नजर का इलाज होता है, नजरिए का नही : प्रो सिंह

अशोक लीलैंड ड्राइविंग स्कूल छिंदवाड़ा लिंगा में मध्य प्रदेश के ड्राइविंग सीख रहे युवाओं की प्रेरणा हेतु आयोजित व्यक्तित्व विकास कार्यशाला में प्रमुख वक्ता मोटीवेटर प्रो. अमर सिंह ने कहा कि भय जीवन को निखारने में सबसे बड़ा बाधक है। युवा अंदर की आग को कभी भी बुझने न दें। नजर का इलाज होता है, नजरिए का कभी नहीं। युवा समय के इस्तेमाल को लेकर ईर्ष्यालु बनें और स्वयं को सीमाओं में बांधकर अपनी क्षमताओं को सीमित न करें।
कंफर्ट जोन से निकलकर चुनौती में रखें।पारदर्शी सोच नजरिया बदलने में सबसे कारगर साबित होती है। हमें अपनी योग्यताओं के मुताबिक उपलब्धियां मिलती हैं। कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता है, उसे सिर्फ बिजनेस में बदलना आना चाहिए। जो भी आज संभव हो रहा है, वह पहले हो चुकी घटनाओं का नतीजा है। पूर्वाग्रह से ग्रसित लोग सदैव आलोचना ही करते हैं। टिके रहने के लिए अंदर से मजबूत होना जरूरी है। समस्याएं व्यक्ति को मजबूत व कारगर बनाती हैं। असंतोष और निराशा दूरदर्शिता की कमी से होते हैं। नजर का इलाज होता है, नजरिया का नहीं।
संस्था के डायरेक्टर सुशील श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में कहा कि आकर्षण के नियम के अनुसार हम लगातार जैसे विचार हम आकर्षित करेंगे, वैसे ही विचार हमारे दिमाक में आने लगते हैं। पराक्रमी योद्धा तकलीफों की प्रयोगशाला में  पगते हैं। विकासशील विचारों पर किसी एक का आधिपत्य नहीं है। साहस भरा एक कदम हमें नए सूर्योदय के दर्शन करवा देता है। कष्ट की ऊपरी सतह के नीचे विकास की संभावनाएं छिपी रहती हैं। स्वयं पर नियंत्रण खो देना असफल होने की गारंटी है। कार्यशाला में पंकज साहू और सुनील बंदेवार का विशेष सहयोग रहा।