“सीखने का जुनून कभी भी बूढ़ा नहीं होने देता……

छिंदवाड़ा जिले के चांद कॉलेज में नवप्रवेशित छात्रों के उन्मुखीकरण हेतु “शिक्षा और संभावनाएं विषय पर संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रेरक वक्ता डॉ. अमर सिंह ने कहा कि अगर व्यक्ति सही मायने में शिक्षित हो जाए तो जादुई शक्तियों का हकदार बनकर सीमाओं को तोड़कर अवसर निर्माण करने लगता है। शिक्षा की संभावनाओं में बेहतरीन इंसान बनने की सभी दिव्य शक्तियां निहित हैं। यह असंभव कार्यसिद्धि करने की पात्रता विकसित करती है। शिक्षा भविष्य का पासपोर्ट है। प्राचार्य डॉ. डी. के. गुप्ता ने कहा कि शिक्षा व्यक्ति को असफलता के भय से मुक्ति, आत्मसंभावना का प्रकटीकरण और अप्राप्य उद्देश्य की प्राप्ति में सहायक होती है।स्वयं की अधिकतम उपलब्धि पर स्थापना, उद्देश्य की निश्चितता की खोज और कंफर्ट जोन से बाहर निकालने में शिक्षा के उद्देश्य छिपे हैं।
प्रो. रजनी कवरेती ने शिक्षा को   जो हम हैं, वही बनें, सिर ऊंचा करके जीना और दूसरों के अनुभव से सीखना के गुर प्राप्त होते हैं। प्रो. जी. एल. विश्वकर्मा ने शिक्षा को सपने देखना, योजना बनाना, विश्वास करना और लगन से भविष्य के अवसरों का निर्माण करना जैसी संभावना करार दिया और कहा कि आकाश भी अंतिम सीमा नहीं है। प्रो.आर. के. पहाड़े ने अपने अनोखे अंदाज में कहा कि शिक्षा आज का दर्द और कल की ताकत है। अधिक चीजें करने के बजाय सही चीजों पर ध्यान केंद्रित करना, रचनात्मकता के अधिकतम प्रयोग से रचना शक्ति बढ़ाना और पहले से बेहतरीन बनना शिक्षा से ही संभव होता है।प्रो. शक्ति सिंगारे ने कहा कि शिक्षा  दिव्य मूल्यों की चरित्र में स्थापना,  प्रयास न की पूर्णता व उत्कृष्टता प्राप्ति का एक नजरिया देती है। प्रो.विनोद शेंडे ने कहा कि आत्म प्रज्वलन ही शिक्षा है।अच्छी शिक्षा एक  चौथाई तैयारी है, तीन चौथाई शुद्ध नाटकीय प्रस्तुतिकरण है। संतोष अमोडिया ने कहा कि शिक्षा पुल बनाती है, जीवनी शक्ति देती है और सीखने का जुनून कभी भी बूढ़ा नहीं होने देता है। प्रवीन सोनी ने कहा कि शिक्षा की जड़ें कड़वी किंतु फल मीठे होते हैं। शिक्षक दरवाजा खोलता है किंतु प्रवेश विद्यार्थी को ही करना पड़ता है। सुनील पाटिल ने कहा कि जिज्ञासा उबाऊपन का इलाज है,पर जिज्ञासा का कोई इलाज नहीं है। शिक्षा विश्व बदलाव का हथियार है। संगोष्ठी में कॉलेज राष्ट्रीय सेवा योजना के समस्त स्वयंसेवक उपस्थित रहे।