अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला , तीन पत्रकारों पर मामला दर्ज ..

प्रदेश का प्रशासनिक व्यवस्थाए लचर रसातल में पहुँच चुकी है ! जिम्मेदार अधिकारी व्यवस्थाओं मैं सुधार लाने की जगह, अभिव्यक्ति की आजादी पर कुठाराघात करने का प्रयास कर रहे हैं ! ऐसा ही एक तुगलकी फरमान भिंड जिले के कलेक्टर ने जारी किया ! जिसके चलते तीन पत्रकारों पर गंभीर धाराओं के तहत मामले दर्ज कर दिए गए ! क्या यह अघोषित आपातकाल की स्थिति है ,या फिर नौकरशाहो का मानसिक दीवालियापन ? यह तय करना है सरकारों को या फिर राजनेताओं को ? संवैधानिक लड़ाई तो प्रगतिशील और जागरूक लोग अदालतों में पहुँचकर लड़ ही लेंगे ! बिगड़ैल नौकरशाहों की मानसिकता से आम जनमानस को रूबरू करने में वक्त जरूर लगेगा परन्तु अब वक्त आ गया है , इन बिगड़ैल नौकरशाहों पर लगाम कसने का….राकेश प्रजापति 

प्रदेश के भिंड जिले में पत्रकारों ने स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलने की एक खबर दिखाई थी, इसको लेकर प्रशासन का तानाशाही रवैया सामने आया है। जिला कलेक्टर ने भिंड जिले के तीन पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है। इन तीनों पत्रकारों पर धारा 420, 505 और धारा 59, 2008 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

जिला प्रशासन की इस तानाशाही को लेकर मध्यप्रदेश के सभी पत्रकारों में आक्रोश  है।

मध्यप्रदेश के चंबल भिंड जिले में तीन दिन पहले एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक व्यक्ति अपने बीमार पिता को हाथ ठेले पर अस्पताल ले जा रहा था। जब इस बात की जानकारी स्थानीय पत्रकारों को लगी तो उस व्यक्ति ने उन्हें बताया कि एंबुलेंस लेने के लिए कई बार उसने कोशिश की, लेकिन इसके बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची। इसलिए उसने अपने बीमार पिता को एक ठेले पर ले जाने का फैसला किया।

स्थानीय पत्रकारों ने इस खबर को प्राथमिकता से दिखाया। उसके बाद सरकार से लेकर जिला प्रशासन तक इस खबर का असर देखने को मिला और जिला कलेक्टर सतीश कुमार ने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए। इसके साथ ही एक जांच दल का गठन कर दिया। जांच दल ने कलेक्टर को रिपोर्ट पेश की और कहा, यह खबर भ्रामक और झूठी है। परिवार ने एंबुलेंस के लिए कॉल करने का कोई प्रयास नहीं किया। उसके बाद कलेक्टर के निर्देश पर तीन पत्रकारों पर जालसाजी का आरोप लगाते हुए इन पर मामला दर्ज किया गया, जिन तीन पत्रकारों पर मामला दर्ज किया गया है उनमें News18, पत्रिका और News24 के संवाददाता शामिल हैं।

पत्रकारों के मुताबिक, एक व्यक्ति के अपने पिता को हाथ ठेले पर ले जाने का वीडियो वायरल हुआ था, उसके बाद वह उसके घर पहुंचे थे और पूरी मामले की पड़ताल की तो उसने पत्रकारों को बताया था कि कई बार उसने एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची और वह हाथ ठेले से अपने पिता को अस्पताल ले गया। इस पूरे मामले में परिवार जनों ने कैमरे पर बोला है कि उन्होंने एंबुलेंस को फोन किया था। लेकिन यह बात अब प्रशासन मानने को तैयार नहीं है।

पत्रकारों का आरोप है, प्रशासन ने परिवार पर दबाव डाला है और कहा है कि जो सरकार की तरफ से सुविधाएं मिल रही हैं उनको वापस ले लेंगे। इस कारण पूरा परिवार प्रशासन के दबाव में है। जिला कलेक्टर ने तानाशाही अपनाते हुए पत्रकारों के खिलाफ षड्यंत्र रच उनके खिलाफ मामला दर्ज करवाया है,  पत्रकारों के खिलाफ कार्यवाही की चिंगारी पूरे मध्यप्रदेश में फैलती जा रही है। मध्य प्रदेश के सभी पत्रकार एकजुट होने का मन बना रहे है और सरकार और प्रशासन के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन करने वाले हैं।  मिडिया रिपोर्ट