“दर्द के हथौड़े से तरस्ती तकदीर संबरती है”: प्रो. सिंह

खिरसडोह पॉलीटेक्निक कॉलेज में छात्रों को कोरोना अवसाद से बाहर निकलने हेतु प्रेरक व्याख्यान…

खिरसाडोह पॉलीटेक्निक कॉलेज छिंदवाड़ा के सिविल, आई टी और मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्रों को कोरोना त्रासदी के अवसाद से बाहर निकलने हेतु चांद कॉलेज के प्रेरक वक्ता प्रो.अमर सिंह ने अपने व्याख्यान में कहा कि छात्र अपने सपने को पाने के लिए जुनून की आग से इतिहास रच सकते हैं। दर्द के हथौड़े से तरस्ती तकदीर सभरती है। हम जो हैं, और जो हो सकते हैं, के अंतरको पाटने से अधिकांश द्वंद्वों का निदान हो जाता है।इच्छा शक्ति के ब्रह्मास्त्र से मनचाही मंजिल मिलती है…

बेहतर करने में गुंजाइश छोड़ना असफलता की गारंटी होता है। दबाव बड़ी उपलब्धि हेतु ईश्वर के इम्तिहान होते हैं।हमारे कर्म के परिणाम सात समंदर पार भी हमारा पीछा करते हैं।आत्मोत्कर्ष ही सभी समाधानों, उत्कृष्टताओं और रचनाओं का चरमोत्कर्ष होता है। हर पल में मौजूद रहकर कर्म सिद्धि के यज्ञ से विरली सामर्थ्य उपजती है।हमारी प्रतिस्पर्धा किसी और से नहीं, खुद से है। जो मनोबल गिराए, उससे बहरा हो जाना ही ठीक है। चिड़िया कभी भी चील की ऊंची उड़ान से ईर्ष्या नहीं करती है। अपनी संभावनाओं को लक्ष्य पर अंतिम बूंद तक निचोड़कर रिकॉर्डतोड़ा जा सकता है।

प्राचार्य डॉ राकेश पांडे ने अपने वक्तव्य में कहा कि सफलता के इच्छुक व्यक्ति को बुलंद हौसलों से तरक्की के आसमान में उड़ान भरनी पड़ती है। उसूलवान व्यक्ति फिजूल की चीजों से परहेज़ करता है। वैचारिक अपारदर्शिता, उथली सोच और त्रासदी में अवसर न तलाशने वाले लोग अपने सपनों के एवरेस्ट को फतह नहीं कर पाते हैं।

प्रो. प्रवीन कुमार तोमर ने कहा कि संकल्प से बनी योजना पर आशाओं के क्रियान्वयन से विजयश्री का वरण होता है। घटनाओं को यथार्थ स्वीकृति देकर तनाव,अवसाद, चिंता, दुख और संदेह की समस्या से निजात मिल सकती है।अवरोधों की दीवार के उस पार के बिंदु से सफलता शुरू होती है।