न्याय किसे मिलता है धर्म को या इंसानियत को ….?

प्रायश्चित के तौर पर सिर पर जूते रखे और गौमूत्र पिये , पंचायत ने किया उसका सामाजिक बहिष्कार …. २१ वी सदी के भारत,विकसित भारत , देश बदल रहा है , जैसे जुमले तो आपने सुने ही होंगे ! परन्तु २१ वी सदी के भारत में इंसानियत से ज्यादा धर्म को मान लिया जाय ? धर्म के नाम पर लोगों के घर उजाड़ दिए जायं ? उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाय ? जबकि इंसानियत के मर्म पर ही धर्म की बुनियाद टिकी हुई है ! तो क्या यह भी मान लिया जाय की इस धर्म निरपेक्ष देश का धर्म भी बदल रहा है ? तो यह भी मान लिया जाय की देश बदल रहा है ? प्रदेश में बीते 15 महीने छोड़ दिए जाय तो प्रदेश में भाजपा की सत्ता है ! मुखिया शिवराज सिंह चौहान सरकार चला रहे है ! यह राजनैतिक दल हिन्दू और हिंदुत्व का पैरोकार है ,फिर कैसे इस प्रदेश में बीते 17 सालों से राज करने के बाद भी यहाँ विकास क्यों दूर भागे जा रहा है ? गाहेबगाहे पाषण युग की तश्बीर सामने आ जाने से प्रदेश की प्रतिष्ठा धूमिल हो जाती है ? कहीं ऐसा तो नही की कर्जदार प्रदेश में विकास अपने पैर ज़माना ही नहीं चाहता है ,या फिर उसका वोटों के खातिर प्रदेश में प्रवेश निषेध है ? अब देखना होगा कि न्याय किसे मिलता है धर्म को या इंसानियत को ..? जो भी हो परन्तु इतना तो तय की मानवता लहुलुहान हुई है …राकेश प्रजापति 

प्रदेश के गुना जिले में एक हैरतअंगेज मामला सामने आया है। जिसे सुनकर आपको पाषाण युग की यादें ताजा हो जाएँगी ! मामला कुछ ऐसा है की एक परिवार ने मंदिर के लिए जमीन नहीं दी तो पंचायत ने उसका बहिष्कार कर दिया और पूरे गांव से उसका बहिष्कार करने का फैसला सुनाया। समाज के दूसरे लोगों से इस परिवार से संबंध रखने को भी मना कर दिया गया। पंचायत का अजीबोगरीब फरमान सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे ।पंचायत के फरमान के अनुसार यदि यह परिवार समाज में वापस लौटना चाहता है तो इसे जूता सिर पर रखना होगा और पगड़ी पैरों में, इसके अलावा गोमूत्र भी पीना होगा, साथ ही पुरुषों को दाढ़ी भी कटवानी होगी।

जानकारी के अनुसार गुना शहर में रहने वाले बुजुर्ग हीरालाल ने अधिकारियों को बताया कि वह ग्वाल समाज से ताल्लुक रखता है। उनकी समाज ने एक मंदिर निर्माण की योजना बनाई है, जिसके लिए उससे जमीन मांगी गई थी। हीरालाल ने लगभग 1300 वर्गफीट भूमि पर मंदिर निर्माण के लिए दे भी दी है, जिसपर मंदिर का काम चल रहा है। इसके बावजूद समाजजनों ने एक फरमान जारी कर दिया कि हीरालाल द्वारा दान दी गई जमीन कम है। ग्वाल समाज की पंचायत के अनुसार जमीन कम देना बुजुर्ग हीरालाल की ओर से किया गया एक पाप है, जिसका उसे प्रायश्चित करना होगा। पंचायत ने फरमान दिया कि प्रायश्चित के तौर पर हीरालाल सिर पर जूते रखे और गौमूत्र पिये। बुजुर्ग हीरालाल ने बताया कि समाज की पंचायत ने यह फरमान सुनाकर उसका बहिष्कार कर दिया है। हीरालाल और उसके परिवार का समाज के किसी भी आयोजन में शामिल होना प्रतिबंधित कर दिया गया है। यह सुनकर जनसुनवाई में मौजूद अधिकारी भी दंग रह गए और मामले की जांच कराने की बात कही है।

पंचायत के फरमान के बाद पीड़ित परिवार जन सुनवाई के दौरान कलेक्टर के पास शिकायत करने पहुंचा तब यह पूरा मामला प्रकाश में आया। पीड़ित परिवार के मुखिया का कहना है उनके परिवार ने 3 बिस्वा जमीन मंदिर के लिए दान कर दी थी लेकिन अब पंचायत दबाव बना रही है कि वह पूरी जमीन मंदिर को दे दे। इस जमीन पर परिवार का घर बना हुआ है। पीड़ित का कहना है कि पंचायत ने उनके पूरे परिवार का बहिष्कार कर दिया है और समाज के किसी भी कार्यक्रम में भाग लेने से भी इनकार कर दिया है। कलेक्टर के सामने यह पूरा मामला आया तो एसडीएम ने जांच के निर्देश दे दिए हैं। अब देखना होगा कि न्याय किसे मिलता है धर्म को या इंसानियत को ….? जो भी हो परन्तु इतना तो तय की मानवता लहुलुहान हुई है !