शहीद के जीने की तारीफ व मरने का अफ़सोस होता है : प्रो. सिंह

शासकीय कॉलेज चांद छिंदवाड़ा में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा “स्वाधीन भारत के उत्कृष्ट आयाम” विषय पर परिचर्चा के आयोजन में भाग लेते हुए प्रो.अमर सिंह ने कहा कि कौम की खातिर मौत शहीद का दर्जा दिलाती है। शहीद की मृत्यु के पीछे राष्ट्रीय त्याग की श्रेष्ठ वजह होती है। वह भी कोई जिंदगी होती है, जिसके पीछे कोई बड़ी वजह न हो। यह तो अफसोस की बात होगी। शहीद का तिरंगे में लिपटना सर्वोच्च राष्ट्र गौरव होता है।शहीद के जीने की तारीफ़ व मरने का अफ़सोस सार्वभौमिक होता है। वतन पर जी जान लुटाने का सौभाग्य सबका नहीं होता है….

प्रो. रजनी कवरेती ने कहा कि हमारे जीवन के उद्देश्य ऐसे हों जिससे दूसरों के नेक उद्देश्यों पर पानी नहीं फिरे। प्रो. विनोद कुमार शेंडे ने कहा कि आज़ादी के दीवानों के बलिदान हमें अपने कर्तव्यों के प्रति सजग होने की प्रेरणा देते हैं।

संतोष कुमार अमोडिया ने कहा कि शहीदों के बलिदान के सबक छात्रों को आत्मनिर्भर बनने के उपयोगी सूत्र साबित हो सकते हैं।

प्रो. सुरेखा तेलकर ने कहा कि सैनिक या तो तिरंगा फहराया है, या उसमें लिपटकर राष्ट्र गौरव का पर्याय बनता है। प्रो. रक्षा उपश्याम ने कहा कि आज़ादी की फसल शहीदों के खून से सींची गई थी, अतः छात्रों के सोच में क्रांतिकारी बदलाव की जरूरत है।