प्रशासनिक असहयोग की बलि चढ़ी, राष्ट्रीय बूमरैंग चैंपियनशिप प्रतियोगिता ….

छिन्दवाड़ा जिले के लिए यह गौरव कला विषय है की यहाँ की माटी  से जुड़े और जन्मे हथियार जो देश काल परिस्थितियों के मुताबिक अब खेलो का रूप ले चुके है ! यह खेल जो पहले जंगलो में हिंसक जंगली जानवरों के बीच रहने बाले बालक जिसे पूरी दुनिया मोगली के नाम से जानती है उसके द्वारा ईजाद किया गया था !जिसे लोग बूमरिंग के नाम से जानते है  इस खेल को व्यापक प्रचार प्रसार  और इसके इतिहास से रूबरू कराने के उद्देश्य से भारत के प्रथम पंजीकृत बूमरैंग खेल संगठन, इंडो-बूमरैंग एसोसिएशन ने प्रथम राष्ट्रीय बूमरैंग चैंपियनशिप का आयोजन बीते दिनों इंदिरा गाँधी क्रिकेट मैदानमें किया गया । परन्तु इसे दुर्भाग्य ही कहा  जाएगा की प्रशासनिक असहयोग के चलते यह रास्ट्रीय स्पर्धा महज ओपचारिक ही रहा गयी  ! आयोजको ने तो पूरे जी जान से इस आयोजन के लिए मेहनत की परन्तु प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मिडिया को विज्ञापन ना देने की सामर्थ ने इस एक दिवसीय  टूर्नामेंट  को कवरेज न देना इस खेल के साथ तो अन्याय किया ही , साथ ही जिले के प्रतिभावान खिलाडियों के उज्ज्वल भबिष्य को भी पलीता लगाने का काम लिया है ! क्या यह अक्षम्य अपराध की श्रेणी में नही आयेगा ? भले ही इस अपराध के लिए जिले की जनता इन्हे माफ़ भी कर दे परन्तु इनका जमीर एक ना एक दिन जरुर धिक्कारेगा ? अब जनता को इसका जबाव लेना ही होगा ? क्या पैसो की खातिर खेल और खिलाडियों के भबिष्य के साथ दुर्दमनीय व्यबहार शोभा देता है …….?
दुनिया भर में भर खेला जाने वाला बूमरैंग का खेल आई. एफ. बी. ए. (इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ बूमरैंग एसोसिएशंस) द्वारा शासित एक अंतर्राष्ट्रीय खेल होने के साथ-साथ एक आदिवासी उपकरण के रूप में हमारे देश की एक सांस्कृतिक विरासत भी है, जिसे हमारे बहुत ही मनपसंद जंगल के लड़के मोगली द्वारा उपयोग किया गया था।वहीं से प्रेरित हो इस हथियार या खेल का जन्म हुआ और कालान्तर में इसे बूमरिग के नाम से जान  जाता है !
बूमरिग एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष श्री विवेक मौंट्रोज़ को गोंड समुदाय ने प्रेमपूर्वक जीन्स वाला मोगली की उपाधि दी है, जिनका उद्देश्य भारत के लिए एक राष्ट्रीय टीम का निर्माण करना है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का इस खेल में प्रतिनिधित्व कर सके, और अगले डब्ल्यूबीसी में भाग ले सके। इस प्रतियोगिता के परिणाम से भारत की प्रथम बूमरैंग टीम की चयन होगा। इस चैम्पियनशिप में देश भर के १२ प्रदेशो  से लगभग 31 खिलाडियों ने भाग लिया। इसमें १३ साल के बालक के साथ ५४ साल के खिलाड़ी  तक शामिल थे !
   दिन भार चली इस प्रतियोगिता में विजेता खिलाडियों में एक्यूरेसी (accuracy) श्रेणी में भोपाल, एम्.पी. के सम्भव सिंह श्याम, औज़ी राउंड (aussie round) में भोपाल के ही यश शुक्ला, दुतीय स्थान पर  जिले के  हरिओम सूर्यवंशी  रहे ! एन्ड्युरेंस (endurance) में स. बालाचंदर जो तमिल नाडू से हैं, ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
विवेक जी के साथ आदिवासी कला एवं संस्कृति केंद्र ने भी इस कार्यक्रम में सहयोग किया। आई. बी. ए. ने इस चैंपियनशिप से भारत की गिनती आई. एफ. बी. ए. में करा ली है ।