मार खाने के बाद भी नही सुधरा मा. बलात्कारी रेन्जर …

रेंजर सुरेन्द्र सिंह राजपूत एक ऐसा नाम , जिसने पूरे वनविभाग को शर्मसार करने का काम किया है ? आज कोई भी वरिष्ठ विभागीय अधिकारी इस पर बात करना नही चाहता है ! वजह इस शख्स की बेजा हरकते ! जो हमेशा से ही शर्मसार करने बाली रही है ! इसबार तो इसने हद ही पार कर दी ! अपने अधीनस्थ महिला कर्मचारी को लम्बे समय से मानसिक बलात्कार ,अपमानजनक कृत्य, पीड़ादायक व्यबहार करने का काम कर रहा था ! मानसिक बलात्कार से पीड़ित इस बेचारी अबला ने किसी तरह अपनी अस्मत को तारतार होने से बचाव कर इस कामपिपासु रेंजर की हरकतों का विरोध कर जिले के वरिष्ठ अधिकारी जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को अपनी आपबीती बयाँ कर इस मानसिक बलात्कारी रेन्जर की लिखित शिकायत कर इसके चेहरे से शराफत का नकाब उतार डाला ?

 इसके साथ साथ बेनकाब तो वन विभाग के पूर्व और वर्तमान वनमंडलाधिकारी भी हो गये ? वो ऐसे की पीड़ित महिला कर्मचारी द्वारा लगातार अपने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को इस कामपिपासु ,वासना के पुजारी रेन्जर की हरकतों से समय समय पर सूचित किया जाता रहा है ? बावजूद इसके इन निकम्मे अधिकारियों ने कोई दंडात्मक कार्यवाही ना कर इसकी बेजा हरकतों को प्रोत्साहित करने का काम अप्रत्यक्ष रूप से किया है ? यह कहा जय तो अतिशयोक्ति नही होगा की बेचारी अबला के मानसिक बलात्कार के दोषी वनविभाग के निकम्मे वरिष्ठ अधिकारी भी है ? क्यों न इन्हे भी सहअभियुक्तों की श्रेणी में रख कर इनके विरुद्ध की दण्डात्मक कार्यवाही करना चाहिए ? शायद यही वजह है की आज भी इस वासना के पुजारी रेंजर सुरेन्द्र सिंह राजपूत पर कोई विभागीय कार्यवाही नही हुई है ! तो क्या यह समझा जाए की अबला पर सामूहिक मानसिक बलात्कार में ये सभी सहभागी रहे है ?

पीड़ित महिला ने बताया कि  कर्मचारियों का पुरुष सहकर्मियों के साथ काम करना कितना कठिन और असुरक्षित हो गया है इसकी एक बानगी देखिये की किस तरह एक अधिकारी अपने अधीनस्थ महिला कर्मचारी के साथ अश्लील वार्तालाप और गंदे इशारे करके योनिक हिंसा कर उस पर अनैतिक कार्य करने के लिए लगातार दवाव बना रहा है बबजूद इसके की इस वनपरिक्षेत्र अधिकारी की पूर्व में शिकायत होने पर वरिष्ठ अधिकारी द्वारा चेतावनी देने के बाद भी इस अधिकारी की पूर्व वन मंडल छिंदवाड़ा मे पदस्थ वनपरिक्षेत्र अधिकारी सुरेंद्र सिंह राजपूत पर उनके अधीनस्थ वनपरिक्षेत्र कार्यालय मे पदस्थ आदिवासी महिला कर्मचारी ने बुरी नियत रखकर अश्लील वार्तालाप और गंदे इशारे करके छेड़छाड़ करने की जांच कर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग करते हुए पुलिस अधीक्षक छिंदवाड़ा कलेक्टर छिंदवाड़ा प्रमुख सचिव गृह मध्य्प्रदेश  राज्य महिला आयोग राष्ट्रीय महिला आयोग राज्य मानवाधिकार आयोग ,प्रधान मुख्य वन संरक्षक मध्य प्रदेश सहित विभग के वरिष्ठ अधिकारिओ को शिकायत देकर कार्यवाही करने की मांग की है महिला कर्मचारी ने अपने शिकायती आवेदन में अनुरोध किया है की वह वह  अनुसूचित जनजाति(विशेष जनजाति भारिया)समाज की महिला है  और  वर्तमान मै पूर्व वनमंडल वन परिक्षेत्र छिंदवाड़ा में लिपिक पद पर कार्यरत हूँ एवं  छिंदवाड़ा मे शासकीय  क्वार्टर मे अकेली रहती है  उसके  साथ पिछले वर्ष लावाघोघरी  दक्षिण वन मण्डल से स्थानांतरित होकर छिंदवाड़ा वन परिक्षेत्र मे आये वनपरिक्षेत्र अधिकारी सुरेंद्र सिंह राजपूत द्वारा पदस्थापना दिनांक  से ही बुरी नियत से बार बार प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था ? उसके  द्वारा उसे कई बार समझाइश देकर अपने उच्च अधिकारिओ को मौखिक शिकायत की गयी थी जिस पर उन्होंने सुरेंद्र राजपूत को फटकार लगाकर दुबारा कोई भी हरकत नहीं करने की धमकी देकर भगा दिया गया था उसके बाद से ही सुरेंद्र सिंह राजपूत द्वारा इस महिला कर्मचारी को फील्ड निरिक्षण करने  अपने साथ चलने को दबाब बनाया  जाता था जो की नियम  के एकदम विरूद्ध है यह रेंजर अक्सर शराब के नशे मे शाम को अपने घर पर इस महिला को  डाक लेकर बुलाता था ओर  यह कहता था की चौकीदार को साथ मे क्यों  लेकर आती हो

