रीति नीति और प्रीति सफलता की सीढियां होती हैं….

शासकीय महाविद्यालय सौंसर द्वारा अपने प्राध्यापक व पी.जी.कॉलेज छिंदवाड़ा के पूर्व प्राचा सेवानिवृति समारोह को ऑनलाइन वेबिनार के माध्यम से “प्राचार्य हो तो ऐसा” थीम पर मनाया गया जिसमें संपूर्ण देश से लेकर दुबई तक के शुभेच्छु सहभागियों ने प्रो. जैन के वैविध्यपूर्ण जीवंत व्यक्तित्व पर अपने विचार रखे। उच्चशिक्षा विभाग भोपाल में पदस्थ उपसंचालक राजीव जैन ने प्रो.यू.के. को जीवन भर विद्यार्थी की तरह सीखने वाला, संकट मोचक व स्पष्टवादी इंसान कहकर दूसरी पारी खेलने की शुभकामनाएं दी। संचालनकर्ता प्रो. अमर सिंह ने प्रो. जैन को तिनका तिनका सीखकर फर्श से अर्श तक के सफर के संघर्ष की यात्री कहा।, पी जी कॉलेज प्राचार्य प्रो. अमिताभ पांडे ने प्रो. जैन को सौजन्यता, निष्पक्षता और हृदय में सबके लिए जगह रखने वाले कोशिशकरने वाला जीवट इंसान कहा। गर्ल्स कॉलेज प्राचार्य प्रो. कामना वर्मा ने प्रो.जैन को कभी हार न मानने वाले, सर्वोत्कृष्ट सलाहकार और अथक परिश्रम करने का पर्याय बताया….

प्रो. यू.के. जैन ने अपने धन्यवाद ज्ञापन उद्बोधन में कहा कि रीति नीति और प्रीति सफलता की सीढियां होती हैं। विषय का गहरा हुनर व्यक्ति की कदर बढ़ाता है। कर्मनिष्ठा, व्यावहारिक ज्ञान और लगन कार्यसिद्धि के मूलमंत्र हैं। प्रो. सी. के. जैन ने प्रो. जैन को कभी न थकने वाले, मर्यादित आचरण के धनी एवं पौरुष से प्रारब्ध बनाने वाली शख्सियत करार दिया। प्रो. राकेश श्रीवास्तव ने प्रो. जैन को अनुपम अनुभवी शक्ति, जीवन मूल्यों व व्यावहारिक ज्ञान का पुरोधा कहकर शुभकामनाएं दीं। बालाघाट पीजी कॉलेज के प्रो.गोविंद सिरसाटे ने प्रो.जैन की सहजता, सुलभता व कथनी करनी में एक सभ्यता की भूरि भूरि प्रशंसा की। परासिया कॉलेज के प्राचार्य प्रो.पी.आर.चंदेलकर ने प्रो. जैन को सांस्थानिक सोच का भौतिक शास्त्री प्राध्यापक, सिवनी कॉलेज के प्राचार्य प्रो.सतीश चिले ने दूसरे के परिप्रेक्ष्य की समझ रखने वाले और बिछुआ कॉलेज के प्राचार्य प्रो.आर.पी.यादव ने सतत ऊर्जावान, अवधारणात्मक ज्ञान और समावेशी विकास का परिचायक।एम बताया। तामिया कॉलेज के प्राचार्य प्रो. महेंद्र गिरी ने प्रो.जैन को करिश्माई व्यक्तित्व में समाया एक बेहतरीन दोस्त, दार्शनिक व मार्गदर्शक कहा। प्रो. लक्ष्मीचंद ने प्रो. जैन को छोटे किंतु सशक्त हस्ताक्षर वाले, इच्छाशक्ति का ब्रह्मास्त्र और करुणाभरी उदारता वाला व्यक्ति कहा। प्रो. डी. डी. विश्वकर्मा ने प्रो. जैन को कर्म कौशल में सक्षम, मितभाषी, समय प्रबंधनक व दुर्लभ मानवीय गुणों से विभूषित व्यक्तित्व कहा। प्रो. प्रतिभा श्रीवास्तव ने प्रो. जैन को समाजीकरण की संस्कृति में पगा हुआ मूल्यवान हीरा, प्रो. एस.आर. शर्मा ने मितभाषी, मृदुभाषी, मानवीय, अहिंसक वृत्ति, स्पष्टवक्ता, व धर्मपरायण, प्रो. राजेंद्र मिश्र ने दूसरों के परिप्रेक्ष्य को समझने वाले, सहनशीलता की लेखन कला में निपुण, प्रशासनिक ड्राफ्टिंग में माहिर और प्रो.तृप्ति मिश्रा ने दूसरों को श्रेय देने में सुख लेने वाले, सारे खतरे अपने ऊपर लेने व सभी से काम करवा लेने वाले एक बेहद उम्दा इंसान कहा।

प्रो. बिंदु शुक्ला नेप्रो. जैन को दूसरों की रुचियों को जानने वाले, प्रो. अर्चना मैथ्यू ने छात्र हितों को सर्वोपरि रखने वाले, चिंतक प्रदीप जैन स्नेही ने सहृदय सहनशील व साहित्यकार मनीषा जैन ने तुरंत निर्णय लेने की क्षमता वाला सक्षम व्यक्तित्व बताया। प्रो. रूपेश कपाले ने प्रो. जैन को उदारता, संस्थानात्मक विकास का पैरोकार व पारदर्शी सोच का प्रशासक कहा। सुषमा जैन ने प्रो. जैन को रिश्तेदारों के सच्चे सलाहकार, धार्मिक कार्यों में निष्णात, संतुलित चिंतन का धनी बताया। मोहित जैन ने प्रो. जैन को राह का सच्चा साथी, स्नेहिल और सबका अपना इंसान कहा।प्रो. सुशील पटवा ने प्रो. जैन को परिश्रम की मिसाल, प्रो. नीलिमा जैन ने कर्म के जुनूनी पति, बेटे नीरज ने व्यावसायिक दक्षता, बहू प्राची ने द्वंद्व समाधान, दामाद वैभव ने जीवन प्रबंधन और बेटी नेहा ने आत्मतुष्टि, बच्चों के भाग्य निर्माता, संस्कार देने वाले काबिल पिता कहकर आशीर्वाद लिया। प्राचार्य डॉ. डी. के.इंदौरकर ने प्रो. जैन को स्नेहिल पिता सदृश प्रेरक मार्गदर्शक, प्रो.विजय मंडराह ने शैक्षिक आयोजनों के प्रबल समर्थक व प्रो.बलराम सिंगोतिया ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। वेबिनार विदाई समारोह में लगभग चालीस वक्ताओं ने अपने अनुभव साझा किए।