कमलनाथ और नकुलनाथ के धुंआधार प्रचार के बाद भी चौरई और बिछुआ में कांग्रेस को मिली हार ..

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा नगर पालिका निगम पर कांग्रेस ने 18 सालों बाद काबिज होने के बाद  पुनः एक बार फिर कमलनाथ का जादू दिखाई पड़ने लगा है ! जिले की अधिकांश नगर परिषदों पर कांग्रेस पुनः पुनर्स्थापित होती नजर आ रही है. जिले की 9 नगर परिषद में से कांग्रेस ने छह पर विजय श्री प्राप्त की है. भाजपा केवल दो नगर परिषदों तक सिमट कर रह गई है ! वहीं परसिया में भाजपा और कांग्रेस के बीच टाई होने पर 1 निर्दलीय पार्षद के ऊपर ही दारोमदार है की वः किसके पक्ष में जाता है इतना तो तय माना जा रहा है की किस्मत उसके साथ है और वह अध्यक्ष या महत्वपूर्ण पर पर कविज होकर राष्ट्रिय पार्टी की नैया पर लगाएगा ..

छिंदवाड़ा जिला एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ का गढ़ माना जाता है ! जिसकी वजह मतगणना के दौरान लगातार चुनाव में सफलता मिलती जा रही है। पहले सातों विधायक छिंदवाड़ा से जीते, फिर सांसद, अब महापौर और 11 निकाय में से अब 7 पर भी कांग्रेस का कब्जा हो गया। जिला पंचायत अध्यक्ष पद भी कांग्रेस जीतने की तैयारी में है। यही वजह है जिले को भाजपा मुक्त प्रचारित किया जा रहा है !

 

आज मतगड़ना के बाद घोषित परिणामो में स्थिति साफ़ हुई !  9 निकायों के परिणाम में 6 में कांग्रेस की परिषद बनने जा रही है। पिपला, लोधीखेड़ा, न्यूटन, चादामेटा, बड़कुही, चांद में कांग्रेस की परिषद बनने जा रही है। ये परिणाम भाजपा के स्थानीय संगठन के लिए सुखद तो कहीं से नही खे जा सकते है ! ये अलग बात है कि 25 साल बाद चौरई में भाजपा की वापसी हुई है, बिछुआ, अमरवाड़ा नगर पालिका में पार्टी फिर से काबिज हुई है, परासिया में भी परिषद बनती नजर आ रही हैं जिसके कारण ये परिणाम पार्टी के लिए संजीवनी साबित हो  सकते है। छिंदवाड़ा नगर निगम में कांटे की टक्कर में कांग्रेस को जीत हासिल हुई है। 

 

 

कांग्रेस को भी इस चुनाव परिणाम से सबक लेने की जरूरत है। क्योंकि तस्वीर वैसी नहीं है, जैसी नजर आ रही है। तस्वीर का दूसरा पहलू ये है कि सांसद नकुल नाथ और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के धुंआधार प्रचार के बाद भी चौरई और बिछुआ में कांग्रेस को हार मिली, बिछुआ में सबसे ज्यादा 80 प्रतिशत मतदान हुआ था, इसके बावजूद कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, जबकि छिंदवाड़ा नगर निगम में पिछले चुनाव की तुलना में 7 फीसद कम मतदान हुआ, तो भाजपा को निगम से हाथ धोना पड़ा।