जो अपनी हदें तोड़े , वही सफलता का सरताज कहलाएगा….

विश्व युवा कौशल दिवस पर बिशेष ……..

युवाअपने अंदर छिपी ऊर्जा के ज्वालामुखी से अपने कैरियर का नवनिर्माण कर सकते हैं। वे ऐसे सपने देखें जो उन्हें सोने न दें। अगर युवा दिमाक में तुच्छ विचार रखेंगे, तो उसमें घास -फूस ही उगेगा। सफलता एक विशेष नजरिए व कार्ययोजना के तहत प्राप्त की जाती है। अगर युवा सफल होने की योजना बनाने में असफ़ल होते हैं तो असफल होने की ही योजना बनाते हैं। स्वयं के अंदर छिपी दैवीय शक्तियों के तूफानों को जगाकर जूनून, त्याग व लगन से चुनौतियों के पहाड़ को काटा जा सकता है। जीने के पीछे कोई बड़ी वज़ह होनी चाहिए। मुसीबतों से जूझने में सख्सियत निखरती है। जो चट्टान से न उलझे वह झरना किस काम का होता है। युवा ऊंचे ख्वाब देखें और अपनी पूरी ऊर्जा को लक्ष्य प्राप्ति में झोंक दें। सफलता साधनों से नहीं,साधना से मिलती है। युवा अपने सपने को यथार्थ में बदलने के लिए अपनी शक्तियों को अपने लक्ष्य (टारगेट) पर केन्द्रित करें और जिंदगी भर सम्राट बनकर जिएं।जीवन में हमें वही मिलता है, जिसका चुनाव हम करते हैं………..प्रो. अमर सिंह

सफलता के लिए समस्याओं की ऊंचाई से हमें ऊपर उठना पड़ता है। हर जीत की कीमत चुकानी पड़ती है। सफलता एक आदत है जिसके लिए लंबे समय तक अभ्यास करना पड़ता है। सीमित साधनों से असीमित उपलब्धियाँ प्राप्त करनी पड़ती हैं। दृष्टि बदलने से सृष्टि बदलती है। हमें विजय श्री का वरण करने के लिए सैकड़ों अनावश्यक चीजों को छोड़ना पड़ता है। जब तक हम अपने अंदर के वैचारिक कूड़े को बाहर नहीं फेकेंगे, तब तक हमारे हाथ असफलता ही लगेगी। हमें पहला बदलाव अपनी सोच के स्तर पर और दूसरा कार्यशैली के स्तर पर करना पड़ता है। हमारे कर्मों की ऊंचाई जब बेशुमार होती है तो नसीबों को झुकना पड़ता है। ‘जिद करो,दुनियां बदलो’, ‘डर के आगे जीत है’, ‘जो डर गया वो मर गया’ जैसे विचार बहुत ऊर्जा देते हैं। अथाह आत्मविश्वास,आत्मज्ञान व आत्मचिंतन से लबालब युवा ही विजयी होने का स्वाद चखते हैं, बाकी तो अपने भाग्य को कोसते रहने में गर्व महसूस करते हैं।

आज का दिन हमारी सबसे बड़ी संपत्ति है, समय के अधिकतम प्रयोग से विजय मिलती है। युवाओं ने दूसरों से स्वयं को समझने की बड़ी भूल की है।अगर दिमाक में बुद्धिमत्ता के बीज नहीं डालोगे, तो उसमें घास-फूस ही तो उगेगी। जिनकी मंजिल आसमां होती है,वे इसका कद नहीं नापते हैं और अपनी सीढियां ख़ुद बनाते हैं।युवा बाज के बच्चे की तरह होते हैं, जिन्हें कभी मुंडेर पर नहीं उड़ना चाहिए, बल्कि संभावनाओं के खुले आकाश में कुलांचे भरना चाहिए। युवा न किसी अभाव में,न किसी के प्रभाव में, बल्कि अपने प्रभाव में जीएं।युवाओं को भाग्य के दरवाजे पर सिर पीटने के बजाय व्यावसायिक दक्षताओं को हासिल कर आत्म निर्भर बनना चाहिए।