इस अधिकारी ने 4 सितम्बर 2020  को इस महिला का हाथ अपने आफिस के चेंबर मे दस्तखत करते समय पकड़ लिया और  यह बोला की मै तुम्हे मालामाल कर  कर दूंगा मेरी बात मानोगी तो सब कुछ ठीक होगा और यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है और में यदि तुम्हे सबके सामने डांट भी दूंगा तो उसका बुरा नहीं मानना इससे कर्मचारियों को भी समझ नहीं आएगा और किसी को शक भी नहीं होगा इतना कहने पर इस महिला ने वनपरिक्षेत्र अधिकारी सुरेंद्र सिंह राजपूत को जोरदार चांटा मार था ! उसके बाद से सुरेंद्र सिंह राजपूत ने और भी ज्यादा परेशान करना प्रारम्भ कर दिया इससे वह बहुत अधिक परेशान  हो गयी महिला कर्मचारी का कहना है की वन परिक्षेत्र अधिकारी सुरेंद्र राजपूत ने उसका  जीना हराम कर दिया है यह उसे अब और  भी अधिक प्रताड़ित कर रहा है इससे वह बहुत अधिक मानसिक  तनाव मै आ गयी है  चूँकि वक् अनुसूचित जनजाति भरिया समाज जो की विशेष जनजाति की श्रेणी में आती है अकेली महिला होने का नाजायज फायदा उठाकर अनैतिक काम करने का जबरन दबाब बनाया जाकर पद का दुरूपयोग कर रहा है  इस अधिकारी के विरुद्ध तत्काल आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग महिला ने की है जब महिला कर्मचारी को विभागीय स्टार पर किसी भी तरह की सहायता नहीं मिली तब मजबूर होकर उसने पुलिस अधीक्षक सहित उच्च अधिकारिओ को शिकायत की है  सबसे अधिक आश्चर्य जनक बात यह है की इस विभाग में महिलाओ के साथ होने वाले उत्पीड़न के लिए  विभागीय स्तर पर कोई भी समिति नहीं बनी है जबकि यह माननीय सर्वोच्च न्यायालय की विशाखा गाइड लाइन के अंतर्गत विभागों में इंटरनल एवं एक्सटर्नल कमेटी का गठन किया जाकर इन प्रकरणों में जांच की जानी चाहिए   परन्तु ऐसा नहीं किया जाकर अधिकारी मनमानी कर रहे है उन्हें कानून का कोई भी खौफ नहीं है देखना अब यह है की  इस विशेष जनजाति आदिवासी महिला के साथ क्या न्याय होता है ?