तकनीकी रिपोर्ट के नाम पर धन उगाही का खेल …….

शासकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज खिरसाडोह में बीते कुछ वर्षों से लगातार इस शैक्षणिक संस्थान को चंद भ्रष्टाचारियों ने अपने कर्म से भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया है ! शासकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्राचार्य द्वारा एक संगठित गिरोह तैयार कर जांच व तकनीकी रिपोर्ट के नाम पर जबरदस्त धनउगाही का दौर निर्बाध रूप से जारी है ! ऐसा नहीं है कि इसकी शिकायत समय-समय पर संस्था के उच्च पदों पर आसीन अधिकारियों को भी की जा चुकी है बावजूद इसके इस संगठित गिरोह के कारनामे अनवरत रूप से आज भी जारी हैं ! लोग प्रताड़ित हो रहे हैं और मजबूरी में अपने काम को संपादित करने के लिए भ्रष्टाचार का शिकार हो रहे हैं या किए जा रहे हैं ……?

बानगी के तौर पर यहां सिविल डिवीजन में हेड ऑफ द डिपार्टमेंट श्रीमती रितु मेवाड़ी द्वारा ड्राइंग डिजाइन की अनुमोदन किया जाता है जो कि प्रिंसिपल श्री आर के पांडे की सहमति के बाद ही निर्माण संस्था को प्रदान किया जाता है इसके एवज में शासकीय राशि के अलावा मोटी रकम रिश्वत के तौर पर ली जाती है जो ठेकेदार या  निर्माण संस्था इनके इच्छानुरूप उक्त राशि दे देते हैं उनका काम हाथों-हाथ बिना किसी मटेरियल टेस्टिंग के इन्हें रिपोर्ट प्राप्त हो जाती है परंतु जो व्यक्ति रिश्वत देने में आनाकानी करते हैं या इसका विरोध करते हैं उन्हें तरह-तरह के बहाने कर उनके काम को पेंडिंग में डाल दिया जाता है ! इससे प्रताड़ित होकर व्यक्ति रिश्वत देने पर मजबूर हो जाता है !

रिश्वतखोरी का आलम यहीं तक नहीं है ! रिश्वतखोर गिरोह ने इस शैक्षणिक संस्थान को अंदर से खोखला कर दिया है और इस संस्थान का नाम और साख पर बट्टा लगाने का काम निर्बाध रूप से जारी है ? सिविल शाखा की हेड ऑफ द डिपार्टमेंट मैडम रितु मेवाड़े प्रिंसिपल के नाम पर खुलेआम रिश्वत की मांग करते हैं और नहीं देने पर उनके काम में तरह-तरह के अड़ंगे लगाकर व्यक्ति को परेशान किया जा रहा है !

ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया जिसमें नागपुर की एक फर्म की ड्राइंग अनुमोदन के लिए निर्धारित फीस के अलावा मोटी रकम रिश्वत के नाम पर मांगी गई ! इंजीनियर द्वारा रिश्वत की रकम देने में आनाकानी की गई  उसका काम पेंडिंग कर दिया गया वहीं दूसरी एक और फर्म का व्यक्ति जो तत्काल आया और उसी तरह के काम के लिए अनुमोदन की मांग की गई ! जिस पर सिविल शाखा की एच ओ डी द्वारा पैसों की मांग की गई और देखते ही देखते मांग पूरी होने पर  तत्काल प्रभाव से उसका काम बिना किसी मैटेरियल टेस्टिंग के अनुमोदन कर रिपोर्ट जारी कर दी गई ! इतना ही नहीं इस काम के लिए वही पदस्थ यु के कुराड़े  टेक्नीशियन द्वारा भी रिश्वतखोरी के इस कार्य में बराबर की संलिप्तता है !

इस पूरे प्रकरण की वीडियो रिकार्डिंग इंजीनियर द्वारा गोपनीय कैमरे में कैद कर शिकायत उच्चाधिकारियों को की गई है अब देखना है की इस रिश्वतखोरी के प्रकरण पर क्या कार्यवाही की जाती है ? या यह संगठित गिरोह जाँच को कहाँ तक प्रभावित करता है ? ……..जारी