युवाओं को हदों के उस पार जाने और जीने की आदत डाल लेनी चाहिए। जब असीमित कार्य होंगे तो असीमित परिणाम निकलेंगे। जो चुनौतियों से बचने का बहाना ढूंड़ता है,वह युवा हो ही नहीं सकता। युवा उम्र से नहीं बल्कि जज़्बे से बनता है। जो करो, उससे प्रेम करो और जिससे प्रेम करो, वही करो,उसके तलवे सफलता चाटती है। जीवन की कठोर लकड़ी को पैनी कुल्हाड़ी सर काटोगे तो बहुत आसानी होगी। अपना ब्रांड बनो और लोगों से अपना बैंड बजबाओ। जो हर पल अपने लक्ष्य पर फोकस रहते हैं,हर रोज उनकी मंज़िल करीब आती जाती है। बहानेबाजों से तो दुनियां भरी पड़ी है। जो अपने बनाए मुकद्दर का सिकंदर है,वह युवा है।जब युवा सौ प्रतिशत अपने सपने को देंगे तो सौ प्रतिशत परिणाम उसके पक्ष में आएंगे। अपने को कमतर आंकना महापाप है।

सफलता अंशकालिक नहीं,पूर्णकालिक लगन से कार्य करने के पागलपन का नाम है। जिद, जूनून, जिंदादिली, जौहर, जीवटता, ज्यादा,जायज व जज्बा सब इसके पर्यायवाची हैं।युवाओं को अपनी धाक बनाने के लिए पहले  खाक में जीवन की कसौटियों की खाक में मिलना पड़ेगा। अगर युवा  समाज में लोगों की सैकड़ों तरह की जरूरतों के मुताबिक हुनर पैदा कर उन्हें सेवा देना शुरू कर दें तो बेरोज़गारी का रोना रोने से बचा जा सकता ।प्रत्येक युवा ईश्वर की ओर से प्रदत्त किसी न किसी विशिष्ट कार्य की प्रतिभा को निखारकर खाली बैठने के कलंक को मिटा सकता है।युवाओं का बिना दक्षता के सिर्फ़ डिग्री लेकर सरकार से नौकरी के लिए हाथ फैलाना स्वयं को नकारा साबित करने के सिवा और कुछ नहीं है आज भी डिजिटल प्रौद्योगिकी, कृषि,भवन निर्माण,शैक्षिक संस्थानों, खेलों,सुरक्षा,वैज्ञानिक उपकरणों की मरम्मत,खाद्य पदार्थों, मार्केटिंग, स्वास्थ्य सम्बन्धी घर पहुंच सेवाओं व मानव को समय बचाने वाली तमाम सहूलियतों प्रदाय जैसे क्षेत्रों में करोड़ों युवा खप सकते हैं युवाओं के लिए लाखों रिक्तियां तो खाली इसलिए हैं की उनके मानकों पर खरे उतरने वाले युवा उपलब्ध नहीं हैं।

युवा वक्त के दरवाजे पर सिर टकराने के लिए नहीं बने हैं बल्कि अथक परिश्रम से भाग्य विधाता बनने के लिए बने हैं। वे एक बार पूरे मन से सोचना शुरू करेंगे तो कमाई के अनेकों रास्ते निकाल लेंगे।हर उन्नतिशील आदमी की शिकायत है कि उसको काम करने वाले नहीं मिल रहे हैं। इसका अर्थ है कि दक्ष लोग नहीं मिल रहे हैं।हर युवा कुदरत की अनूठी कृति है। अगर हम सोचें कि पेड़ पर चढ़ने वाली मछली व पानी में रहने वाली बकरी मिल जाय तो असंभव है। जो युवा जिसके लिए बना है, वह उसी क्षेत्र में अपनी बेहतरी के अवसर तलाशे।अगर कोई युवा सिर्फ अपने शहर का सर्वे कर यह पता लगाए कि लोग कितने प्रकार से काम करके अपनी आर्थिक,सामाजिक व दैहिक आवश्कताऐं पूरी कर रहे हैं तो उनमें कोई न कोई तो सम्बंधित युवा के करने के लायक होगा। आज का युग नवाचारों का युग है।अपनी अन्वेषी बुद्धि,खोजी विवेक व आविष्कारी सोच से कार्य करने के अनगिनत क्षेत्र युवाओं का इंतजार कर रहे हैं। युवा अपनी चारित्रिक निष्ठा, आत्मावलोकन व आत्म परिष्कार  के आत्मोत्कर्ष से कामधंधे की लहलहाती फसल काट सकते हैं। इसके लिए उन्हें ऐसे गुरू की जरूरत होगी जो उन्हें वह दिखा सके जो उन्होंने स्वयं में नहीं देखा है। सही मायने में अगर कोई युवा है तो वह पानी के जहाजकी तरह है जो समुद्र के किनारे खड़े होने के लिए बना ही नहीं है, अपितु बीच समुद्र में लहरों के तूफानों से जूझने के लिए बना है। युवा वह झरना है जो चट्टानों से टकराकर ही निखरता है। युवा को आज जरूरत है अपनी सौ प्रतिशत ऊर्जा लक्ष्य पर साधने की, हर रोज़ अपने अंदर एक प्रतिशत सुधार की एवं सर्वोत्कृष्ट सृजन की।इसमें निराशा, नकारात्मकता व निठल्लेपन के लिए कोई स्थान नहीं है। हर युवा चन्द्रगुप्त है जिसे चाणक्य जैसे गुणी का साथ चाहिए।जहां प्रयासों की ऊंचाई अधिक होती है,वहां नसीबों को झुकना पड़ता है। युवा जीवन की बुलंदियों को छूने के लिए बना है,न कि नैराश्य के गर्त में डुबकी लगाने के लिए। जब युवा की खुदी आसमान को छुएगी तो आसमान खुद जमीं पर उतर आएगा।तब जाकर खुदा ख़ुद युवा से पूछकर उसकी किस्मत लिखेगा।

जीना सिर्फ उसी का सार्थक है जिसकी रगों मां,मातृभूमि व मातृभाषा का सुरूर है।हर रोज स्वयं को कुछ करिश्माई करने के लिए ललकारना ही क्रमिक जैविक विकास है अन्यथा हम बिना हाथ पैर पटके सिर्फ़ दिनों में सीनियर तो हो ही रहे हैं। दुनियां झूठे झमेलों से अटी पड़ी है जिसमें फसने के लिए हज़ारों लोग मिन्नतें कर रहे हैं और इसे वे अपने सौभाग्य का सूर्योदय कहते हैं। बिना चीजों की तह में उतरे आनंद तो खूब आएगा, पर ठोस उपलब्धि कुछ भी नहीं होगी। जो अपनी हदें तोड़ेगा, वही सफलता की सरहद का सरताज कहलाएगा।

युवाओं को हर बार गिरकर फिर उठ खड़े होने की कला में माहिर होना चाहिए। शरारती बच्चों की ऊर्जा को रचनात्मकता की दिशा देकर उन्हें सशक्त बनाया जा सकता है। हम ऐसी शिक्षा युवाओं को दें कि वे सामाजिक बुराइयों से लड़ने में कमतर न पड़ें। शिक्षा व्यक्ति विशेष के लिए अपने सपनों की ज़मीन तलाशने का जरिया है। प्रेम,त्याग,सद्भावना, विनम्रता, धैर्य एवं सहानुभूति व्यक्तित्व के ऐसे अद्भुत दैवीय गुण हैं जिनकी नींव पर आत्मोत्कर्ष का महल खड़ा होता है। युवाओं को प्रामाणिक ग्रहणशीलता की आदत प्रकृति से वरदान में मिली है। युवा दिव्य पुत्र पुत्रियां हैं, उन्हें मेरा तेरा की अज्ञानतापूर्ण नींद से जगकर सचेत रहना चाहिए। इन्हें बताया जाए की नित नए विरोधों, संघर्षों व घटनाओं से जिंदगी के दिलचस्प सबक लिए जा सकते हैं। पुरुषार्थ से प्रारब्ध बनाने की कला गुरु ही सिखा सकता है। युवा मूल्याधारित पश्चिमी शिक्षा के साथ भारतीय सांस्कृतिक वैभव की धरोहर से स्वयं को वंचित न करें बल्कि इसे अपने आचरण की आधार शिला बनाएं। सद्गुण जैसे दुर्लभ चारित्रिक गुण इनकी जीवन शैली का अभिन्न अंग बने रहें। हमारा समाज इन्हें सिखाऐ कि जो प्रतिस्पर्धा व पैकेजिंग में आ रहे बदलावों को नहीं भांप पाते हैं,वख्त उनका नामोनिशान ही मिटा देता है। युवा स्वयं के प्रति ईमानदार,कमजोरियों को स्वीकारना, क्षमा करना व सुधरने की मौहलत माँगना जैसे गुण सीखें। जो जितना ऊँचा है,वह उतना झुका होता है।हमें अपने बच्चों को भावी राष्ट्रपुरुष की तरह गढ़ना है जो विश्लेषणात्मक, तार्किक, वैज्ञानिक और आधुनिक चिंतन के धनी बन सकें।

