डिग्गी में नवजात का शव रखा पहुंचा कलेक्टर के पास ..

प्रदेश में बच्चियों में मामा का राज करीबन 20 सालों से है ! प्रदेश पर आर्थिक बोझ सुरसा के मुहं की तरह बढ़ता जा रहा है ! वहीं सरकारी तंत्र कब्र में दफ़न सा हो गया प्रतीत नजर आ रहा है ! प्रशासनिक अधिकारियो और राजनेताओं के गठजोड़ ने प्रदेश को अँधेरी कंदराओं में दफन कर दिया है ! प्रशासनिक अधिकारी वातानुकूलित कमरों में बैठ कर राजनीति और अय्यासी के स्वप्न संसार में सपने सजोये हुए है ! जमीनी स्तर पर जनता के सुख दुःख ,पीड़ा से उन्हें कोई सरोकार नही रहा ! शासन की जनकल्याणकरी योजनाओ की सफलता के फर्जी आंकडे प्रस्तुत करने में ये निक्कमे महारत हासिल कर चुके है ! परन्तु हकिकत गाहेबगाहे सामने आ ही जाती है ..राकेश प्रजापति 

ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसको सुनकर मानवता शर्मशार हो जाती है ! सरकारी तंत्र में बैठे निकम्मे अधिकारी इतने निष्ठुर कैसे हो सकते है ? प्रदेश के सिंगरौली जिले में एक पिता को अपने नवजात के शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली तो उसने वह कदम उठाया कि सब देखते रह गए। उसने अपने नवजात के शव को बाइक की डिग्गी में रखा और शिकायत करने कलेक्टर के पास पहुंच गया।

प्रदेश के सिंगरौली में मामा कहलाने वाले शिवराज सिंह चौहान की सरकार का सिस्टम सामने आ गया। नवजात शिशु की मौत के बाद उसे घर ले जाने के लिए एंबुलेंस तक नसीब नहीं हुई।

मजबूर पिता ने बच्चे के शव को बाइक की डिग्गी में रखा और कलेक्टर से मदद मांगने पहुंच गया। कलेक्टर ने कार्रवाई का भरोसा दिया है।

मामला सिंगरौली जिला अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर का है। 17 अक्टूबर को दिनेश भारती की पत्नी मीना की डिलीवरी सिंगरौली के जिला अस्पताल में हुई। बच्चा जन्म से पहले ही मर चुका था। शव को ले जाने के लिए परिजनों को एंबुलेंस चाहिए थी।

वह नवजात को गांव ले जाकर अंतिम संस्कार करना चाहते थे।

दिनेश का आरोप है कि अस्पताल से उन्हें एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराई गई। इस पर दिनेश ने अपने शिशु का शव लिया और उसे अपनी बाइक की डिग्गी में डालकर कलेक्ट्रेट पहुंच गया। कलेक्टर राजीव रंजन मीणा ने शिकायत सुनने के बाद एसडीएम को जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि अस्पताल से एंबुलेंस नहीं मिलने की शिकायत मिली है। इस मामले की जांच कराई जा रही है।  मिडिया रिपोर्ट