उप वनमंडल अमरवाड़ा में अनियमित्ताओ की पराकाष्ठा …?

वन विभाग वैसे तो अवैध कटाई , तश्कारो से मिलीभगत कर वन्य प्राणियों के शिकार और भष्टाचार के मामलो में हमेशा से ही सुर्खियों में रहता आया है !परन्तु इस विभाग के अन्दरखाने की बाते अब बहर भी आने लगी है जैसा की बीते दिनों रंगीन मिजाज रेंजर सुरेन्द्र राजपूत द्वारा महिला सहकर्मी के साथ छेड़ छाड़ और लैंगिग प्रताड़ना के कारनामें सुर्खियों में रहे है ? तो वहीं उसी मिजाज के dfo अखील बंसल का संरक्षण देना ? अपने आप में दोनों कृत्य अच्छ्म्य अपराध की श्रेणी में आते है ! किसी भी  सभ्य समाज या धर्म में ऐसे अपराधो के लिए कठोर दण्ड वर्णित है ! हिन्दू धर्म में ऐसे अपराधी के लिए म्रत्यु दण्ड तो मुश्लिम सम्प्रदाय में पत्थरों से मारा मार कर म्रत्यु दण्ड की बात कही गई है ! वहीँ जैन सम्प्रदाय जो अहिंसा परमोधर्म के मूल मन्त्र पर चलता है उसमे भी ऐसे पापी का लिंग कर्तन कर देने की बात कही गई है …खैर !

हम बात कर रहे थे वन विभाग में होने बाले कारनामो की, तो यहाँ वाकई में जंगल राज है ! इस सर्कस का कहने को तो रिंग मास्टर Ccf और  Dfo होता है यह खुद तो शिकार नही कर पाते परन्तु वह भेडीया रूपी रेंजरो की कृपा दष्टि पर पालित पोषित होते है ? इसलिए अपने पालनकर्ताओं पर विभागीय कार्यवाही या दण्ड निरुपित करने की हिम्मत नही कर पाता है ?

वन विभाग में नियमों की अनदेखी किया जाना चलन में है ! अमरवाड़ा उप वनमंडल कार्यालय में फील्ड के एक कर्मचारी को 15 वर्षों से कार्यालय का मुखिया बनाकर भ्रष्टाचार के दस्तावेजों पर ईमानदारी की मुहर लगाकर इस भ्रष्टाचार को व्यवस्थित रूप देने का काम वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत एवं उच्च संरक्षण के बिना संभव नहीं है वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के संरक्षण के चलते एक वनपाल लंबे समय से विभाग के अंदर ऐसे कार्यों को अंजाम दे रहा है जिन कार्यों के लिए ना तो शासन ने उसे अधिकृत किया है और ना ही उसकी नियुक्ति में उल्लिखित सेवा शर्तें अधिनियम भी इस बात की इजाजत नहीं देते हैं कि वह अपनी नियुक्ति के विरुद्ध किसी स्थान पर कब्जा जमा कर नियम और कानूनों को ताक पर रखकर उप वन मंडल कार्यालय में अपना एक छत्र साम्राज्य कायम कर ले यह प्रकरण वन विभाग में बैठे उच्च अधिकारियों की निष्क्रिय कार्यप्रणाली का ऐसा जीता जागता उदाहरण है जो इन वरिष्ठ अधिकारियों की ना काबिलियत को दर्शाता है वहीं इस बात की पुष्टि भी करता है कि ….सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का ! इसके सैयां जो कहने को तो अधिकारी है परन्तु वास्तब में पूरे उप वनमंडल की रेंजों में वास्तविक रेंजारी तो यही महोदय करते है इनके कारनामे भी कम दिलचस्प नही है अधिनस्थ  स्टाफ इनकी बेजा हरकतों से परेशन है …………..इनकी कहानी अगले अंक में