संत समाज का विरोध, भगवा पर बबाल, बदला ड्रेस ….

धर्म ,जात-पात और अब रंगों को लेकर बबाल, ये सब मौजूदा दौर में धार्मिक बबाल मचाने के हथियार बन चुके है या फिर टुच्ची पब्लिसिटी के माध्यम ? इनका सबसे ज्यादा इस्तेमाल राजनीती में वोट बैंक के खातिर किया जाता है , परन्तु इसे किस रूप में देखा जाय इसका फैसला हम अपने सुधि पाठको पर छोड़ते है ! क्या अब भगवा आने बाले चुनावों में वोटो के धुर्विकरण का औजार तो नही बन रहा है ? ये सब अनजाने में होने बाली गलती है या पब्लिसिटी फंडा या समाज बिशेष को साधने का ब्रम्हास्थ ….? 

मामला कुछ ऐसा है की भगवा ड्रेस पहने बर्तन उठा रहे वेटर्स का वीडियो वायरल हुआ ,जिसको लेकर संत समाज आक्रोशित हो गया इसे अपना अपमान समझा ,  विरोध के बाद बदली गई वेटर्स की ड्रेस

रामायण सर्किट स्पेशल ट्रेन में सर्विस देने वाले वेटर्स की ड्रेस पर उज्जैन के साधु-संतों की आपत्ति के बाद, आईआरसीटीसी ने रामायण एक्सप्रेस में सेवाएं देने वाले वेटर्स की ड्रेस बदल दी है. इसकी जानकारी सोमवार शाम को आईआरसीटीसी ने ट्वीट कर के दी.

अयोध्या-रामेश्वरम ट्रेन में भगवा ड्रेस पहने बर्तन उठा रहे वेटर्स का वीडियो वायरल होने के बाद, उज्जैन के संत समाज ने इसे साधु संतों का अपमान बताया था. इसपर रेल मंत्री को चिट्ठी लिखी गई, साथ ही ट्रेन रोकने की चेतावनी भी दी गई थी.

पहले ट्रेन के स्टाफ़ को भगवा ड्रेस पहनने के लिए दी गई थी :- संत समाज की चेतावनी के बाद सोमवार शाम आईआरसीटीसी ने रामायण एक्सप्रेस ट्रेन में काम करने वाले वोटरों की ड्रेस को बदल दिया. आईआरसीटीसी ने ट्वीट कर इस जानकारी को सार्वजनिक किया और लिखा ‘ट्रेन के स्टाफ की ड्रेस को पेशेवर यूनिफॉर्म में बदल दिया गया है.
ट्रेन रोकने और प्रदर्शन करने की चेतावनी दी थी :- वायरल वीडियो में ट्रेन के वेटर्स साधु संतों के भगवा कपड़े, धोती, पगड़ी और रुद्राक्ष की माला पहने खाने के बर्तन उठाते नजर आ रहे थे. उज्जैन अखाड़ा परिषद के पूर्व महामंत्री परमहंस अवधेश पुरी महाराज ने कहा था कि ये अपमान है. जल्द ही वेटर्स की ड्रेस को बदला जाए, वरना 12 दिसंबर को निकलने वाली अगली ट्रेन का संत समाज विरोध करेगा और ट्रेन के सामने हजारों हिन्दुओं को लेकर प्रदर्शन किया जाएगा.

आपको बता दें कि दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से खुलने वाली ये ट्रेन अपनी 17 दिन की यात्रा में पर्यटकों को भगवान राम से जुड़े सभी महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों का भ्रमण और दर्शन कराती है. यह ट्रेन 17 दिन में 7500 किलोमीटर की यात्रा करती है.