बताओ कहाँ मिलेंगे ………

बताओ कहाँ मिलेंगे श्याम , बताओ कहाँ मिलेंगे श्याम !

चरण पादुका लेकर सबसे पूछ रहे रसखान, बताओ कहाँ मिलेंगे श्याम !!

प्रगतिशील विचारधारा से ओतप्रोत कृष्ण प्रेमी महाकवि रसखान अपने आराध्य नटखट बाल गोपाल भगवान श्री कृष्ण के नंगे पांव चोटील न हो जाये उनके लिए चरण पादुका लेकर बावरे से यहाँ वहां ढूंड रहे है और नटखट गोपाल का कहीं पता नही है की वे आखिर कहाँ चले गये है ? प्रेमी की विरह पीड़ा को कवि ने व्यक्त किया है जो बड़ा ही हृदयविदारक और मर्मस्पर्शीय है , ठीक ऐसा ही कुछ छिन्द्वाडा जिले के विधानसभा क्षेत्र अमरवाड़ा की जनता के हालात इन दिनों कुछ ऐसे ही है ! वे अपने लाडले विधायक और गोंड राजाओं के वंशज कुंबर कमलेश शाह के लापता हो जाने पर विरह पीड़ा में पक्षघात सी स्थिति में है और उनका पता खोज खबर में रात दिन एक किये हुए है ………….राकेश प्रजापति 

लंबे समय से जनप्रतिनिधि का इस तरह अपने क्षेत्र में ना होना , वह लोग जिन्होंने उन्हें अपना अमूल्य वोट देकर अपना जनप्रतिनिधि चुना हो और वही बिना बताये उसी जनता के बीच ना हो इस तरह का कृत्य लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप तो बिल्कुल ही नहीं कहा जा सकता !

जनप्रतिनिधि को जनता के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए, जनता अब निर्बुद्धि नही रही बह सब समझने लगी है ! उनका मानना और  देखना कितना चिंताजनक व दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रत्याशियों का चयन योग्यता व लोकप्रियता के आधार पर कम जातीय गुणा-भाग के आधार पर अधिक होने लगा है । कई बार योग्य प्रत्याशियों को पार्टियों से टिकट नहीं मिल पाता जबकि खास संबंध रखने वाले ऐसे लोग टिकट पा जाते हैं जिनके पास कुछ करने या समझने की इच्छा शक्ति ही नहीं रहती। ऐसे में जुगाड़ के सहारे टिकट पाने वाले लोग आम जनता के प्रति कितने जवाबदेह होंगे , यह आसानी से समझा जा सकता है ?

जनप्रतिनिधि ऐसा होना चाहिए जो चुनाव के बाद भी आम जनता के बीच उसी मनोभाव के साथ नजर आए, जैसा वह निर्वाचित होने से पहले दिखते रहते हैं। आमतौर पर होता यह है कि निर्वाचित होने के बाद जनप्रतिनिधियों से मिल पाना आसान नहीं होता। इसे लेकर ही जनप्रतिनिधियों व जनता के बीच की दूरी बढ़ने लगती है। जनप्रतिनिधियों को इससे उबरना होगा। उन्हें पार्टी या कुछ खास लोगों के प्रति जवाबदेह होने के बजाए जनता के प्रति जवाबदेह होना होगा। इन आदर्शो के व्यापक मापदंडो के अनुरूप ही राजनैतिक दलों और राजनेताओं को अपनी गिरती गरिमा को बचाने का पुरजोर प्रयास करना ही होगा ? खैर …

फिलहाल तो अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र की जनता छोटे-छोटे कामों के लिए परेशान और खून के आसूं बहा  रही है और अपने लापता विधायक के विरह में उनके लबों पर सुनने को मिल रहा है “ महबूब मेरे , महबूब मेरे ,तू है तो दुनिया कितनी हंसी है, जो तू नहीं तो कुछ भी नहीं है ……  जारी