अब सामूहिक सूर्य नमस्कार पर बबाल ..

स्वामी विवेकानंद को जयंती के अवसर पर प्रति वर्ष 12 जनवरी को स्कूल और कॉलेजों में होने वाले सूर्य नमस्कार को अब बबाल खड़ा हो रहा है ! उसकी मुख्य वजह कोरोना के बड़ते संक्रमण को लेकर सवाल खड़े किये जा रहे है ! कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ  और राज्यसभा सांसद विवेक तंखा कोरोना प्रोटोकाल  का हवाला देकर सामूहिक सूर्य नमस्कार कार्यक्रम को रद्द करने की मांग की है। 12 जनवरी को पूरे प्रदेश के स्कूल और कॉलेजों में सामूहिक सूर्य नमस्कार का आयोजन किया जाता रहा है। इसका उद्देश्य लोगों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए प्रेरित करना है और योग को जीवन में शामिल करने की प्रेरणा देना है। परन्तु विपक्ष इसमे राजनीती की गंध महसूस कर रहा है !

प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर का कहर जोर पकड़ चुका है ! संक्रमितो की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसीलिए सामूहिक सूर्य नमस्कार को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने एक बयान जारी करके कहा है कि एक तरफ तो सरकार कोरोना के एक्टिव केसों की संख्या को देखते हुए 23 दिसंबर को प्रदेश में निर्देश जारी कर प्रतिबंधों की घोषणा करती है।

वहीं दूसरी ओर खुद अपने बेतुके निर्णय करके कोरोना गाइडलाइन का मजाक उड़ा कर लोगों के साथ के साथ खिलवाड़ कर रही है। कमलनाथ ने यह भी कहा कि सूर्य नमस्कार को लेकर हमारा कोई विरोध नहीं बल्कि हम चाहते हैं कि कोरोना को देखते हुए बच्चे अपने घरों में सुरक्षित रह कर ही सूर्य नमस्कार करें, सार्वजनिक स्थलों और स्कूलों में यह भीड़ भरे आयोजन नहीं किए जाएं।

वहीं कांग्रेस सांसद विवेक तंखा ने भी कलेक्टर जबलपुर को ट्वीट करके लिखा है कि मुझे सूचना आ रही है कि 12 जनवरी को हजारों छात्रों को कोविड प्रोटोकाल में बिना किसी प्रोटोकॉल का पालन किए शासकीय आदेश के द्वारा तलब किया जा रहा है। इससे बच्चों के पालक बहुत चिंतित हैं। जो भी कुछ करना है, वर्चुअल कीजिए।

उन्होंने यह भी सवाल पूछा है कि क्या यह सीएम के आदेश और नाम पर हो रहा है! जब पूरे देश में मीटिंग ,रैली पर प्रतिबंध और वीकेंड कर्फ्यू लग रहे हैं और जबलपुर प्रशासन ऐसे में बच्चों की सेफ्टी से खिलवाड़ कर रहा है। यह बहुत लापरवाही वाला फैसला है।

वहीं दूसरी और प्राथमिक शालाओ में पड़ने बाले बच्चो को लेकर भी अभिभावक चिंतित है ! सरकार को तत्काल निर्णय लेकर प्राथमिक स्कूल की छुट्टी कर देनी चाहिए  क्योंकि स्कूल बाले फ़ीस के चक्कर में सरकारी आदेशो की अवहेलना कर 100 फीसदी बच्चो की उपस्थिति के साथ स्कूल लगा रहे है ! ऐसा नही है की इसकी जानकारी जिला प्रशासन के आलाधिकारियो को नही है ! परन्तु प्रशासनिक निकम्मेपन के चलते बच्चो की जान को लेकर अभिभावक चिंतित है !