सरकार आदिवासीयों से महुआ शराब भी हथियाने की तैयारी में ..

प्रदेश सरकार की माली हालत अब किसी से छुपी नही है ! प्रदेश पर तीन लाख करोड़ से भी ज्यादा का कर्जा है और हर माह सरकार को प्रदेश चलाने के लिए खुले बाजार से कर्ज लेना पड रहा है ! सरकारी खर्चे के नाम पर भ्रस्टाचार सर चढ कर बोल रहा है ! हर क्षेत्र में सिर्फ भ्रस्टाचार  ही भ्रस्टाचार अपनी गहरी जड़े जमा चुका है ! तभी तो प्रदेश में ऐसा कोई दिन खाली नही जाता जब भ्रस्टाचार  निरोधक एजेंसिया किसी न किसी भ्रस्टाचारी को नही धर दबोचती है ….राकेश प्रजापति 

जैसे तैसे सरकारी खर्च शराब की बिक्री से चल रहा है ! मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की करनी और कथनी में बड़ा अंतर है ! वे हमेशा से ही सार्वजानिक मंचों से चीख-चीख कर बयान बाजी करते आये है शराब की एक भी नई दूकान नही खोली जायेगी ! परन्तु शराब माफिया के दबाब के चलते नई शराब नीति के छुपे एजेंडे के तहत प्रदेश में अब पहले की तुलना में लगभग तीन गुनी शराब की दुकाने खुल चुकी है ! 

 

सरकार का इससे भी लगता है जी नही भरा है जो अब आदिवासी अंचलो में आदिवासी लोग देशी महुए कि शराब तैयार कर अपने धार्मिक अनुष्ठानो में प्रयोग तो करते ही है साथ ही इसी महुए की शराब का सेवन भी नशे के लिए सदियों से करते आ रहे है ! सरकार अब आदिवासी अंचलो में निवासरत इन भूमिपुत्रों से देशी महुए फूल की शराब को भी हथियाने की तैयारी में है या सीधे सीधे शब्दों में कहे तो  छीन ही लिया है और हेरिटेज शराब के नाम पर अपनी कमाई का साधन बना चुकी है ! ताकि किसी तरह सरकार चलाने के लिए आर्थिक रूप से शराब कमाई का जरिया बन सके ….

 

प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र अलीराजपुर जिले के आदिवासी द्वारा निर्मित महुआ शराब अब इटली, इंग्लैंड, फ्रांस व अन्‍य देशो की शराब को टक्‍कर देने का सपना संजोये हुए है। जानकार बताते है की महुआ का हेरीटेज प्‍लांट बनकर तैयार हो चुका है और अब संयंत्र की सिर्फ टेस्‍टींग होनी बाकी है । सरकार की तरफ से चापलूस नौकरशाहों के कमीनेपन ने अदिवादियों से उनके धार्मिक अनुष्ठान में प्रयोग होने बाली और उनके नशे का माध्यम भी उनसे लगभग छीन लिया है ! 

 

सरकार का कहना है कि देशी पद्धति से बनने वाली महुआ शराब विदेशो में पहचानी जाएगी। दुनिया की नामी शराब जो कि किसी न किसी फल या अनाज से बनाई जाती है, लेकिन महुआ पहली एक ऐसी शराब होगी जो कि फूल से बनती है। मप्र सरकार के अनुदान से इस प्‍लांट को तैयार किया गया है।

 

आदिवासी बाहुल्य अलीराजपुर जिले में बनने वाली महुआ शराब अब प्रदेश या देश ही नहीं विदेशो में भी पहचानी जाएगी। इसके लिए आबकारी विभाग ने प्‍लानिग कर ली है। महुआ को हेरिटेज स्‍टेटस दिलाने के लिए अब इसकी ब्रांडिग के लिए इस शराब को एमपी टूरिस्‍म के होटलो,एसरपोर्ट व अन्‍य रेस्‍टोरेंट में भी देखा जाएगा।

 

वहीं यह शराब अन्‍य देशो की हरीटेज मदिरा की श्रेणी में आ सकती है। देशी पद्धति से बनने वाली महुआ शराब पूरी तरह कुदरती रूप से तैयार की जाएगी। जिससे की यह शराब शरीर को ज्‍यादा हानि न पहुंचाए। वहीं प्रशासन ने भी इस हेरीटेज प्‍लांट को लेकर तैयारीयां कर ली है।  शराब की लेबलिंग से लेकर उसकी बोटलिंग तक की तैयारीयां हो चुकी है।