प्रदेश कांग्रेस में कलह ,सबकुछ ठीक नही ..

प्रदेश में जहाँ 2023 और 2024 में होने बाले चुनावों को लेकर राजनैतिक पार्टियाँ अपनी रणनीति तैयार करने में दिन रात काम कर रही है ! प्रदेश में सत्तारुद दल भाजपा इस जुगत में लगी हुई है की प्रदेश में पुनः सत्ता वापसी किसी भी कीमत पर चलेगी ! फिर प्रदेश में कुछ भी क्यों ना करना पड़े ! भाजपा ने बूथ स्तर से काम करना शुरू कर दिया है !  लगातार केन्द्रीय मंत्रियों के साथ-साथ संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी प्रदेश के विभिन्न जिलों का दौरा कर संगठन में कसावट करने का काम देख रहे है ! 

वहीं दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी संगठन में भारी फेरबदल करने के मूड में है ,परन्तु कांग्रेस में अपनी पकड मजबूत करने में सफल नही हो पाए है ! कुकरमुत्तों के तरह प्रदेश के विभिन्न अंचलों ने क्षेत्रीय नेताओं के गुटीय जाल को कमलनाथ अभी भी नही तोड़ पाए है ? इससे उनकी साख भी काफी हद तक चोटिल हो चुकी है !

सूत्रों के मुताबिक़ कांग्रेस में सब कुछ ठीक नही चल रहा है ! विधानसभा चुनावों के ठीक पहले कांग्रेस में जबरदस्त टूट का सामना करना पड़ सकता है ! भाजपा का केन्द्रीय नेत्रत्व इस मामले को देख रहा है ! सूत्र तो यहाँ तक बताते है की कमलनाथ के छिंदवाडा जिले के ही 3 से 4 कांग्रेसी विधायक भाजपा के संपर्क में है ! जो कमलनाथ के पहले उनके चाकरों की चरण वंदना करना खुद की शान के खिलाफ समझते है ! चुनावों के ठीक पहले कांग्रेस की ये टूट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के लिए धातक सिद्ध होगी , कांग्रेस में भगदड़ मचने का फायदा सीधे तौर पर भाजपा को प्रदेश भर में मिलेगा , छिंदवाडा से हुई बगावत का बवंडर पूरे प्रदेश के राजनैतिक माहौल को ढक लेगा !

छिंदवाडा में कमलनाथ कांग्रेस की बगावत याने सीधे कमलनाथ की सत्ता को चुनौती देना होगा ! कमलनाथ के खोखले हो चुके दुर्ग का शोर पूरे प्रदेश में शिव “राज” की नाकामियों को शाख से टूटे हुए पत्ते की मानिंद उड़ा ले जाएगा ! जिसकी बानगी कांग्रेस में प्रदेश के विभिन्न अंचलो से कद्दावर नेताओं की उपेक्षा अभी से दिखाई पड़ने लगी है जो भावी बवंडर के आने का संकेत तो नही ..? राकेश प्रजापति 

प्रदेश में यात्रा के प्रवेश करने से नौ दिन पहले ही कांग्रेस में लड़ाई शुरू हो गई है। राहुल की यात्रा की जिम्मेदारी बुरहानपुर और खंडवा में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव से लेकर निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा को सौंप दी गई है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि यादव का कांग्रेस में दुश्मन कौन है। यादव लगातार कांग्रेस पार्टी में हासिए पर जा रहे है। खंडवा लोकसभा उपचुनाव में टिकट नहीं दिया गया। 2018 के पहले यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया लेकिन उनको कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई। अब उनको यात्रा की जिम्मेदारों से हटा दिया गया है।

मध्यप्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 20 नवंबर को प्रवेश करने वाली है। यात्रा को गैर हिंदी भाषा वाले राज्यों में जबरदस्त समर्थन मिला है। प्रदेश में यात्रा के प्रवेश करने से नौ दिन पहले ही कांग्रेस में लड़ाई शुरू हो गई है। यात्रा की व्यवस्था अब पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव की जगह बुरहानपुर से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा को सौंप दी गई है।

सुरेंद्र सिंह शेरा बुराहनपुर से निर्दलीय विधायक हैं। शेरा ने 2018 का चुनाव बीजेपी की पूर्व मंत्री अर्चना चिटिनस को हराया था। सुरेंद्र शेरा कांग्रेस में ही थे लेकिन 2018 में टिकट नहीं मिलने पर बागी हो गए और निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 2018 में कमलनाथ सरकार बनी तो उसको समर्थन किया लेकिन जैसे ही शिवराज सरकार आई तो बीजेपी को समर्थन दे दिया। ऐसे में चर्चा यह शुरू हो गई कि जिसका अपना कोई ठिकाना ही नहीं है, उसे राहुल गांधी की यात्रा की जिम्मेदारी देकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किसका भला करना चाहते हैं।

इससे पहले अरुण याव को खंडवा के उपचुनाव में लोकसभा का भी टिकट नहीं मिला था। इसका दर्द एक कार्यक्रम में छलक भी गया था। तब अरुण यादव ने कहा था कि मैं हर बार फसल उगाता हूं, किसी को दे देता हूं। 2018 में भी ऐसा ही हुआ था। उन्होंने कहा था कि तुम्हारी फसल ले लूं मैंने कहा कि हां, साहब ले लो, फिर उगा लेंगे। उपचुनाव में कांग्रेस ने राजनारायण सिंह पुरनी को टिकट दिया था, जिन्हें बीजेपी के ज्ञानेश्वर पाटिल ने हरा दिया था। वहीं, 2018 के पहले अरुण यादव को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटाकर कमलनाथ बने थे। इसके बाद से यादव को कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई।