प्रदेश में महफूज नही है बेटा-बेटियां ….

प्रदेश में क़ानून व्यवस्था के हालात बाद से बदतर हो गये है ! खासकर महिला अपराधो को पुलिस प्रशासन भी गंभीरता से नही ले रहा है ! प्रदेश के मुखिया अपने आप को प्रदेश की बच्चियों को मामा कहते है परन्तु मामा के रहते और वह भी मुख्यमंत्री , बच्चियों को मानसिक शारीरिक और आर्थिक रूप से कही भी मामा का संरक्षण प्राप्त होता दिखाई नही पड़ रहा है ! मौजूदा हालात इस बात की गवाही दे रहे है ! बच्चियों से बलात्कार और छेड़छाड़ रोजमर्रा की कहानी हो गई है ! जिसके चलते बच्चियों की जीना मुहाल हो गया है …. 

बच्चे  किसी  भी प्रदेश और देश का भविष्य होते  हैलेकिन मप्र में यह भविष्य सुरक्षित नहीं है। प्रदेश में बच्चों खासकर लड़कियों के अपहरण के मामले साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं। यहां से हर रोज करीब 23 लड़कियां लापता हो रही हैं। जनवरी 2021 से फरवरी 2022 के बीच (14 माह) में  एससीआरबी (स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरी) के  आंकड़ों का विश्लेषण करने पर यह तथ्य सामने आया कि इस दौरान प्रदेश से 10 हजार 66 बेटियों का अपहरण हुआ। 

 

 

हैरानी की बात यह है कि इंदौर-भोपाल में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने के बाद भी बेटियों के अपहरण की वारदातों में कोई कमी नहीं आई है। स्वच्छता में नंबर एक इंदौर बेटियों की सुरक्षा में पीछे है। यहां बेटियों के अपहरण की सर्वाधिक घटनाएं हुईं। प्रदेश के चार बड़े शहरों की तुलना करें तो दूसरे नंबर पर राजधानी भोपाल है। ग्वालियर में करीब 28 प्रतिशत तक अपहरण की वारदातें बढ़ी हैं।   

18 वर्ष से कम उम्र की किशोरियों का अपहरण सबसे अधिक हुआ। इसमें इंटरनेट मीडिया भी बड़ी वजह निकलकर सामने आई है। पुलिस अफसरों की मानें तो इंटरनेट मीडिया पर अंजान से दोस्ती भारी पड़ रही है। बहला-फुसलाकर ले जाने के मामले भी अधिक हैं। कई मामलों में तो करीबी ही अपहरण करने वाले निकले। 

वहीं दूसरी तरफ 2021 में मप्र में 10,648  बच्चे अपने परिवार से अलग हो गए। इसके अनुसार 2020 की तुलना में 2021 में मप्र  में लापता होने वाले बच्चों की संख्या में क्रमश: 20  फीसदी की वृद्धि हुई है। 

साल 2021 में मध्य प्रदेश में 29 में हर दिन बच्चे लापता हुए हैं। मप्र में 10,648 बच्चे अपने परिवार से अलग हो गए। 2020 में यह आंकड़ा 8,751 ही था। यह दावा चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) की ‘स्टेट्स रिपोर्ट ऑन मिसिंग चिल्ड्रन’ रिपोर्ट में किया गया है।आंकड़ों के अनुसार 2020 की तुलना में 2021 में मप्र  में लापता होने वाले बच्चों की संख्या में क्रमश: 20 फीसदी की वृद्धि हुई है। आइए…मप्र में लापता होने वाले बच्चों के बारे में सिलसिलेवार जानते हैं। 

 

 

मध्य प्रदेश: लापता बच्चों की संख्या में 26 फीसदी की बढ़ोतरी
मप्र में  2021 में हर दिन औसतन 29 बच्चे लापता हो गए। इनमें 24 लड़कियां और 5 लड़के शामिल हैं। हैरानी की बात तो यह है कि प्रदेश के जिन जिलों से रोजाना इतने बच्चे लापता हो रहे हैं, वे कोई छोटे जिले नहीं हैं। सफाई में लगातार नंबर वन रहने वाला इंदौर इस मामले में भी पहले नंबर पर ही है। इसके बाद भोपाल, धार, जबलपुर और रीवा का नाम आता है। सरकार के तमाम दावों और प्रयासों के बाद भी प्रदेश से लगातार बच्चे लापता हो रहे हैं। पिछले साल 11 महीनों के आंकड़े के अनुसार प्रदेश में 10,648 बच्चे लापता हुए हैं, जबकि 2020 में यह आंकड़ा 8,751 था। ऐसे में लापता बच्चों की संख्या में करीब 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। लापता हुए 10,648 बच्चों में से 8,876 लड़कियां हैं। 

क्राई नॉर्थ की क्षेत्रीय निदेशक सोहा मोइत्रा ने संस्था की रिपोर्ट पर कहा, यह गंभीर चिंता का विषय है कि लापता बच्चों की संख्या में लड़कियों की तादाद काफी अधिक है। यह पिछले पांच साल लगातार बनी हुई है। उन्होंने कहा, एनसीआरबी डेटा के अध्ययन में सामने आया कि देशभर में लापता होने वाले बच्चों की संख्या में बालिकाओं का अनुपात 2016 में लगभग 65 फीसदी था। 2020 में बढ़कर यह 77 फीसदी हो गया है।

 

मोइत्रा ने कहा मप्र में लापता बच्चियों की संख्या सबसे अधिक है। लड़कियों के लापता होने की घटना में घरेलू नौकरों की बढ़ती मांग, देह व्यापार, घरेलू हिंसा, दुर्व्यवहार और उपेक्षा सबसे बड़ा कारण है। कुछ मामलों में लड़कियां खुद ही घर से भाग जाती हैं। मोइत्रा ने यह भी कहा, लापता लड़कों की संख्या भी गंभीर चिंता का विषय है। कोरोना महामारी के दौरान असंगठित क्षेत्र में सस्ते श्रम की कमी के कारण बाल श्रम की मांग बढ़ गई है।

वहीं प्रदेश के पुलिस आयुक्त इंदौर हरिनारायण चारी मिश्रा का कहना है कि प्रदेश में महिलाओं व बच्चियों के अपहरण की सबसे ज्यादा वारदात इंदौर में हुई हैं, यह सही है। हमने ऑपरेशन मुस्कान और अन्य अभियान चलाकर बरामदगी भी सबसे अधिक की है। हमने ऐसे स्थान भी चिन्हित किए हैं, जहां से सबसे ज्यादा अपहरण की घटना हुई। अपहरण की घटना अधिक होने की वजह इंदौर की जनसंख्या अधिक होना है। इसके अलावा इंटरनेट मीडिया पर दोस्ती, अंजान से दोस्ती के बाद बहला – फुसलाकर ले जाने के भी कई मामले हैं। 

 

 

ग्वालियर एसपी अमित सांघी का कहना है कि ग्वालियर में महिला, बच्चियों के अपहरण की वारदात बढ़ी हैं, इसमें बड़ी वजह इंटरनेट मीडिया है। कई मामले ऐसे हैं, जिनमें इंटरनेट मीडिया पर दोस्ती हुई, फिर आरोपी किशोरियों को बहला-फुसलाकर ले गए। कई मामलों में दुष्कर्म भी हुए। हम इसे लेकर जागरूकता अभियान चलाएंगे, बरामदगी के लिए टीमें भी लगाई हैं। साभार : मिडिया रिपोर्ट