संकट में सरकार , ये होंगे विकल्प ?….

मध्यप्रदेश में 16 मार्च से बजट सत्र शुरू हो रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि इसी दौरान भाजपा अविश्वास प्रस्ताव या कांग्रेस विश्वास प्रस्ताव पेश करे। इस प्रस्ताव पर वोटिंग के जरिए कमलनाथ सरकार के भविष्य का फैसला होगा।  कमलनाथ की सरकार गिरना तय है यह बात कमलनाथ भलीभाति जानते है परन्तु कुशल राजनेता होने के कारण कार्यकर्ताओं का उत्साह बना रहे है ! ताकि भविष्य में उत्साहित कार्यकर्ताओं का जोश अपने अनुकूल किया जा सके ….

ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होते ही मध्यप्रदेश के कमलनाथ सरकार के भविष्य खतरे में पड़ गया है ? फिर भी सरकार को लेकर बतोलेबाजी का दौर जारी है। एक तरफ जहां कांग्रेस के बागी विधायक वीडियो जारी कर सिंधिया के प्रति वफादारी की कसमें खा रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का दावा है कि 19 में से 13 विधायक वापस लौटने को तैयार हैं..

राजनैतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच मध्यप्रदेश में राज्यपाल लालजी टंडन से ज्यादा विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति की भूमिका सबसे अहम हो गई है। ज्ञात हो कि विधानसभा सचिवालय को सभी 22 बागी कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे मिल चुके हैं, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने इन्हें स्वीकार करने से मना कर दिया है। उन्होंने कहा है कि सभी बागी विधायकों से व्यक्तिगत रूप से मिलने और उनकी वीडियोग्राफी के बाद ही इस्तीफों पर निर्णय लेंगे।

मध्यावधि चुनाव नहीं लड़ना चाहेगी भाजपा, कांग्रेस उपचुनाव से बचेगी : – प्रदेश में   कांग्रेस कमलनाथ सरकार गिरने की स्थिति में जहां विधानसभा भंग करवाकर मध्यावधि चुनाव कराने पर जोर देगी। वहीं भाजपा की कोशिश होगी कि वह बागी विधायकों के सीटों पर उपचुनाव करवाए। भाजपा कभी भी मध्यावधि चुनाव कराने के पक्ष में नहीं आएगी। हालांकि इस मामले में आखिरी फैसला राज्यपाल लालजी टंडन करेंगे।
विधायक पूरे कार्यकाल के लिए नहीं घोषित होंगे अयोग्य: – विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति कांग्रेस के बागी विधायकों को उनके पूरे कार्यकाल के लिए अयोग्य घोषित नहीं कर सकते हैं। क्योंकि कर्नाटक के मामले में भी वहां के तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधायकों को पूरे कार्यकाल के लिए अयोग्य घोषित करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इन विधायकों ने उपचुनाव लड़ा था। ऐसे में मध्यप्रदेश में भी यह संभावना बनती दिखाई दे रही है कि बागी कांग्रेस विधायक अयोग्य घोषित होने के बाद उपचुनाव लड़ें।