महाकाल प्रांगण से प्राचीन पशुपतिनाथ मंदिर गायब ..

प्रदेश में बीते दिनों अंधी तूफान की जद में आने से उज्जैन के श्री महाकाल महालोक से सप्तऋषियों की मूर्तियां हवा मे पत्तों की मानिंद उड़ने के बाद अब श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर से प्राचीन पशुपतिनाथ मंदिर गायब हो गया। जानकारों के मुताबिक़ मंदिर किसने तोड़ा, रातों-रात उसका मलबा कहां गायब हो गया, उसे आसमान खा गया या जमींन निगल गई ! इन सवालों के जबाव फिलहाल किसी के पास नहीं है या बे देना नही चाहते है ? इस अंतहीन खामोशी के पीछे का राज एक न एक दिन सामने जरुर आयेगा ? आप की तरह हमें भी इसका इन्तजार है  …. 

जानकार बताते है कि बीते बुधवार की शाम तक यह अति प्राचीन मंदिर पशुपतिनाथ के रूप में जाना जाता था, जहां भगवान भोलेनाथ अपने परिवार के साथ विराजमान थे। लेकिन वर्तमान में अब न तो पशुपतिनाथ मंदिर की छत बची है और ना ही भगवान शिव के साथ लगी अन्य प्रतिमाएं, सभी को रातों रात हटा दिया गया। आखिर क्यों और किस लिए ?

पशुपतिनाथ का मंदिर तोड़े जाने से पंडे-पुजारियों मे तीखा आक्रोश देखा गया, लेकिन मंदिर समिति द्वारा इन दिनों जिस तरह भय का माहौल बनाया जा रहा है, उस कारण कोई भी घटना के विरोध में खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। जानकारों के मुताबिक मंदिर ध्वस्त करने का मामला समिति की जानकारी में हैं, लेकिन इसे दबाया जा रहा है।

अति का अंत बहुत बुरा होता है। मंदिर प्रशासन द्वारा प्राचीन मंदिरों को तोड़ने का कृत्य बेहद निंदनीय है। यह बात बजरंग दल संयोजक अंकित चौबे ने कही और बताया कि एक तरफ प्राचीन मंदिरों के सामने बेरीगेट लगाकर श्रदालुओं को दर्शन नहीं करने दिए जा रहे वहीं दूसरी और महाकाल लोक के लिए सभी रास्ते खुले कर वहां गार्डो की व्यवस्था कर रखी है, मंदिर प्रशासन धीरे-धीरे मंदिर की प्राचीनता खत्म करने पर लगी है। जल्द अगर यह व्यवस्था न रोकी तो अंजाम बहुत विपरीत होगा और इसके लिए मंदिर प्रशासन जिम्मेदार होगा ….