सरकार एवं राजनैतिक पार्टियाॅं ओ.बी.सी.समाज को कर रही गुमराह ,21 मई प्रदेश बंद का आव्हान

नगरीय निकायों में ओ.बी.सी. आरक्षण को लेकर भाजपा और कांग्रेस पार्टियाँ नूरा कुस्ती का खेल खेल रही है ! एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर जनता को गुमराह करने का काम कर रही है ! बीते 17 सालों से प्रदेश में भाजपा की सरकार होते हुए भाजपा सरकार ने जनता व ओ.बी.सी. समाज को गुमराह करने का काम किया है ! साथ ही प्रदेश पर कर्ज पर कर्ज लाद कर बीमारू राज्य से कर्जदार प्रदेश की श्रेणी में खडा कर दिया है और अब भी जनता को गुमराह करने का काम मामा (शिवराज सिंह चौहान)कर रहे है !

प्रदेश की जनता को अब मामा की पहचान करनी होगी की ये मामा कंश है या शकुनी जो अपनी राजनैतिक विसात बिछाकर प्रपंच रच रहे है और प्रदेश और प्रदेश वासियों का बंटाधार करने की एक बार पुनः कोशिश में लगे हुए है ….

अखिल भारतीय ओ.बी.सी.महासभा के राष्ट्रीय सचिव एड.देवेन्द्र वर्मा ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि सरकार एवं राजनैतिक पार्टियाॅं ओ.बी.सी.समाज को सिर्फ गुमराह कर रही है ,क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का ओ.बी.सी.आरक्षण पर फैसला आने के बाद की ओ.बी.सी.आरक्षण के बिना पंचायत एवं नगरीय निकाय के चुनाव सम्पन्न करने के निर्देश चुनाव आयोग को दिये गये है।

चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की सम्पूर्ण तैयारियाॅं भी पूरी कर ली गयी हैं और इसी बीच मध्यप्रदेश कांगे्रस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने 27 प्रतिशत ओ.बी.सी. वर्ग के व्यक्तियों को टिकिट देने की बात की है। जबकि मध्यप्रदेश में ओ.बी.सी.54प्रतिशत की आबादी है।

वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने 27 प्रतिशत से अधिक को टिकिट देने की बात कहीं ,बसपा ने 52 प्रतिशत लोगों को टिकिट देने की बात कहीं हैं और मध्यप्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर कर सिर्फ ओ.बी.सी. का वोट बैंक साधने के लिये सुपीम कोर्ट गयी है ।

महाराष्ट्र सरकार द्वारा पूर्व में ओ.बी.सी.आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर किया गया था जो खारिज हो चुकी थी ,फिर भी मध्यप्रदेश सरकार को मालूम रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट जाना महज एक दिखावा है। पंचायत एवं नगरीय प्रशासन के चुनाव सुप्रीम कोर्ट एवं निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देश अनुसार ही सम्पन्न होना हैं।

ओ.बी.सी.समाज के साथ सरकार एवं राजनीतिक पार्टियाॅं कठपुतली बनाकर खेल खेल रही है सन् 1931 से लेकर आज तक ओ.बी.सी.समाज की जनगणना नहीं की गयी ।

मध्यप्रदेश सरकार ने 2022 में आनन फानन में सिर्फ खानापूर्ति करते हुये जनगणना मात्र 48 प्रतिशत जो कि गलत आंकड़ा है न्यायालय के समक्ष पेश किया। जिससे ओ.बी.सी.समाज को कुठाराघात पहंुचा है। आज शासन प्रशासन में ओ.बी.सी. समाज की भागीदारी मात्र 6 प्रतिशत भी नहीं पहंुच पायी जैसे ही सन् 1992 में ओ.बी.सी. के लिये मंडल कमीशन लागू हुआ तो उसका विरोध किसने किया ,किस राजनीतिक पार्टी ने निजीकरण तेजी से लागू किया वैकलाॅग के पद नहीं भरे गये पदोन्नति ,क्रमोन्नति ,छात्रवृत्ति एवं चयन में भेदभाव ओ.बी.सी.समाज के साथ किया जा रहा है क्रीमिलियर अवैधानिक रूप से समाज पर थोपा गया तब सरकार और राजनीतिक पार्टियाॅं मौन है इन सभी बातों को दृष्टिगत रखते हुये ।

अखिल भारतीय ओ.बी.सी.महासभा एस.सी.एस.टी.संयुक्त मोर्चा के तत्वाधान में दिनांक 15/05/2022 को भोपाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव ओ.बी.सी.आरक्षण समाप्त होने को लेकर उत्पन्न स्थिति से निपटने पर विचार विमर्श एवं आगे की रणनीति पर महत्वपूर्ण मीटिंग रखी गयी और 21 मई 2022 को सम्पूर्ण मध्यप्रदेश बंद का समर्थन किया इसके बाद 28 मई को आमसभा का प्रस्ताव रखा गया।

जिसमें प्रमुख रूप से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर जनप्रतिनिधियों के माध्यम से संविधान में संशोधन कर 27 प्रतिशत सभी क्षेत्र में आरक्षण सुनिश्चित करने हेतु आरक्षण को संविधान की 9 वीं अनुसूची में शामिल किये जाने की पुरजोर मांग के साथ संवैधानिक अनुच्छेद 15(4) ,16(4),245,246,340 में दिये गये ओ.बी.सी. समाज के लिये संवैधानिक अधिकार की भी बात की गयी।

साथ ही आगामी पंचायत एवं नगरीय निकाय के चुनाव ईवीएम से न कराते हुये बैलेट पेपर से कराने की बात कहीं गयी इस अवसर पर विभिन्न संगठन के पदाधिकारीगण मौजूद रहे।