थेरेपी दी जाए तो फायदा होगा….

कोरोना की दूसरी लहर ने देश में तबाही मचा रखी है। कोरोना संक्रमण के मामलों में हर दिन पुराना रिकॉर्ड टूट रहा है। हर दिन रिकॉर्ड नए मामले और मौतों के आंकड़े सुनकर लोग परेशान हो रहे हैं। इस बीच देश में अचानक प्लाज्मा थेरेपी (Plasma Therapy) और रेमडेसिवीर इंजेक्शन (Remdesivir injection) को लेकर चर्चा काफी तेज हो गई है।दावा किया जा रहा है कि कोरोना मरीजों की जान बचाने के लिए प्लाज्मा थेरेपी और रेमडेसिवीर इंजेक्शन वरदान साबित हो रही है। आइए जानते हैं कि क्या वाकई प्लाज्मा थेरेपी और रेमडेसिवीर कोरोना मरीजों की मदद करती है या फिर कंपनियों द्वारा अफवाह फैलाकर इसे लोगों पर थोपा जा रहा है?

इसी मुद्दे पर एम्स दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि प्लाज्मा थेरेपी और रेमडेसिवीर इंजेक्शन ने कोरोना के मृत्यु दर को कम नहीं किया है। गुलेरिया ने कहा कि यह कहने के लिए बहुत जल्दी होगा, हमें और अधिक डेटा को देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्लाज्मा और रेमडेसिवीर की कोविड मरीजों के इलाज में सीमित भूमिका है और इसका अधिक उपयोग नहीं है। 2% से कम कोरोना रोगियों को टोसिलिज़ुमैब (Tocilizumab) की आवश्यकता होती है, जो इन दिनों बहुत उपयोग किया जा रहा है। हल्के लक्षणों/बिना लक्षणों वाले अधिकांश रोगियों में सिर्फ सिस्टमैटिक ट्रीटमेंट से ही सुधार हो जाएगा।”

प्लाज्मा थेरेपी पर बात करते हुए गुलेरिया ने आगे कहा कि प्लाज्मा कोई जादू की गोली नहीं है। हमें इसे ठीक से इस्तेमाल करना होगा जहां ये उपयोगी हो सकता हो, बजाय ये कहने के कि इससे हर किसी को फायदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना से हम जो सीख रहे हैं, वह यह है कि अगर सही समय पर उपचार हो तो ही फायदा हो सकता है।

मेदांता के सीएमडी डॉ नरेश त्रेहन का कहना है कि अगर उचित टाइम पर उचित मरीजो को प्लाज्मा थेरेपी दी जाए तो इसका फायदा होगा. शुरुआती स्टेज में कोई पेशेंट ऐसा है जिसमें एंटी बॉडी बहुत कम है तो उसे प्लाज्मा देने से कोई फायदा हो सकता है लेकिन यह रामबाण नहीं है हां इससे मदद मिलती है.