प्रदेश में बाघों की संख्या अगली गणना में 600 का विशाल आकंडा पार कर सकती है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश ने वाइल्ड लाइफ (Wild life) के क्षेत्र में एक नये रिकार्ड की तरफ अपने कदम बढाएं हैं। आंतरिक गणना में ये तथ्य सामने आए हैं कि प्रदेश में बाघों की संख्या तेजी से बढ रही है। ऐसे में जल्द ही एक नया कीर्तिमान स्थापित होगा।
ये आकंडे आए सामने :- हाल ही में वन विभाग ने बाघों की आंतरिक गिनती की है। इसमें प्रदेश के टाइगर रिजर्व (Tiger reserve) में वर्ष 2018 की तुलना में औसतन 05 से 60 फीसद तक बाघों की बढोत्तरी हुई है। तथ्यों के अनुसार प्रदेश के पांच नेशनल पार्क, 24 अभयारण्य और 63 सामान्य वनमंडलों में दो साल में सौ से ज्यादा बाघ बढ़े हैं। इसके अलावा 45 से ज्यादा शावक हैं, जो अगले साल गिनती शुरू होने तक एक वर्ष की उम्र पार कर लेंगे और देश स्तर पर होने वाली गिनती में शामिल हो जाएंगे। इससे बाघों की संख्या 660 के आसपास होगी।
यहां हुए 5 से 13 :- बाघों का आकलन जो साल 2018 में किया गया था उसमें सीधी जिले के संजय दुबरी टाइगर रिजर्व में सिर्फ पांच बाघ ही काउंट किए गए थे लेकिन साल 2020 की आंतरिक गिनती में यहां 13 बाघों की मौजूदगी दर्ज की गई है। गौरतलब है कि यह गिनती उसी तकनीक से की जाती है, जो देशव्यापी आकलन में इस्तेमाल होती है।
ये है बढने का कारण :- विशेषज्ञों के मुताबिक प्रदेश के जंगल बाघों के लिए देशभर में सबसे उपयुक्त हैं। यहां पर्याप्त मात्रा में बाघों के लिए खाना और पानी है। सुरक्षा के भी पूरे इंतजाम हैं इसलिए यहां बाघ तेजी से बढ़ रहे हैं। पिछले एक दशक में Kanha, Panna,Pench, Satpura और Bandhavgarh टाइगर रिजर्व के कोर एरिया से सैकड़ों गांव विस्थापित किए गए हैं। ये क्षेत्र अब घास के मैदान में तब्दील हो गए हैं। जिससे चीतल, सांभर, नीलगाय, चौसिंघा की संख्या बढ़ी है और इन्हीं पर निर्भर बाघ भी बढ़े हैं।
मौतों से है चिंता :- मध्यप्रदेश और कर्नाटक में बाघों की संख्या में ज्यादा अंतर नहीं था। महज दो ही बाघ एमपी के पास ज्यादा थे। जहां साल 2018 में कर्नाटक में 524 बाघ थे वहीं मध्य प्रदेश में 526 बाघ गिने गए थे। ऐसे में वन विभाग को बहुत सावधानी बरतने की जरुरत है। क्योंकि बाघों की मौत भी एक चिंता का विषय बना हुई है।