अभावों में पल रहे समाज के छात्रों के लिए प्रेरणादाई होगा ..

छिंदवाड़ा: किसी भी व्यक्ति के लिए इससे बड़ा सौभाग्य और क्या हो सकता है कि जिस गांव की मिट्टी में वह पला बढ़ा हो, उसी जगह पर उसके सृजन का दीदार समस्त ग्रामवासी करें। यही बात साकार हुई चांद कॉलेज में हिंदी के प्राध्यापक डॉ. राज कुमार पहाड़े के साथ। प्रो. पहाड़े ने अपनी पांच किताबों का एक साथ विमोचन अपने दादा स्व. श्री चोखेलाल जी पहाड़े की स्मृति में आयोजित संत रविदास मंदिर परिसर में श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन कथावाचक स्वामी श्री रसमयनंद जी महाराज, सन्यासी संस्कृत विद्यालय अलोपी काला प्रयाग उ. प्र. एवं साथी प्राध्यापकों के हस्ते ग्राम मानिया खापा में किया..

इस अवसर पर अपने उद्बोधन में स्वामी श्री रसमयनंद ने कहा कि श्री पहाड़े का लेखन ग्रामीण परिवेश में पले नई पीढ़ी के युवकों के लिए मार्गदर्शी मील का पत्थर साबित होगी। प्रो. अमर सिंह ने कहा कि श्री पहाड़े ने जो रचनात्मक कार्य किया है वह अभावों में पल रहे समाज के पिछड़े समुदाय के छात्रों के लिए प्रेरणादाई होगा। प्रो. पहाड़े की पुस्तकें दलित चेतना की प्रतिनिधि स्वर हैं। प्रो.विजय कलमधार ने श्री पहाड़े के रचना कौशल को दलित समाज की मुखर आवाज़ कहकर सराहना की और कहा कि प्रो. पहाड़े ने अपने पिछड़ेपन को सृजन की ताकत बनाया है।

विमोचित पुस्तकों में “दलित समाज: तब और अब”, “दलित साहित्यकारों का व्यक्तित्व और कृतित्व”, “दलित चेतना: एक विमर्श”, ” प्रेमचंद के उपन्यासों में नारी समस्याएं” और “रैदास के सपनों का समाज” प्रमुख हैं। इस अवसर पर प्रो. देवेंद्र पवार, प्रो. जितेंद्र झरबड़े, प्रो. जे. पी. साहू और प्रो. योगेश डोंगरे के साथ श्री ज्ञानी पहाड़े, शिवराम पहाड़े, रामभरोस पहाड़े व आकाश पहाड़े के साथ समस्त परिजन और ग्रामवासी भी प्रमुख रूप से उपस्थित थे।