फेसबुक लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश में ….

फेसबुक के खिलाफ कांग्रेस ने संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भारत में फेसबुक प्लेटफॉर्म पर अभद्र भाषा पोस्ट के खिलाफ कार्रवाई शुरू नहीं करने पर सोशल मीडिया दिग्गज की आंतरिक रिपोर्ट का मुद्दा उठाते हुए कहा कि फेसबुक ने खुद को एक फेकबुक में बदल दिया है।कांग्रेस ने फेसबुक पर भारत के चुनावों को प्रभावित करने और लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया है। आरोपों पर फेसबुक इंडिया की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई….

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने यह भी आरोप लगाया कि फेसबुक सत्तारूढ़ भाजपा के सहयोगी के रूप में काम कर रहा है और अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है। खेड़ा ने फेसबुक पर काम कर चुके व्हिसलब्लोअर फ्रांसेस हौगेन के शोध दस्तावेजों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि उसने हिंदी और बांग्ला में इस तरह के घृणास्पद पोस्ट करने वालों के खिलाफ कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं की। 

उन्होंने आरोप लगाया कि फेसबुक की आंतरिक रिपोर्ट ने 10 लाख से अधिक नकली खातों की पहचान की है, फिर भी इसने इसके बारे में कुछ नहीं किया। खेड़ा ने कहा कि हम अपने चुनावों को प्रभावित करने में फेसबुक की भूमिका की जांच के लिए जेपीसी जांच की मांग करते हैं। 

उन्होंने आरोप लगाया कि फेसबुक लोगों की राय को फर्जी पोस्ट के माध्यम से हमारे लोकतंत्र से समझौता करने और कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा कार्यकर्ताओं और उसके सहयोगियों ने फेसबुक के ढांचे और कामकाज में घुसपैठ की है। उन्होंने कहा, फर्जी पोस्ट, तस्वीरों और कहानियों से फेसबुक को एक विशेष विचारधारा को आगे बढ़ाने का क्या अधिकार है। यह चौंकाने वाली बात है कि फेसबुक द्वारा केवल 0.2 प्रतिशत अभद्र भाषा को हटाया गया। भारत से सबसे अधिक पैसा बनाने के बावजूद उसके पास तंत्र नहीं है कि हिंदी या बंगाली में पोस्ट को किस तरह फ़िल्टर किया जाए। 

खेड़ा ने कहा कि भारत में केवल नौ प्रतिशत उपयोगकर्ता अंग्रेजी में हैं और फिर भी उनके पास क्षेत्रीय भाषाओं के पोस्ट, कंटेंट को फिल्टर करने की व्यवस्था नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली दंगों और पश्चिम बंगाल चुनावों के दौरान फेसबुक की भूमिका संदेह के घेरे में रही है। उन्होंने कहा कि फेसबुक की भूमिका को अब चूक की गलती के रूप में खारिज नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ये जानबूझकर सत्ताधारी पार्टी और उसकी विचारधारा के एजेंडे को आगे बढ़ा रही है जो नफरत भरी, कट्टरता और समाज को बांटने वाली है।