भाजपा को 18 वर्ष बाद आदिवासीयों व उसके महानायकों की याद आ रही है..

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि जो भाजपा आज खुद को आदिवासी वर्ग का सबसे बड़ा हितेषी बता रही है, उसकी आदिवासी वर्ग के प्रति सोच व आदिवासी विरोधी मानसिकता आज अनुपूरक बजट से सामने आ गयी है। द्वितीय अनुपूरक अनुदान 2021-22 मैं व्यय के लिए जारी अनुसूची में कुल 2,15,84,58,40,645 रूपये की राशि में से जनजातीय कार्य के लिए मात्र 400 रूपये की राशि का प्रावधान कर ,शिवराज सरकार ने बता दिया है कि आदिवासी वर्ग के प्रति उनकी सोच क्या है, वह उनका कितना भला चाहती है, उनके उत्थान, हित व कल्याण के लिए वह कितनी गंभीर है, इस वर्ग के विकास के लिए उसकी सोच क्या है ?

श्री नाथ ने कहा कि जो भाजपा सरकार सिर्फ चुनावो को देखते हुए आदिवासी वर्ग को लुभाने-साधने के लिए भोपाल के जंबूरी मैदान में जनजातीय गौरव दिवस मनाने के नाम पर 100 करोड रुपए लूटा देती है, जो आदिवासी उपयोजना की करोड़ों रूपयों की राशि को सिर्फ इस आयोजन के लिए परिवहन, खाने, नाश्ते के नाम पर उड़ा देती है, इस आयोजन के प्रचार-प्रसार पर ही करोड़ों रुपए खर्च कर देती है, वह जनजातीय कार्य के लिए आज अनुपूरक बजट में मात्र 400 रूपये की राशि का प्रावधान कर ,इस वर्ग के प्रति अपनी सोच को बया कर रही है ?
वह भाजपा जिसे चुनावो को देखते हुए आज 18 वर्ष बाद आदिवासी वर्ग व उसके महानायकों की याद आ रही है।आज एक तरफ रानी कमलापति के नाम पर हबीबगंज रेल्वे स्टेशन का नामकरण किया जाता है, वहीं दूसरी ओर खुद मुख्यमंत्री के क्षेत्र में रानी कमलापति की आखिरी निशानी गिन्नौरगढ़ का किला अपनी दुर्दशा पर वर्षों से आंसू बहा रहा है, यह भाजपा की हकीकत है।
आज आदिवासी महानायकों के नाम पर आयोजन कर ,करोड़ों रूपये लुटाये जा रहे है, यदि भाजपा सरकार इस राशि का उपयोग आदिवासी वर्ग के कल्याण व उत्थान के लिए करती तो शायद इस वर्ग का भला हो सकता था।

श्री नाथ ने कहा कि कांग्रेस शुरू से ही कहती आ रही है कि यही भाजपा का दोहरा चरित्र है, वह कभी भी आदिवासी वर्ग का भला नहीं चाहती है। सिर्फ चुनावों को देखते हुए उसे आज आदिवासी वर्ग की याद आ रही है। जब से मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार आई है, आदिवासी वर्ग पर उत्पीड़न और दमन की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। इसके गवाह हाल ही के एनसीआरबी की रिपोर्ट के आंकड़े हैं, जिसमें मध्यप्रदेश का नाम आदिवासी उत्पीड़न व अत्याचार की घटनाओं में देश में शीर्ष राज्य के रूप में सामने आया है। चाहे नेमावर की घटना की बात करें या नीमच व खरगोन की घटना की बात करें, आदिवासी वर्ग इस सच्चाई को जानता है कि भाजपा सरकार में किस प्रकार आज इस वर्ग का दमन हो रहा है और उसकी कही कोई सुनवाई नहीं हो रही है और इस वर्ग को ना न्याय मिल पा रहा है तथा ना ही पीड़ित परिवारो की मुख्यमंत्री से लेकर किसी भी जिम्मेदार भाजपा नेता ने आज तक कोई सुध ली है।

श्री नाथ ने कहा कि हमने अपनी सरकार में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर अवकाश घोषित किया था, जिसको शिवराज सरकार ने आते ही निरस्त कर दिया। हमने इस दिवस को मनाने के लिए 89 विकासखंडों में एक-एक लाख रूपये की राशि प्रदान की थी, जिस पर भी शिवराज सरकार ने आते ही रोक लगा दी। हमारी सरकार ने आदिवासी वर्ग के उत्थान व कल्याण के लिए कई योजनाओं की शुरुआत भी की थी, चाहे उन्हें बर्तनों के लिए राशि देने की बात हो या उनके जन्म से लेकर मृत्यु के समय अनाज देने की बात हो ,उनकी छात्रवृत्ति को बढ़ाने की बात हो या उनके होस्टल व छात्रावास के विकास की बात हो, हमारी सारी योजनाओं पर शिवराज सरकार ने आते ही रोक लगा दी।
श्री नाथ ने कहा कि भाजपा तो सिर्फ चुनावी एजेंडे के तहत आज आदिवासी वर्ग को लुभाने और साधने के लिए तमाम आयोजन कर रही है, उनके महानायकों को याद कर रही है, झूठी घोषणाएं कर रही है। पिछले 18 वर्षों में भाजपा को आदिवासी वर्ग की कभी याद नहीं आयी, लेकिन आज के अनुपूरक बजट में जनजातीय कार्य के लिए मात्र 400 रूपये की राशि के प्रावधान से भाजपा की असली तस्वीर सभी के सामने आ चुकी है कि उसकी इस वर्ग के प्रति क्या सोच है व क्या मानसिकता है ?