आदिवासियों के बिना भारत की आत्मा अधूरी है ..

महामहिम उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ आज मध्य प्रदेश के जबलपुर में पहुंचे। वे अमर शहीद राजा शंकर शाह-कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने आए हैं। उन्हें डुमना एयरपोर्ट पर ही गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जबलपुर के आज मानस भवन में आयोजित जस्टिस वर्मा स्मृति व्याख्यान माला में हिस्सा लिया। धनखड़ ने न्यायाधीश जेएस वर्मा की न्यायिक प्रज्ञा, ज्ञान और संवैधानिक मर्यादा को स्मरण किया। उन्होंने कहा कि मेरी कई यादें जस्टिस वर्मा से जुड़ी हैं। 1986 से 89 के बीच जब वे राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे, तब मैं बार कौंसिल से जुड़ा था। उस समय राजस्थान हाई कोर्ट का अत्यंत कठिन दौर था, फिर भी जस्टिस वर्मा की न्यायिक सोच-समझ व पारदर्शी प्रक्रिया से समस्या हल हो गई। कामकाजी महिलाओं के उनके कार्यक्षेत्र में शोषण की समस्या को गम्भीरता से लेकर उन्होंने विशाखा गाइडलाइन की अभूतपूर्व सौगात दी….

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ वेटरनरी कॉलेज में आयोजित राजा शंकर शाह-कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस के कार्यक्रम में पहुंचे। इस मौके पर बड़ी संख्या में आदिवासी भी शामिल हुए।

धनखड़ ने कहा कि मध्यप्रदेश की पावन धरा पर जन्मे वीर शिरोमणि राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर उन महानायकों को नमन करता हूं। ये उन जैसे बलिदानियों का ही प्रताप है कि आज हम एक स्वतंत्र भारत में सांस ले पा रहे हैं और अपनी नियती खुद तय कर पा रहे हैं। मध्य प्रदेश देश का हृदय स्थल होने है। यह जनजातीय बाहुल्य प्रदेश है। यहां की जनजातियों की बहुत समृद्ध विरासत रही है। गोंडवाना की रानी दुर्गावती के शौर्य और बलिदान को सारी दुनिया जानती है। 1857 की क्रांति में उन्हीं के वंशज रहे राजा शंकर शाह एवं कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान को देश कभी नहीं भूलेगा।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि 75 सालों में पहली बार एक आदिवासी, माननीय द्रौपदी मुर्मु जी भारत के सर्वोच्च पद को सुशोभित कर रही हैं। पिछले ही वर्ष सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा की जन्म जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की है ताकि देश की युवा पीढ़ी राष्ट्र निर्माण में जनजातियों के योगदान को समझ सके, उनसे प्रेरणा ले सके। भारत की बहुरंगी संस्कृति में हमारे आदिवासी समुदायों का विशिष्ट स्थान है। सादगी भरा जीवन, प्रकृति से प्रेम और लोक संगीत की मधुर गूंज उन्हें सबसे अलग बनाती है। आदिवासियों के बिना भारत की आत्मा अधूरी है।

हमारा विकास का मॉडल ऐसा होना चाहिए कि आदिवासी क्षेत्रों के चहुमुंखी विकास के साथ साथ उनकी प्राचीन संस्कृति भी सुरक्षित रहे। मध्य प्रदेश में देश की सर्वाधिक जनजातीय जनसंख्या निवास करती है। यह हर्ष का विषय है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर आदिवासियों को सक्षम – समर्थ बनाने के लिए गंभीर प्रयास कर रही हैं। मिडिया रिपोर्ट