संस्कारों के बिना शिक्षा व सुविधाऐं पतन का कारण बनती हैं। श्रम से कार्य सिद्ध होते हैं। शक व डर पर काबू पाकर कोई भी विजय प्राप्त की जा सकती है। युवा अपने विचारों को उद्देश्य से जोड़कर उन्हें निष्फल होने से बचा सकते हैं। ईश्वर द्वारा दी गई सांसें अनमोल हैं, इसलिए हम सबको हर पल का मोल चुकाना चाहिए। ऊपर वाले का भरोसा करो, पर उसके भरोसे कभी मत बैठो। युवाओं का किरदार ऐसा हो कि जमाना मिसाल दे। जीने के पीछे कोई ठोस वजह होनी चाहिए। विजेता बहानों व शिकायतों के अंबार नहीं लगाते बल्कि चुनौतियों के महासागर में डुबकी लगाते हैं।

जीवन में नीलकंठ बनने के लिए विष के प्याले पीने ही पड़ते हैं। अगर कोई हमारी आलोचना नहीं कर रहा है तहम यथार्थ से कोसों दूर होते हैं। जो अपने पैरों चलते हैं वे दूसरों के पैरों पर कभी भरोसा नहीं करते हैं। जिंदगी के हर लम्हे को पूर्णता में जियो। जो असंभव कार्य करता है, उसका सब रास्ता रोकते हैं। हमारे शब्दों से कार्य, कार्यों से आदतें, आदतों से चरित्र एवं चरित्र से किस्मत बनती है। सकारात्मक नजरिए में बहुत ताकत होती है। जिनकी इच्छा जितनी प्रबल होती है, उनकी विजय उतनी बड़ी होती है।हम अपने विचारों को कार्यों में क्रियांवयन करके बाहुबली बनते हैं। दृढ़निश्चय की चट्टान से ऊर्जा की नदी निकलती है। जिज्ञासा,  तड़फ, लगन व बिना थके सतत प्रयास की पराकाष्ठा से विरले चमत्कारी परिणाम निकलते हैं। साहस की चट्टान से ऊर्जा के समंदर निकलते हैं।समय के सही प्रयोग की पैनी नजर रखते हुए जिम्मेदारियों का बोझ उठाना पड़ता है। चाहतों को अंजाम तक ले जाना पड़ता है। पल पल तपना पड़ता है, तिल तिल जलना पड़ता है और स्वयं को खपाना पड़ता है। दिन के उजाले के लिए रात के अंधेरों से गुजरना पड़ता है। जब हम अपने उद्देश्य प्राप्ति की समय सीमा तय कर लेते हैं तो कयामत में भी हमारी मदद करने के लिए हड़कंप मच जाता है। समय की पैनी धार पर हर किसी को चोटिल होना पड़ता है।

युवा ख़ुद पर भरोसा कर अपना भाग्य स्वयं लिखें। अपने जीवन का रिमोट अपने हाथ में रखें।
उद्यमशील व्यक्ति को कुछ भी प्राप्त करना असंभव नहीं। व्यक्तित्व निर्माण में शिष्टाचार, सभ्यता और अपने अंदर निहित समस्त दिव्य शक्तियों का प्रयोग लक्ष्य पर फोकस करना ही सच्चा व्यक्तित्व विकास है। कर्मठ युवा ही समर्थ राष्ट्र का निर्माण करते हैं। हर व्यक्ति जन्मजात सुपरस्टार होता है, जरूरत होती है स्वयं को विरोधी चुनौतियों में तराशने की। लक्ष्य पर सौ प्रतिशत योजनाबद्ध फोकस सफलता दिलाता है। कर्मों का जुनून जब हिमालय से ऊंचा होता है तो विजय पैरों के नीचे आकर खड़ी हो जाती है। सफल होनी की भूख जितनी प्रबल होगी, सफलता उतनी नजदीक होगी।सूरज रात की कोख में पलता है।