रेल मंत्रालय की वादा खिलाफी : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारीसे लेकर रेल मंत्री पीयूष गोयल तक लगाई गुहार

बीते 26 सालों से नौकरी की आस लगाए बैठा है संजय , रेल मंत्रालय की वादा खिलाफी , पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी से लेकर रेल मंत्री पीयूष गोयल तक लगा चुका है गुहार ….

” संगत गुण महा कोढ़ी , ज्यादा नही तो थोड़ी-थोड़ी ” ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी की सांगत का कुछ न कुछ प्रभाव आदमी के व्यक्तित्व पर पड़ता ही है ! पत्रकार जगत से नजदीकी रिश्ते और पत्रकारों की सांगत का असर ही था की अखबार विक्रेता संजय कुमार बरनवाल ने अपनी सूझ बूझ से हजारों लोगों की जान बचाई वहीं सरकारी सम्पति का नुक्सान होने से बचाया ! उसके एवज में उसे रेल मंत्रालय की ओर से बतौर उपहार नौकरी के आश्वासन के अलाबा कुछ नही मिला रेल मंत्रालय  से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई से लेकर तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल तक संजय कुमार गुहार लगा चुका है ! परन्तु हाथ कुछ नही लगा ! आज भी अखबार विक्रेता संजय कुमार बरनवाल इस उम्मीद में है की कहीं तो कोई रेल मंत्रालय द्वारा दिए आश्वाशन को गंभीरता से लेगा ! इसी आस में संजय ने 26 साल गुजार दिए है ….

1996 में जम्मू तवी सियालदह एक्सप्रेस को दुर्घटना होने से बचाया था

22 मार्च 1996 को 3152 जम्मू तवी-सियालदह एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे अखबार विक्रेता संजय कुमार बरनवाल ने अपने सूझबूझ से ट्रेन को दुर्घटनाग्रस्त होने से बचाया था।इस घटना की जांच के उपरांत रेल मंत्रालय ने संजय बरनवाल को उपहार के स्वरुप रेलवे में नौकरी देने का आश्वासन दिया था।

लेकिन 26 साल बीत जाने के बावजूद भी आज तक उन्हें नौकरी नहीं मिली। रेलवे द्वारा दिए गए आश्वासन को लेकर कई बार रेल मंत्रालय का चक्कर काटना पड़ा। परंतु ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ हुई। कई बार संजय ने रेल मंत्रालयको उसके द्वारा दिए आश्वासन की याद दिलाते हुए पत्र लिखकर नौकरी देने की मांग की है ।

इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार, पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद,राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रेल मंत्री पीयूष गोयल जैसे कई मंत्रियों सांसदों, विधायकों एवं जिला अधिकारी से नौकरी की गुहार लगाई है।

वहीं प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति कार्यालय से ही मामले में कार्रवाई का निर्देश वर्षों पूर्व दिया गया था। इसके बावजूद आज तक संजय पर रेल मंत्रालय ने कोई रहमदिली नहीं दिखाई। जिससे वे काफी मायूस दिख रहे हैं।उन्होंने बताया कि घटना के 26 साल बीत जाने के बाद नौकरी की आस लगाए बैठे हैं।