अच्छा होता श्री महाकाल कॉरीडोर सादगी के साथ जनता को समर्पित कर दिया जाता..

श्री महाकाल कॉरीडोर को लेकर भाजपा और कांग्रेस में श्रेय लेने की होड़ लगी हुई है ! दोनों ही पार्टियों के अपने अपने दावें है परन्तु दोनों ही ये भूल रहे है की आखिर इसका निर्माण जनता के पैसों से हुआ है ! परन्तु गंदी राजनीति के इस खेल में जनता गौण हो गई है ! इसकी पड़ताल करने पर पता चला कि इस प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देने में दोनों ही राजनैतिक दलों की भूमिका रही है , भगवाकरण की राजनीति के आसरे भक्त चीख-चीख कर वोटो के धुर्विकरण और श्रेय के लिए तमाशा मचाये हुए है  ! अच्छा तो ये होता की जनता के पैसों से बने श्री महाकाल कॉरीडोर को सादगी के साथ जनता को समर्पित कर दिया जाता ….राकेश प्रजापति

भाजपा और कांग्रेस में महाकाल कॉरीडोर निर्माण का श्रेय लेने को लेकर आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए है। कांग्रेस का कहना है कि यह प्रोजेक्ट उसकी सरकार की देन है । 2019 में कांग्रेस की सरकार ने 300 करोड़ रुपये प्रोजेक्ट के लिए स्वीकृत किये थे ।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि हमने जो किया वह रिकॉर्ड पर है । यह सब चीजों का श्रेय लेना चाहते है । दूसरी तरफ खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान महाकाल कॉरीडोर की कल्पना 2016 में सिहस्थ के समय करने की बात कह चुके हैं ।

कांग्रेस के आरोपों पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कमलनाथ जी को झूठ बोलने का शगल है।

इस परियोजना की पड़ताल में यह निकल कर आया की दोनों के दावे काफी हद तक सही है । इस प्रोजेक्ट की कल्पना भले ही शिवराज सिंह चौहान ने की हो, उसे मुख्यमंत्री रहते हुए कमलनाथ ने ही  आगे बढ़ाया । जब उनकी सरकार चली गई और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने तो यह परिकल्पना आज साकार हो गई । यानी झूठ कोई नहीं बोल रहा है , लेकिन अपनी-अपनी सहूलियत के लिए एक-दूसरे को झूठा जरूर बताया जा रहा है ।

साल 2016 के सिंहस्थ में शिवराज सिंह चौहान ने महाकाल कॉरीडोर की कल्पना की थी। इसके बाद महाकाल परिसर के कायाकल्प के लिए रायशुमारी शुरू हुई। 2017 में डीपीआर बनाने का काम शुरू किया गया, लेकिन 2018 में सरकार बदल गई । इसके बाद कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने महाकाल कॉरीडोर का ब्लू प्रिंट जारी किया । महाकाल कॉरीडोर कैसे बनेगा यह ब्लू प्रिंट कमलनाथ सरकार ने जारी किया । कुछ ही दिन बाद कांग्रेस की सरकार चली गई । तब शिवराज सरकार में कॉरीडोर का निर्माण कार्य शुरू हुआ और अब जाकर पहले चरण का काम पूरा हो गया है।