अंग्रेजी के आगे हिंदी का न चलना सरासर झूठ है : प्रो. सिंह

शासकीय महाविद्यालय चांद में तकनीकी युग में हिंदी की उपादेयता विषय पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता बतौर बोलते हुए प्रेरक वक्ता डॉ. अमर सिंह ने कहा कि हिंदी कर्ज मुक्ति, फर्ज़ सूक्ति व संप्रेषण मर्ज की दवा वाली भाषा है। अंग्रेजी के बढ़ते आतंक से हिंदी की मिसाइल से खत्म किया जा सकता है। गूगल में अनुवाद की सुविधा से हम वैश्विक संवाद का लाभ उठा सकते हैं। अंग्रेजी के आगे हिंदी का न चलना सरासर झूठ है। जब भाल पर हिंदी होगी, तभी तो हमें मालामाल करेगी। गूगली अनुवाद वैश्विक संवाद स्थापित कर सकता है। हिंदी के घटते सांस्कृतिक वैभव को बचाने की चिंताजनक स्थिति को इसके अतिशय व्यावहारिक प्रयोग से संभाला जा सकता है। हम अपने अंग्रेजी पढ़ रहे बच्चो के मुंह में हिंदी की आत्मीयतापूर्ण मिठास अवश्य डालें, वरना ये नौनिहाल अपने ही परिवेश से कटकर न घर के बचेंगे और न घाट के….

प्रो. डी. के. गुप्ता ने कहा माना कि वैश्विक संवाद से जुड़ना वक्त का तकाज़ा है, लेकिन स्थानीय बोलियों के संवाद से यदि हम वंचित हुए तो अपने ही लोगों के बीच अजनबी बनने की कसक हमेशा हमें कचोटती रहेगी। प्रो. रजनी कवरेती ने कहा कि हमें हिंदी की भाषाई अस्मिता को बरकरार रखने के लिए इसकी पर्यावरणीय मिट्टी की सौंध को बचाकर रखना होगा। प्रो. जी.एल.विश्वकर्मा ने कहा कि अंग्रेजी की आंधी में उड़ने को आतुर हिंदी की स्थानीय बोलियों के बचाने के सारे प्रयत्न करने होंगे। प्रो. आर. के. पहाड़े ने कहा कि हमें बुजुर्गों द्वारा सदियों से सहेजी हिंदी की प्राकृतिक विरासत को बच्चों की जुबान पर रखना होगा।

 

प्रो. विनोद कुमार शेंडे ने कहा कि सभी संचार माध्यमों के जरिए हिंदी की स्थानीय बोलियों की संचित भाषाई निधि को नष्ट होने से बचाना होगा और हिंदी को भारत की बोलियों को परस्पर संवाद हेतु पुल का कार्य करना होगा। प्रो.सुरेखा तेलकर ने कहा कि जब हिंदी का अधिकाधिक प्रयोग होगा तो भाल पर गर्व, फर्ज़ निर्वहन का तोष और गाल पर आत्मविश्वास की चमक होगी। प्रो.रक्षा उपश्याम ने कहा कि भाषा-बोली को विकसित करने की हजारों राहें हैं, बशर्ते हम अपनी मातृभाषा हिंदी के प्रति अपने स्तर पर अगाध प्रेम से अभिव्यक्ति से सराबोर रहें। संतोष अमोडिया ने कहा कि आज तेजी से बढ़ते तकनीकी युग में हिंदी से जुड़ने और हिंदी को जोड़े रखने का इससे बेहतर और कोई अवसर हो ही नहीं सकता।