अपराधियों के सामने बौनी पुलिस , असली अपराधियों की जगह निर्दोष काट आये सजा ..

मध्य प्रदेश वह जगह है जहाँ सब कुछ सम्भव है ! अगर आपके पास पैसा और षडयंत्रकारी दिमाग है तो आप किसी को भी चकमा आसानी से दे सकते है ! फिर पुलिस किस खेत की मूली है ! बीते दिनों एक ऐसे ही मामले का खुलासा हुआ ,जिसमे पुलिस की अकर्मण्यता , सेटिंग या षड्यंत्र के तहत अदालत से सजा होने के बाद अपराधियों की जगह निर्दोष लोगो को पुलिस ने जेल में डाल दिया ! इस घटना के बाद पूरे पुलिस महकमे में हडकंप मच गया है ! जबलपुर की ट्रेनी आईपीएस प्रियंका शुक्ला इस पूरे मामले की जांच कर रही हैं ! ” तो है न गजब का खेल “ अब तो आप कह ही सकते हैं कि यहां सब कुछ संभव है , यहाँ तो असली की जगह किराए के कैदी काट आते है सजा और अपराधी खुले आम पुलिस की नजरों के सामने आबारा सांडों की तरह पागौर करते नजर आ जायेंगे …. राकेश 

आप कह सकते हैं कि यहां कुछ भी संभव है। अगर ऐसा नहीं होता तो असली अपराधी खुले में नहीं घुम रहे होते और भाड़े के कैदी जेल में बंद नहीं होते। यह आश्चर्य की बात है। धोखाधड़ी की ऐसी घटनाएं MP के जबलपुर से सामने आई हैं।

दरअसल 10 साल पुराने एक मामले में जब अपराधियों के पास बचने का कोई रास्ता नहीं बचा तो उन्होंने अपनी जगह किराए के लोगों को कोर्ट में पेश कर दिया. अदालत ने उसे सजा सुनाई और पुलिस ने उसे पकड़कर जेल में डाल दिया और किसी को नहीं पता था कि जेल में बंद अपराधी असली नहीं, बल्कि नकली हैं।

जानकारों के मुताबिक़ यह पूरा मामला तब सामने आया जब कल बुधबार को एक व्यक्ति जबलपुर स्थित एसपी कार्यालय पहुंचा. उसने एसपी के सामने अपना बयान दिया. एसपी ने उनकी बात सुनी तो उनके होश उड़ गए। पुलिस महकमें में हड़कंप मच गया। हर कोई हैरान है कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है ?

एसपी के कार्यालय पहुंचने वाला व्यक्ति और कोई नही बल्कि कोमल प्रसाद पांडे  था ! उसने एस पी को बताया ने कि उन्होंने अपने पिता की जगह अपने एक परिचित को अदालत में पेश होने के लिए भेजा था. अदालत ने उसी दिन सजा सुनाई। बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 84 दिन जेल में रहने के बाद जबलपुर उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी, जिसके बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया।

कोर्ट ने 10 साल बाद फैसला सुनाया :- यह पूरा मामला मंडला जिले का सितंबर 2011 का है। सूत्रों के मुताबिक़ मंडला जिले के किसली वन विभाग के टोल ठेकेदार अमित खम्पारिया और अन्य के साथ समझौता हुआ ! जिसमे उस पर आरोप है कि यहां पर्यटकों से ज्यादा पैसा वसूल किया जाकर अतिरिक्त शुल्क बाद में मार्कर से हटा दिया गया था। यह जालसाजी ज्यादा दिनों तक नही चल सकी और मामले की जानकारी लगते ही आलोक खम्पारिया पर 6 सितंबर 2011 को खटिया थाने में धोखाधड़ी व जालसाजी समेत विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया था. बाद में इसे भोपाल से गिरफ्तार कर लाया गया ।

एटीएस ने 13 मार्च को गिरफ्तार किया था :- पुलिस ने मामले में अमित खम्पारिया और उसके पिता अनिरुद्ध सिंह चतुर्वेदी, रामजी द्विवेदी और रिश्तेदारों दशरथ प्रसाद तिवारी के साथ राजन, उमेश पांडे, अमित पांडे, श्रीकांत शुक्ला, शनि ठाकुर, अजय बाल्मीकि को आरोपित किया है। मामला नैनपुर कोर्ट में करीब 10 साल से चल रहा है। 22 सितंबर 2021 को कोर्ट ने इस संबंध में फैसला सुनाया। अदालत ने आरोपी को पांच साल कैद और जुर्माने की सजा सुनाई।

ज्ञात हो कि अमित खम्परिया ने अपने पिता अनिरुद्ध प्रसाद सिंह चतुर्वेदी समेत तीनों आरोपियों को बचाने की साजिश रची थी. कोर्ट में बाबा अनिरुद्ध की जगह कोमल प्रसाद पांडे, श्यामसुंदर खम्पारिया की जगह रामजी द्विवेदी और विराट तिवारी की जगह दशरथ प्रसाद तिवारी को पेश किया गया।

बताया जा रहा है कि अमित खंपरिया ने टैक्सी स्टैंड में विराट तिवारी को काम दिया था। वह फिलहाल शाहपुर टोल नाका में कार्यरत हैं। वहीं श्याम सुंदर खम्पारिया उनके रिश्तेदार हैं। उन्होंने कोमल प्रसाद पांडे को ब्राह्मण महासभा से जोड़ा। कथित तौर पर उसने अपने पिता के बजाय कोमल प्रसाद को धमकाया और उसे अदालत में पेश किया। यह बात कोमल प्रसाद पांडेय ने एसपी को दी अपनी अर्जी में कही।

पुलिस की गलती या साजिश :- तिकुरी उमरिया निवासी अनिरुद्ध प्रसाद सिंह चतुर्वेदी (70), सोनवारी मैहर सतना निवासी रामजी द्विवेदी (66) और तिकुरी उमम के दशरथ प्रसाद तिवारी (60) को 22 सितंबर को तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश डीआर अहिरवार की अदालत में पेश किया गया, 2021, अदालत के रिकॉर्ड के अनुसार।अदालत में पेश होने वाले आरोपियों में उमेश पांडे की मौत हो गई और 6 अन्य जो बच गए। सजा सुनाए जाने के बाद पुलिस ने तीनों को जेल भेज दिया। पुलिस ने तीनों को जेल भेजने से पहले किसी भी दस्तावेज की जांच नहीं की, जिसके परिणामस्वरूप असली दोषियों की जगह निर्दोष लोगों को जेल में डाल दिया गया।

जबलपुर के एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने कहा कि मामला गंभीर है. धोखाधड़ी या धमकी के आरोप में किसी को जेल भेजना गंभीर मामला है। ट्रेनी आईपीएस प्रियंका शुक्ला पूरे मामले की जांच कर रही हैं। इस मामले में मंडला पुलिस से भी चर्चा की जा रही है और वास्तविकता की पड़ताल के बाद यह केस क्या गुल खिलाता है या संदिग्ध , षड्यंत्रकारी पुलिसवालो की बत्ती गुल होती है ।