कुछ यूं हुआ विक्रम का उदय और निगम से भाजपा के अनंत का अंत ..

बिशेष टिप्पणी..

नगर पालिका निगम छिंदवाडा के रिजल्ट जैसे-जैसे सामने आ रहे थे वैसे-वैसे भाजपा के एक गुट की बांछे खिल रही थी तो दुसरे गुट के चेहरे पीले पड रहे थे !  दूसरी और कांग्रेस और उसके अनुसांगिक संगठन में ख़ुशी और उत्साह की लहरे समस्त सीमाओं को लाँघ 18 सालों से भाजपा की सत्ता और संगठन की आँखों में आँखों डाल मुंह चिड़ाते दिखाई पड रहे थे ! छिंदवाड़ा में महापौर पद पर जीतने के साथ ही  कांग्रेस के 26 पार्षद भी चुनकर आए हैं। 18 साल बाद भाजपा को सत्ता सुंदरी से दूर होना पड़ा…. राकेश प्रजापति 

माना जाता है कि इसके पीछे कमलनाथ के  राजनैतिक कौशल और दूरदर्शिता ने काम किया। वहीं भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी एक दुसरे को धुल चटाने की कोशिश ने भाजपा को ही ओंधे मुंह लिटा दिया।

वैसे तो इस शर्मनाक हार की समीक्षा और उसके कारणों को भाजपा तो तलाशेगी ही, परन्तु कांग्रेस और साधारण से परिवार से आये कोमल उम्र के बच्चे से हार भाजपा पचा नही पा रही है ! चुनाव परिणामों की समीक्षा में जमकर जूतमपैजार होने की संभावना भाजपाई सूत्र बता रहे है !

कांग्रेस और विक्रम आहके की जीत के चुनिन्दा कारण जो सामने नजर आ रहे हैं  उनपर चर्चा करना लाजमी हो गया है ! वहीं क्या वजह रही जो भाजपा को पराजय का मुंह देखना पड़ा – 

1. टिकट वितरण से भाजपा में उपजा असंतोष :-भाजपा ने प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी करने के साथ ही विवाद गहराने लगे  किसान मोर्चा से जुड़े जितेंद्र शाह को छिंदवाड़ा में बतौर महापौर प्रत्याशी माननीय महामहिम अनुसुइया उइके और चन्द्रभान की राय पर  बनाया गया ! लेकिन ऐन वक्त पर भाजपा के जिला संगठन ने इस पर ऐतराज जताया और निगम के चर्चित भू माफिया की शह पर  निगम में असिस्टेंट कमिश्नर रहे अनंत धुर्वे को कैंडिडेट बनवा दिया।  पार्षदों के नाम तय करते समय भाजपा संगठन ने चंद नामी चेहरों की टिकट काटकर नए चेहरों पर दांव खेला था, जो पूरी तरह से आत्मघाती रहा। जिन नामी चेहरों की टिकट काटी गई उन्होंने बगावत का झंडा बुलंद करते हुए निर्दलीय नामांकन भरा और निगम से भाजपा के जनाने के कांधेदार बन बैठे !

 

2. युवा और बुजुर्ग का फेक्टर :-इस बार कमलनाथ ने किसी की एक न सुनते हुए महापौर प्रत्याशी विक्रम आहके ने नाम फाइनल किया !  विक्रम ने NSUI के युवा साथीयों को लेकर धूंआ धार प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया था ! पहले तो इस युवा साथी का जिले के किसी भी सीनियर और चर्चित नेता यहाँ तक संगठन ने साथ नही दिया !

विक्रम को अगर साथ मिला तो वःह NSUI के युवा साथीयों का जो शुरू से विजयश्री मिलने तक विक्रम के लिए जी जान से भिड़े रहे ! कांग्रेस के वरिष्ठ और चर्चित नेता सिर्फ आखरी के 10 दिन भी बेमन से साथ निकले ! युवा और बुजुर्ग का फेक्टर यहाँ NSUI की मेहनत के सामने फेल हो गया ..!

विक्रम के जीत की दूसरी वजह आंगनवाडी सहायिका और कार्यकर्ता भाजपा से बेहद नाराज थी ! उन्हें अपने आन्दोलन के बेहद कटु अनुभवों की कोख से  महापौर प्रत्याशी का प्रघटीकरण हुआ , साथ ही आंगनवाडी सहायिका और कार्यकर्ता ने भाजपा को हराकर  विक्रम के रूप में मातृत्व सुख का अनुभव महसूस कर रही है ! 

भाजपा प्रत्याशी अनंत धुर्वे शुरू से ही प्रचार प्रसार में पिछड़ गए। यहां तक कि उनके साथ कोई भी भाजपा का बड़ा चेहरा गुटबाजी के कारण प्रचार में नजर नहीं आया , इसका भी पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा। भाजपा की गुटबाजी का असर सोशल मीडिया में भी देखने को मिला। बीजेपी से बागी हुए महापौर और दो दर्जन से ज्यादा पार्षद प्रत्याशी को मानने में भाजपा को सर के बल लोटना पड़ा फिर भी असफलता ही हाथ लगी। टिकट वितरण मेंअंधा बांटे रेवड़ी ,चीन्ह-चीन्ह के दे ..” बाली कहाबत सौ फीसदी चरिचार्थ हुई ! खुली गुटीय बगावत और बागियों की उठापटक में उलझी भाजपा सर नही उठ पाई ! 

3. उपलब्धि विहीन भाजपा और निगम :- प्रदेश में भाजपा की सरकार है , लेकिन इस दौरान छिंदवाड़ा निगम में भाजपा की कोई बड़ी उपलब्धि नहीं होने का भी खामियाजा भाजपा प्रत्याशियों को झेलना पड़ा। इसके अलावा जो भी विकास हुए उन्हें भी भाजपा जनता के बीच ठीक से नहीं रख सकी। ज्यादातर पार्षदों के इलाके में भी यही बात सामने आई है। वहीं भाजपा को अपने प्रत्याशी की बेदाग छवि जनता के सामने प्रस्तुत करने में कोताही बरतना महंगा साबित हो गया।

4. कमलनाथ की प्रतिष्ठा और नियमितीकरण का खेला :- कमलनाथ ने महापौर के नाम का ऐलानकर प्रत्याशी को चुनावी महासमर में अकेला छोड़ दिया जिसने प्रत्याशी में जूझने की जीवटता पैदा कर दी ! NSUI के साथियों ने उसमें जोश के खाद पानी से संवारा और पुष्पित पल्लवित कर दिया ! जो आगामी दिनों में नगर पालिका निगम में नगर विकास की पोटली काँधे में उठाये शहर को आलोकित कर देगा !   कमलनाथ ने पूरे दो दिन भरी बारिश में कांग्रेस महापौर प्रत्याशी विक्रम अहाके के लिए रोड शो किया। 

 

 

कमलनाथ ने निगम के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित करने की घोषणा कर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना दिया। भाजपा ने निगम के सहायक आयुक्त रहे अनंत धुर्वे को जैसे ही अपना महापौर प्रत्याशी बनाया , राजनैतिक गलियारों  के साथ साथ जनमानस में  अनंत के लिफाफा बाबू होने के टेग ने अनंत का अंत कर दिया ….