“बेरोजगार वे हैं जो अपना हुनर सिद्ध न कर सकें:” प्रो. अमर सिंह 

छिंदवाड़ा:  वीर सपूत चंद्रशेखर आज़ाद की 116 वीं जन्मजयंती पर आयोजित व्याख्यान में प्रतिभागी छात्रों का मार्गदर्शन करते हुए प्राचार्य डॉ. अमिताभ पांडे ने कहा कि आजादी के दीवानों के बलिदान से युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा लेनी चाहिए। प्रो. लक्ष्मीचंद ने विषयों के उद्घाटन करते हुए कहा कि हमारी हर आजाद सांस आजादी के दीवानों के बलिदान की अनमोल कीमत चुकाकर संभव हुई है..
प्रो. अमर सिंह ने नौकरीपेशा या स्वरोजगार परे सोच विषय पर बोलते हुए कहा कि बेरोजगारी का रोना वह रोए जो अपना हुनर सिद्ध न कर सके। प्रो. अर्चना सुदेश मैथ्यू ने राजनीति में युवा विषय की सार्थकता पर कहा कि राजनीति किसी काम को करने की सबसे कम खर्चीली युक्ति होती है, जिसे आज गलत अर्थों में लिया जाता है। प्रो. टीकमणि पटवारी ने प्रतिभागियों को आधुनिक डिजिटल तकनीक माध्यम से संप्रेषण कौशल विकास से अपना कैरियर संवारने पर बल दिया। प्रो. महेंद्र साहू ने कहा कि धरा पर हमारा आचरण अगर नैसर्गिक नहीं रहा तो प्रकृति के कहर से सब धरा का धरा रह जाएगा। छात्र वक्ताओं में विकास टेखरे, आयुषी, नवीन, प्रतिमा और लोकेश ने सबसे प्रबल तरीके से दिए गए विषय पर अपने विचार रखे। निर्णायक की भूमिका का निर्वहन प्रो. लक्ष्मीकांत चंदेला, प्रो. जगमोहन पूषाम, प्रो. ऋतु शर्मा, प्रो. निधि डोडानी और प्रो. मीनाक्षी कोरी ने किया।