शिक्षक सत्ता,यश और मुद्रा से सम्मोहित नहीं होता है : प्रो.सिंह

 चांद कॉलेज में “छात्र के व्यक्तित्व निर्माण में शिक्षक की उपयोगिता” विषय पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य अतिथि बतौर बोलते हुए मुकेश वर्मा ने कहा कि छात्र और शिक्षक के बीच के भावनात्मक रिश्ते जितने प्रगाढ़ होंगे, मेधावी विचारों का आदान प्रदान उतना ही कारगर होगा। शिक्षक नियति की नीति का व्यावहारिक जीवन का दार्शनिक होता है। प्रेरक वक्ता डॉ. अमर सिंह ने कहा कि शिक्षक सत्ता सम्मोहित नहीं होता है। एक नेक शिक्षक को यशस्वी होने की लालसा नहीं होती है। शिक्षक अपने छात्र को आत्मबल की अमीरी से सर्वोत्कृष्टता का पाठ पढ़ाते हैं। एक होनहार विद्यार्थी बदहाली से तंग पीढ़ियों के हालात बदल देता है। शिक्षक अपने अनुभव की किताब से साधनों की नहीं, साधना की उस ताकत को बताता है जो शाश्वत होती है….

प्राचार्य डी. के. गुप्ता ने कहा कि शिक्षक अपने छात्र को चेतना के सर्वोच्च शिखर पर आसीन करता है, दुर्भाग्य में सौभाग्य की खोज और आचरण की सभ्यता से उसकी मेधा का निर्माण करता है।

प्रो.जी.एल. विश्वकर्मा ने कहा कि शिक्षक अवसाद मुक्ति योद्धा, सामर्थ्य निर्माण मसीहा और वैकल्पिक चिंतन का बादशाह होता है। प्रो. रजनी कवरेती ने कहा कि शिक्षक महज रोबोटी सेवा प्रदाता नहीं है, उसे मरुस्थल में पुष्प उगाना, नवनिर्माण के बीज बोना और शाश्वत मूल्यों का पोषण करना उसे बखूबी आता है।

प्रो. आर. के. पहाड़े ने कहा कि अपने शिष्य में संभावनाओं की तलाश करना, चिंतन की गहराइयों से समस्याओं के समाधान निकालना और नवाचार करना अच्छे शिक्षक की खूबियों में से एक होता है। प्रो. सुरेखा तेलकर ने कहा कि शिक्षक अनुभव की प्रयोगशाला में तपा खरा सोना होता है। प्रो.रक्षा उपश्याम ने कहा कि शिक्षक संवेदना सर्जक, ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा करने और मुश्किलों की सलीब पर टंगी जिंदगी की उम्मीद होता है। संतोष अमोडिया ने कहा कि शिक्षक अपने चारित्रिक बल पर किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। कार्यक्रम को आदर्श, अनुराग, शुभम, आशीष, प्रद्युम्न, मोहिनी, मीनाक्षी, और नितेश ने आयोजित किया।