सदन में कामकाज निपटाने का बना नकारात्मक कीर्तिमान …

केंद्र सरकार आये दिन कोई न कोई कीर्तिमान स्थापित करती चली आ रही है ! ये अलग बात है की ये कीर्तिमान कितने सकारात्मक और कितने नकारात्मक है ? इस बात का फैसला जनता तो बाद में करेगी लेकिन विश्लेषकों का काम ही यही है की बे हर बात का तुलनात्मक अध्ययन  कर तश्वीर जनता और सरकार दोनों के ही सामने रखे ! अब सबका अपना-अपना नजरिया है ! कौन इसे किस रूप में देखता परखता , स्वीकार करता है या तिरस्कार ….?

1972 के बाद पहली बार एक दिन में सभी 20 प्रश्न निपटाए गए। 2019 में भी ऐसा हुआ, पर दोनों ही बार प्रश्नकाल पूरे समय चला था। दरअसल प्रश्नकाल में 20 ऐसे सवाल चयनित होते हैं, जिनके पूरक प्रश्नों का मंत्री सदन में मौखिक उत्तर देते हैं। सोमवार को जिन 25 सांसदों के नाम थे, उनमें से महज चार ही उपस्थित थे। 16 सवालों से जुड़े 20 सांसद सदन में ही नहीं थे। इस कारण 12 बजे खत्म होने वाला प्रश्नकाल का सारा कामकाज 11:45 पर ही पूरा हो गया।

लोकसभा में सबसे कम समय में प्रश्नकाल का सारा कामकाज निपटाने का कीर्तिमान तो बना, मगर यह कीर्तिमान नकारात्मक है। सोमवार को प्रश्नकाल में सूचीबद्ध सभी 20 प्रश्न निपटा लिए गए, तब भी 15 मिनट का समय बाकी था। इस कारण कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।

महज 13 पूरक प्रश्न :- 45 मिनट के दौरान कुल 13 पूरक प्रश्न ही पूछे गए। इनमें से आधे पूरक प्रश्न उन सांसदों ने पूछे, जिनके नाम से प्रश्न सूचीबद्ध नहीं था। यूपीए-2 में भी बना था ऐसा रिकॉर्ड : 15वीं लोकसभा में एक बार ऐसी स्थिति आई जब सदस्यों की अनुपस्थिति में प्रश्नकाल ही स्थगित करना पड़ा था। मीरा कुमार के अध्यक्ष रहते एक बार जिन 26 सांसदों के नाम सूचीबद्ध थे, वे सभी अनुपस्थित थे।

केंद्रीय शिक्षामंत्री ने लोकसभा में रखे साल 2014 से 2021 तक के आंकड़े :- आईआईटी-आईआईएम, केंद्रीय विश्वविद्यालयों व केंद्र के अनुदान पर चलने वाले अन्य संस्थानों के 122 विद्यार्थियों ने साल 2014 से 2021 के दौरान आत्महत्या कर लीं।
इनमें से 41 ओबीसी, 24 एससी और तीन एसटी वर्ग के थे। तीन विद्यार्थी अल्पसंख्यक समुदाय से थे। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को लोकसभा में बताया कि विभिन्न आईआईटी में आत्महत्या की 34 घटनाएं दर्ज हुईं। चार विद्यार्थी आईआईएम व नौ आईआईएससी बैंगलोर व आईआईएसईआर के थे, तो चार ट्रिपल आईटी के। सबसे ज्यादा 37 आत्महत्या केंद्रीय विश्वविद्यालयों में हुईं। एनआईटी में भी 30 विद्यार्थियों ने अपना जीवन खत्म किया।

शोषण, भेदभाव जैसी वजहें, रोकने के लिए उठाए कदम :- प्रधान ने बताया, आत्महत्याओं को रोकने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कई कदम उठाए। इनका लक्ष्य विद्यार्थियों का शोषण और भेदभाव रोकना है, जिन्हें आत्महत्या की अहम वजह माना जाता है। यूजीसी नियम 2019 बनाकर विद्यार्थियों की शिकायतों का समाधान किया जा रहा है। आपसी सहयोग बढ़ाने व तकनीकी शिक्षा को क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाने के भी प्रयास हुए हैं, ताकि विद्यार्थियों का तनाव कम किया जाए। मिडिया रिपोर्ट