जिले की उपेक्षा कर प्रदेश के 9 जिलों में आयुष वन विकसित होंगे ….

छिंदवाडा जिले की उपेक्षा कर दुसरे जिलो को योजनाओं का लाभ ,जिले के जनप्रतिनिधियों और वन विभाग के अहंकारी युवा वनाधिकारियों की अनुभवहीनता का खामियाजा जिले को उठाना पड रहा है ! जो लाभ जिले के वनांचलो में निवासरत भूमिपुत्रों को मिलना चाहिए था उसका लाभ प्रदेश के पन्ना, भोपाल, गुना, खण्डवा, बुरहानपुर, बैतूल, अलीराजपुर, शहडोल और अनूपपुर जिले के लोगों को मिलेगा ! यहाँ 450 हेक्टेयर क्षेत्र में आयुष वन विकसित किए जायेंगे….

प्रदेश सरकार ने जड़ी बूटियों के महत्व को बढ़ावा देने के साथ-साथ प्रकृति के श्रंगार में जैव विविधता का एक अपना विशेष महत्व है ! जिसके चलते मानव जीवन तो सुरक्षित रहेगा ही, साथ ही जैव विविधता एवं पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से यह निर्णय प्रदेश के लिए हितकारी होगा!   साथ ही इन जिलों में वनांचल में निवासरत आदिवासी और स्थानीय लोगों को रोजगार के संसाधन उपलब्ध होंगे, जिससे उनका आर्थिक विकास तो होगा ही साथ ही जिले की एक अलग पहचान विश्व पटल पर बनेगी !  इसके तहत जैव-विविधता संरक्षण के लिये 9 जिलों में आयुष वन विकसित होंगे और औषधीय वनस्पतियों का भी संरक्षण होगा। वर्ष 2023-24 में स्थानीय प्रजातियों और जड़ी-बूटियों का रोपण कराया जाएगा।वही जैव-विविधता संरक्षण के लिए विभाग द्वारा विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।

शिवराज सरकार में वन मंत्री डॉ. कुँवर विजय शाह ने इस अनूठी पहल की जानकारी देते हुए बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव को चिर-स्थाई बनाने के लिए प्रदेश के 9 जिलों में आयुष वन विकसित किये जायेंगे।  अगले साल पन्ना, भोपाल, गुना, खण्डवा, बुरहानपुर, बैतूल, अलीराजपुर, शहडोल और अनूपपुर जिले में 450 हेक्टेयर क्षेत्र में आयुष वन विकसित किए जायेंगे। इसी तरह वर्ष 2023-24 में स्थानीय प्रजातियों और जड़ी-बूटियों का रोपण कराया जाएगा।

छिंदवाड़ा जिले के तामिया पातालकोट वन औषधियों के उत्पादन के लिए पूरे विश्व में जाना जाता हैं ! यहाँ उत्पादित जड़ी बूटियां  दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में भी नहीं पाई जाती हैं !  दुर्लभ जड़ी बूटियों के लिए प्रसिद्ध तामिया पातालकोट की उपेक्षा करना प्राकृतिक, भौगोलिक और आर्थिक दृष्टि से हितकारी नहीं होगा !  दुर्लभ जड़ी बूटियां यहां के वनांचल में आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं ! क्योंकि यहां का प्राकृतिक वातावरण देश के किसी भी भू-भाग पर मौजूद नहीं है ! बावजूद इसके प्रदेश शासन की उपेक्षा का शिकार छिन्द्वाडा जिले खासकर आदिवासी अंचल में निवासरत लोगो को आर्थिक रूप से भुगतना होगा

वन मंत्री डॉ. शाह ने बताया कि नर्मदा नदी का उद्गम स्थल अमरकंटक जन-साधारण के लिए आस्था का केन्द्र है। नर्मदा उद्गम स्थल के पास 50 हेक्टेयर क्षेत्र में आयुष वन की स्थापना की जा चुकी है। इस व्यवस्था से औषधि पौधे लगने से पर्यटकों के लिए प्रकृति दर्शन का आकर्षण केन्द्र बनेगा। जैव-विविधता संरक्षण के लिए विभाग द्वारा विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के खतरों को कम करने की दिशा में जैव-विविधता को बचाना बेहद जरूरी है। उन्होंने विश्वास दिलाया है कि आयुष वन जैसे स्थल पर्यावरण ज्ञान केन्द्र के रूप में उपयोगी होंगे।