गौरी भाऊ के खिलाफ लोकायुक्त जाँच के आदेश ..

पूर्व कैबिनेट मंत्री और बालाघाट विधेयक गौरीशंकर बिसेन का इतिहास देखा जाय तो वे बड़े ही साधारण परिवार से आते है ! परन्तु उनके नेता गिरी में आते ही वे देखते ही देखते आकूत सम्पति के मालिक बन गए ! अपने रसूक से वे दौलत पर दौलत कमाते रहे , परन्तु वहीं उनके फाटेहाल के दिनों से जानने बाले आश्चर्य में पड गए की ये अकूत सम्पति आखिर आ कहाँ से रही है ! ना कोई काम , न धंधा  देखते ही देखते बन्दा करोड़ों अरबों में खेलने लगा आखिर कैसे ..?

प्रदेश में बीते 20 सालों से भाजपा की सरकार होने से लोगों की शिकायत पर कोई कार्यवाही ना होने से , लोगों ने उनकी वैध – अवैध सम्पत्ति का व्योरा कलेक्ट कर प्रदेश की जाँच एजेंसियों को दी ,परन्तु कार्यवाही वही धाक के तीन पात पहले से कोई , फिर भी उनके चाहने बालों ने हिम्मत नही हारी और वे उनकी शिकायत को लेकर न्यायालय की शरण में गए ! न्यायालय ने मामले की गंभीरता को समझाते हुए लोकायुत को जांच के आदेश दे दिए और मामला संदेहास्पद होने पर विधि सम्मत कार्यवाही के लिए एजेंसी को निर्देशित किया है ! अब देखने बलि बात यह है की शिवराज सरकार उन्हें पद से पदच्युत करती है या नहीं ….

वर्तमान में ओबीसी आयोग के चेयरमैन तथा भाजपा विधायक गौरीशंकर बिसेन के खिलाफ हाईकोर्ट ने लोकायुक्त जांच के आदेश जारी किए हैं। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रविविजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने लोकायुक्त को निर्देशित किया है कि वह शिकायत की जांच करने के बाद विधि अनुसार कार्रवाई करे।

ज्ञात हो की कि पूर्व विधायक किशोर समरिते की और से साल 2012 में दायर जनहित याचिका में आरोप लगाते हुए कहा था कि प्रदेश के कैबिनेट मंत्री गौरीशंकर बिसेन के पास वर्ष 1984 में कोई खास संपत्ति नहीं थी। विधायक व मंत्री रहते हुए उनकी संपत्तियों में लगातार बढ़ोतरी होती रही। कई बेशकीमती संपत्तियां उनके व उनके परिवार के सदस्यों और अन्य रिश्तेदारों के नाम खरीदी गई है। सामान्य रूप से किसी व्यक्ति की संपत्ति में इतनी बढ़ोतरी नहीं हो सकती। उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए संपत्तियां हासिल कीं। बिसेन द्वारा 2003 से 2011 के बीच चुनाव आयोग को दी गई संपत्तियों की जानकारियां भी याचिका के साथ प्रस्तुत की गई थीं। संबंधित अधिकारियों को शिकायतें देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं करने के कारण उक्त याचिका दायर की है।

याचिका में कहा गया था कि मंत्री बिसेन ने अपनी बेटी मौसम के नाम पर पुणे में 50 लाख रुपयों का फ्लैट खरीदा। बालाघाट कलेक्टर के निवास के सामने ढाई करोड़ रुपये की जमीन खरीदी। बालाघाट के पटेरिया कैम्पस में पत्नी रेखा बिसेन के नाम पर 91 लाख रुपयों की जमीन खरीदी, जबकि वे एक गृहिणी हैं। सेनिटरी पाइप बनाने वाली एक फैक्ट्री उन्होंने 90 लाख रुपयों में खरीदी। कोठारी दाल मिल गर्रा के पास 7 करोड़ रुपयों की कृषि भूमि और बारासिवनी में मदरसा के पास 5 एकड़ जमीन खरीदी। बालाघाट में करोड़ों रुपये में 11 एकड़ जमीन बेनामी संपत्ति के रूप में खरीदी है।

याचिकाकर्ता द्वारा याचिका के प्रति उदासीनता दिखाने के कारण हाईकोर्ट ने मामले को संज्ञान में लेते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ को कोर्ट मित्र नियुक्त किया था। युगलपीठ ने जून 2014 को पारित आदेश में हाईकोर्ट रजिस्ट्री को याचिका की प्रति लोकायुक्त को देने के निर्देश दिए थे। युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को लोकायुक्त के समक्ष जांच के लिए अभ्यावेदन पेश करने के निर्देश दिए थे। युगलपीठ ने लोकायुक्त को निर्देश जारी किए थे कि शिकायत पर जांच कर विधि अनुसार कार्रवाई करे।

युगलपीठ के उक्त आदेश के खिलाफ मंत्री बिसेन ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर पुनः सुनवाई के निर्देश हाईकोर्ट को दिए थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हाईकोर्ट ने मार्च 2017 में याचिका की पुनः सुनवाई प्रारंभ की थी। युगलपीठ ने बुधवार को याचिका का निराकरण करते हुए याचिकाकर्ता की शिकायत पर जांच के निर्देश लोकायुक्त को दिए हैं, विस्तृत आश प्रतिक्षित है। याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता शोभा मेनन ने की।  मिडिया रिपोर्ट