वह प्लाज्मा डोनेट कर सकता है….

देश और दुनिया में कोरोना के लिए फिलहाल कोई सटीक या प्रमाणिक ईलाज  नहीं है। इसे देखते हुए  कुछ राज्यों में कोरोना के गंभीर मरीजों में प्लाज्मा थेरेपी का प्रयोग किया जा रहा है। इसके उत्साहवर्धक नतीजे भी मिल रहे हैं। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने भी कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी को मंजूरी दे दी है। ऐसे में हम जानते हैं कि प्लाज्मा और प्लाज्मा बैंक की भूमिका क्या है  –

प्लाज्मा :- प्लाज्मा रक्त में उपलब्ध एक तरल पदार्थ होता है। इसका 92 फीसदी भाग पानी होता है। प्लाज्मा में पानी के अलावा प्रोटीन, ग्लूकोस मिनरल, हार्मोंस, कार्बन डाइऑक्साइड होते हैं। शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन रक्त के प्लाज्मा द्वारा होता है। इनके अतिरिक्त रक्त में सिरम एल्बुमिन, कई तरह के प्रोटीन और इलेक्ट्रॉलाइट्स भी पाए जाते हैं। वहीं, रक्त कोशिकाओं में पाए जाने वाले हिमोग्लोबिन और आयरन तत्व की वजह से खून लाल होता है। हृदय शरीर में रक्त का संचार करता है। कोरोना के अटैक के बाद शरीर वायरस से लड़ना शुरू करता है। यह लड़ाई एंटीबॉडी लड़ती है, जो प्लाज्मा की मदद से ही बनती है। अगर शरीर पर्याप्त एंटी बॉडी बना लेता है तो कोरोना हार जाता है।

प्लाज्मा थेरेपी :- भारत में इसकी चर्चा बीते कुछ समय में शुरू हुई, जब दिल्ली में कुछ लोगों का प्लाज्मा थेरेपी के माध्यम से इलाज शुरू हुआ। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का भी प्लाज्मा थेरेपी से इलाज किया गया। फिर दिल्ली के बाद कर्नाटक में भी इसका ट्रायल शुरू हो गया और इसी तर्ज पर केरल, बिहार, महाराष्ट्र जैसे राज्य भी इसका ट्रायल शुरू करने की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं। असल में जब किसी इंसान को कोरोना का संक्रमण होता है, तो उसका शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए खून में एंटीबॉडी बनाता है। यह एंटीबॉडी संक्रमण को खत्म करने में मदद करती है और ज्यादातर मामलों में जब पर्याप्त एंटी बॉडी बन जाती है तो वायरस नष्ट हो जाता है। डॉक्टर्स के मुताबिक, एक इंसान के खून के प्लाज्मा की मदद से दो लोगों का इलाज किया जा सकता है।

इलाज का तरीका :- जिस मरीज को एक बार कोरोना का संक्रमण हो जाता है, वह जब ठीक होता है तो उसके शरीर में एंटीबॉडी बनती है। यह एंटीबॉडी उसको ठीक होने में मदद करती है। ऐसा व्यक्ति रक्तदान कर सकता है। उसके खून में से प्लाज्मा निकाला जाता है और प्लाज्मा में मौजूद एंटीबॉडी जब किसी दूसरे मरीज में डाला जाता है तो बीमार मरीज में यह एंटीबॉडी पहुंच जाता है, जो उसे ठीक होने में मदद करता है। एक शख्स से निकाले गए प्लाज्मा की मदद से दो लोगों का इलाज संभव बताया जाता है। कोरोना निगेटिव आने के दो हफ्ते बाद वह प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। ……जारी