सबालो से क्यों मुहँ चुराते है सहायक आयुक्त बरकड़े..

आदिम जाति कल्याण विभाग में अनियमितताओं ,अव्यवस्थाओं और प्रशासनिक नेतृत्व विहीनता का आलम यह है कि यहाँ जंगल राज तो कहना उचित नही होगा परन्तु बाबू राज जरूर कहा जा सकता है ? बर्षो से एक ही जगह पर जमे हुए होने से इनकी अपनी अपनी सत्ता है और ये एक दूसरे की जागीरों पर अतिक्रमण भी नही करते है ? फिर भी मानवीय प्रकृति के चलते गाहे बगाहे सत्ता संघर्स होने से अंदरखाने की बाते सामने आ जाती है । जो समाचार पत्रों की सुर्खियां बटोर लेती है । हाल ही में हर्रई विकासखंड के ग्राम बटकाखापा में सहायक आयुक्त के फर्जी आदेश पर छात्रावास अधीक्षिका की नियुक्ति का मामला सुर्खियों में है ? ऐसा होना सहायक आयुक्त नरोत्तम सिंह बरकड़े के रहते कोई नई बात नही है ? इससे पहले भी ऐसे अनेक मामले हो चुके है । ओर ये सब सहायक आयुक्त के संज्ञान में न हो ऐसा कैसे सम्भब हो सकता है ?

कुछ एक मामले संज्ञान में लाने के बाद भी सहायक आयुक्त ने ऐसे संगीन मामलो पर कार्यवाही क्यो नही की ? यह पता क्यो नही लगाया गया कि ऐसी कार्यवाहियों पर कौन कौन और किसका हाथ है ? कौन उनके फर्जी हस्ताक्षर पर फर्जी नियुक्ति का खेल लंबे समय से खेल रहा है ? एक ही कर्मचारियों के बार- बार नवीन पदस्थापना , संसोधन ,ओर फिर कैंसिलेशन के आदेश कैसे निकल रहे है ? ऐसे अनेको सबाल सहायक आयुक्त के उत्तरो की प्रतीक्षा में प्रतीक्षारत है ? क्या ऐसे गंभीर सबालों के जबाब सहायक आयुक्त नरोत्तम सिंह बरकड़े कभी दे पाएंगे ? यह भी आपने आप मे फिर सबाल की शक्ल में तब्दील हो जाता है ? सहायक आयुक्त घाघ व्यक्तित्व के धनी है !  सारा किया धारा इन्ही का होता है और फिर भी आबोध बालक की तरह कुटिल मुश्कान के साथ हर बात पर अनभिज्ञता जाहिर कर सामने बाले को इमोशनल ब्लैक मेल करते हुए जहर खाने की बात करने लगते है ? परंतु नरोत्तम बरकड़े की इस अदा से लोग अब परचित हो गए है !
इसी की बानगी में देखे की बटकाखापा बाले केस में सहायक आयुक्त का जबाब कितना शातिराना और धूर्ततापूर्ण है कि “” यह मामला सामने आने के बाद प्रकरण में युवती के विरुद्ध Fir के आदेश बीइओ को दिए जा चुके है और मामले की जांच भी करवाई जा रही है “” बकौल – एन एस बरकड़े अब सबाल यह उठता है कि खुद के फर्जी हस्ताक्षर से जारी नियुक्ति पत्र पर बीईओ क्यो Fir दर्ज कराए अगर शिकायत दर्ज भी कराता है तो क्या माननीय न्यायालय ऐसे स्वीकार कर लेगा ? थोड़ी देर के लिए मान भी लिया जाए कि न्यायालय पहले ही सुनवाई में शिकायत करता से पूछेगा की आपकी सिग्नेचर से तो नियुक्ति आदेश जारी नही हुआ है तो आप कौन होते है शिकायत करने बाले ? सहायक आयुक्त ने शिकायत क्यो नही की ? और फिर बिना जाँच के बीइओ को Fir के आदेश कैसे दे दिए ? सहायक आयुक्त का जबाब ही विरोधाभाषी शातिर और धूर्तता से परिपूर्ण प्रतीत होता है ? इससे शक की सुइयां इस बात की और इसारा करती है की नरोत्तम सिंह बरकड़े जी मामला गंभीर है ? अपने अधीनस्थ अधिकारियों के कन्धों पर बन्दूक चलाने का खेल बंद करे ? जिले के हर्रई विकास खंड को  सहायक आयुक्त ने नरम चारा समझ रखा है  कुछ ही दिनों पहले 2 महिला शिक्षिकाओ की बर्षो बाद नियुक्ति का मामला भी चर्चाओं में है जनाब…..इसके जबाब भी तुम्ही को देने होंगे ?शायद बरकड़े जी इस फार्मूले पर काम करते है ” चित भी मेरी पट भी मेरी अंटा मेरे………का ” ! दोनो ही तरफ से मलाई चाटने वाले इस अधिकारी के ओर भी मामले …………………………….                                                              अगले अंक में