लगभग 20 वर्षों से दोनों एजेंसियां विधिवत निर्धारित दर कृषक हितैषी योजनाओं में नियमानुसार कृषक आदान सामग्री बाजार मूल्य से कम में विभिन्न विभागों में सप्लाई करती आई है, किंतु विगत कुछ वर्षों से केवल नेफेड से ही खरीदी क्यों हो रही है? यह बड़े भ्रष्टाचार की ओर इंगित करता है। उक्त संबंध में कटनी जिले के बड़वास विधायक विजयराघवेन्द्र सिंह ने भ्रष्टाचार एवं अनियमिताओं की जांच किये जाने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।

श्री विजयराघवेन्द्र सिंह ने कहा कि नेफेड अभिव्यक्ति की अभिरूचि पर मात्र तीन कंपनियों का चयन किया गया बिना विधिवत निविदा तथा दर निर्धारण कर नेफेड बाजार मूल्य से अधिक दर पर कृषि विभाग में सप्लाई कर रहा है। यह घोटाला मात्र तीन कंपनियों को फायदा पहुंचाने तथा किसानों को लूटने का है। आदिवासी जैविक खेती योजना में कीटनाशक जैविक उत्पाद आदि की खरीदी में घोटाला प्रकाश में आया है,

कलेक्टर मंडला ने इस संबंध में राष्ट्रीय आदिवासी आयोग को भी पत्र लिखा जानना चाहा है कि जब कृषक हितैषी समस्त योजनाओं में डीबीटी लागू है तो फिर आदान साम्रगी खरीदी में घोटाला क्यों और कैसे हो रहे हैं? जांच करायी जाये कि क्या किसानों के बैंक खाते में पैसा नहीं भेजकर अधिकारियों द्वारा बंदरबांट तो नहीं की जा रही है?

 

श्री सिंह ने कहा कि मार्कफेड संस्था द्वारा कृषि उत्पादन आयुक्त के निर्देश पर कीटनाशक, जैविक उत्पाद, खाद्य आदि की दर निर्धारण निविदा आमंत्रित करने हेतु अनुमति नियम शर्ते तय करने हेतु प्रकरण कृषि विभाग में लगभग 6 माह से लंबित हैं, कितु भ्रष्ट कृषि अधिकारियों की नेफेड में पंजीकृत मात्र तीन कंपनियांे से ही सांठगांठ है, जांच होना चाहिए कि किन परिस्थितियों में कृषि उत्पादन आयुक्त के निर्देशों की कृषि विभाग ने अवहेलना की? क्या मार्कफेड को करोड़ों रूपयों की हानि पहुंचाई गई, किसानों के हितों के साथ कुठाराघात किया गया, इस सब में मिलभगत से भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए और नेफेड से खरीदी पर तुरंत रोक लगायी जाना चाहिए।