आर्थिक रूप से सशक्त हुई हैं जनजातीय महिलायें….

वनोपज से उत्पाद तैयार कर तामिया की जनजातीय महिलायें बन रही हैं आत्मनिर्भर , बेकरी का संचालन भी ….छिंदवाडा जिले के आदिवासी विकासखण्ड तामिया की जनजातीय महिलायें वनोपज से उत्पादन तैयार कर आत्मनिर्भर बन रही हैं। इन महिलाओं को नाबार्ड के आजीविका उद्यम विकास कार्यक्रम द्वारा बेकरी का प्रशिक्षण प्राप्त हुआ जिससे वह आज स्वयं बेकरी ईकाई का संचालन भी कर रही हैं। महिलाएं बेकरी उत्पादों के साथ ही वनोपज उत्पादों का विक्रय कर आर्थिक रूप से सशक्त हुई हैं….

राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा स्थापित फलम संपदा प्रोड्यूसर्स कंपनी इस बेकरी के उत्पादों को बाज़ार तक पहुंचाने का कार्य कर रही है । फलम संपदा द्वारा इस समय बाजार में लगभग 15 प्रकार के उत्पाद बेचे जा रहे हैं जिनमें  शहद, जामुन सिरका, आंवला पाउडर, त्रिफला चूर्ण, जामुन पाउडर, कोदो, कुटकी, सवा, महुआ बिस्कुट, मक्का बिस्कुट, कुटकी बिस्कुट, मक्का टोस्ट, मक्का का आटा, मिश्रित अनाज का आटा और इमली शामिल हैं। इन उत्पादों को ग्रामीण मार्ट और महिलाओं द्वारा संचालित बेकरी के माध्यम से विक्रय किया जा रहा है। इनके द्वारा तैयार उत्पाद आस-पास के जिलों और विदेशों में भी भेजे जा रहे हैं। पिछले 2 वर्षों में फलम संपदा द्वारा लगभग 16 लाख रुपये की बिक्री दर्ज की गई है।
नाबार्ड की जिला विकास अधिकारी श्रीमती श्वेता सिंह ने बताया कि फलम संपदा की स्थापना जनवरी 2014 में हुई है। फलम संपदा की स्थापना का मुख्य उद्देश्य आदिवासी महिलाओं को वन उत्पादों से मूल्य एकत्र करके और उन्हें बढ़ावा देकर रोजगार प्रदान करना है। वर्तमान में कंपनी के 600 सदस्य हैं, जिनमें 570 महिलाएं व 30 पुरुष हैं और सभी सदस्य आदिवासी परिवारों से हैं। व्यवसाय की शुरुआत के बारे में जानकारी देते हुये उन्होंने बताया कि फलम संपदा ने 2014 में मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा जिले के तामिया विकासखंड में एक आउटलेट के माध्यम से 11 सदस्यों के साथ एक छोटे व्यवसाय के रूप में शुरुआत की। प्रारंभ में प्रसंस्करण, पैकेजिंग और विपणन को प्राथमिकता दी गई। जब अंतिम उत्पाद बनाया और बाजार में बेचा गया, तो एक सुखद एवं प्रोत्साहित करने वाले परिणाम देखने को मिले। पहले वन विभाग से उतनी ही मात्रा के कच्चे माल के लिए 25 रुपये मिलते थे, अब मूल्यवर्धन के बाद उत्पाद की समान मात्रा के लिए 200 रुपये मिलते हैं। यह कंपनी के लिए मील का पत्थर साबित हुआ जिससे सदस्यों का विश्वास बढ़ा। उन्हें रोजगार के साथ-साथ उनके उत्पादों की अच्छी कीमत भी मिली। प्रारंभ में शहद, त्रिफला चूर्ण, आंवला चूर्ण, बेरी सिरका, समूह द्वारा निर्मित उत्पाद और खेतों से कोदो, कुटकी, सवा, बल्हार आदि जैविक अनाज जैसे उत्पाद बेचे गए जिन्हें बाजार से अच्छी प्रतिक्रिया मिली।
वर्ष 2018 में नाबार्ड भोपाल को फलम संपदा निर्माता कंपनी से ग्रामीण मार्ट स्थापित करने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ तो इस प्रस्ताव को शीघ्र ही स्वीकृति प्रदान कर दी गई। इसमें छिंदवाड़ा मुख्यालय में 2 वर्ष की अवधि के लिए दुकान (मार्ट) की स्थापना के लिए अनुदान भी मिला । मार्च 2018 में फलम संपदा निर्माता कंपनी ने छिंदवाड़ा शहर के सबसे व्यस्त क्षेत्र नया बस स्टैंड पर एक दुकान (मार्ट) शुरू की। इस दुकान का मुख्य उद्देश्य फलम सम्पदा निर्माता कंपनी की महिलाओं द्वारा उत्पादित सामानों का विपणन करना और इन उत्पादों को बाजार में स्थापित करना है। इसके लिए रणनीति बनाई गई । पैम्फलेट के माध्यम से जिले के सभी आवासीय क्षेत्रों एवं कार्यालयों में उत्पादों की रेंज का प्रचार-प्रसार किया गया। यह करीब 5 हजार लोगों तक पहुंचा। क्रियान्वयन के दूसरे चरण में अन्य विपणन संस्थाओं से संपर्क किया गया। इसने कई बड़े दुकानदारों, थोक विक्रेताओं और स्टॉकिस्टों के साथ बातचीत करके उत्पादों की पहुंच बढ़ाई। इससे सरकार के कई कर्मचारी और बैंक कर्मचारी इन उत्पादों को नियमित रूप से लेने लगे। इस काम को और बढ़ावा देने के लिए डोर स्टेप डिलीवरी सर्विस की शुरुआत की गई। विपणन कार्य को और अधिक प्रसार देने के उद्देश्य से उत्पादों को अन्य राज्यों में भी भेजने के लिए ट्रायफेड से संपर्क किया गया। उनके कार्यालय में सभी उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। इसके बाद वर्ष 2019 में एक बड़ी सफलता मिली जिसमें फलम के उत्पादों को देश के कई राज्यों जैसे दिल्ली, हैदराबाद, ओडिशा, महाराष्ट्र आदि से ऑर्डर मिले। अगले चरण में मध्यप्रदेश पर्यटन बोर्ड के तामिया रिज़ॉर्ट शुरू हो गए हैं, जो फलम उत्पादों का एक केंद्र हैं।

होशंगाबाद के मटकुली में भी एक सेंटर शुरू किया गया है। वर्तमान में ग्रामीण मार्ट द्वारा फलम संपदा प्रोड्यूसर्स कंपनी का व्यवसाय दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। इस ग्रामीण मार्ट की औसत मासिक बिक्री 67 हजार रूपये है। पिछले 2 वर्षों में लगभग 16 लाख रुपये की बिक्री दर्ज की गई है। नाबार्ड प्रायोजित ग्रामीण मार्ट ने फलम संपदा निर्माता कंपनी के कारोबार में तेजी से वृध्दि की है। इससे क्षेत्र के किसानों को वनोपज का उचित मूल्य मिलने से लाभ हुआ है। साथ ही कई महिलाओं को उत्पादन के कार्य से जुड़कर रोजगार मिल रहा है। इन महिलाओं को बाद में बेकरी उत्पादन निर्माण का भी प्रशिक्षण दिया गया जिससे वे बेकरी का भी संचालन कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और सशक्त हो रही हैं। जनजातीय ग्रामीण क्षेत्र के लिए यह एक बड़ी सफलता है।