अपराधियों के सरकारी संरक्षण के चलते प्रदेश अपराधों का अभ्यारण बना…

अजजा वर्ग के खिलाफ अपराधों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि, मप्र देश में पहले नंबर पर…. ,  सरकार की अकर्मण्यता और अपराधियों को सरकारी संरक्षण दिये जाने के कारण प्रदेश अपराध का अभ्यारण बना…प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने प्रदेश की कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर और प्रामाणिक सवाल उठाये। उन्होंने कहा कि इस विषयक सरकार कुंभकर्णी नींद सोयी हुई है, उसकी अकर्मण्यता और सरकार में बैठे मंत्रियों, विधायकों और भाजपा नेताओं के सरकारी संरक्षण के कारण प्रदेश अपराध का अभ्यारण बन चुका है। यही स्थिति जारी रही तो आने वाला समय और भी भयावह होगा….

उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में कुछ दिनों पूर्व प्रारंभ की गई पुलिस-कमिश्नरी प्रणाली जैसी सराहनीय व्यवस्था के बावजूद भी इंदौर और भोपाल जैसे महानगर की शक्ल अख्तियार कर चुके शहरों में भी अपराधों पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। जिसका कारण भी सरकारी हस्तक्षेप ही है।

जिसमें सख्त और ईमानदार पुलिस अफसर चाहकर भी अपराधियों पर नकेल नहीं कस पा रहे हैं! 

मिश्रा ने कहा कि इसे इस प्रदेश का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि सारे मंत्रालयों पर मुख्यमंत्री का नियंत्रण है, इसीलिए मप्र के गृहमंत्री सनी लियोनि, श्वेता तिवारी, सब्यसाची और नेटफ्लिक्स में व्यस्त रहते हैं। लिहाजा, असरकारक कार्यवाही दिखायी नहीं दे रही है। गृहमंत्री तो अपने मंत्रालय से इतर संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव बन गये हैं, जो अपने अधिनस्थ महकमें और प्रदेश की निरंतर ध्वस्त होती जा रही कानून व्यवस्था से परे यूक्रेन, अमेरिका, रूस, कश्मीर, चाईना और अफगानिस्तान के मसलों पर प्रातःकालीन बेला में अपने कर्तव्य का परायण कर रहे हैं, यहां तक कि वे अपराधियों के खिलाफ न्यायालयीन फैसला आने के पूर्व ही समानांतर न्याय-व्यवस्था चलाकर उन्हें स्वयं रिहा कर क्लीनचिट भी दे रहे हैं, यही कारण है कि प्रदेश में चोरी, डकैती, अपहरण, गैंगवार, हत्याएंे, महिलाओं, युवतियों और नाबालिग बच्चियों के साथ बलात्कार, बलात्कार के बाद उनकी निर्मम हत्या जैसी जघन्य घटनाओं के साथ सट्टा, जुआ और अवैध मादक पदार्थो का धंधा फल-फूल रहा है! अधिकांश अपराधों में अपराधियों के बतौर सरकार द्वारा पुष्पित-पल्लवित भगवा बिग्रेड के चेहरे ही सामने आ रहे हैं?

 

मिश्रा ने कहा कि नेशनल क्राईम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) 2020 के अनुसार कानून-व्यवस्था के मामले में मप्र की शर्मनाक तस्वीर सामने आयी है। एनसीआरबी की रिपोर्ट 2020 के अनुसार आईपीसी और एसएसएल के कुल 4 लाख 28 हजार 046 अपराध मप्र में हुये है। धारा-302 एवं 304-ए के तहत 14 हजार 465 हत्याएंे मप्र में हुई हैं। अनुसूचित जनजाति वर्ग के खिलाफ प्रदेश में अपराध लगातार बढ़े हैं। वर्ष 2020 की बात करें तो प्रदेश में 9 हजार 664 उत्पीड़न के मामले रजिस्टर्ड हुये थे जो 2021 में बढ़कर 10 हजार 81 हो गये।
मिश्रा ने कहा कि पुलिस मुख्यालय की अजाक शाखा ने प्रदेश भर में 906 हाटस्पार्ट चिन्हित किये हैं, जहां दलित उत्पीड़न अत्याधिक हैं, किंतु टंट्या मामा के अवतार श्री शिवराजसिंह चौहान की सरकार सामाजिक समरसता की दिशा में पूरी तरह विफल साबित हुई हैं। नेमावर, नीमच, खंडवा और सिवनी आदि में हुई अमानवीय घटनाएं मप्र में आदिवासी उत्पीड़न की वास्तविकता को बयां कर रही है।

 

मिश्रा ने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2021 में कुल 10 हजार 648 महिलाएं और बच्चों की गुमशुदगी दर्ज की गई थी, जिसमें अधिकांश बच्चे 10-12 वर्ष की आयु के थे। इनमें से 8 हजार 876 लड़कियां और 1 हजार 772 लड़के हैं। एनजीओ चाईल्ड राईट्स एंड यू (क्राई) की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2021 में मप्र के 52 जिलों से औसतन 29 बच्चे, 24 लड़कियां और 5 लड़के प्रतिदिन लापता हुये हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार ही मप्र बाल अपराधों व मासूमों के साथ दुष्कर्म में भी देश में अव्वल है। आंकड़ों के मुताबिक बच्चों की दृष्टि से मप्र सबसे असुरक्षित राज्य माना गया है। यही नहीं आंकड़ों के ही मुताबिक यहां प्रतिदिन 46 बच्चे हत्या, दुष्कर्म और अपहरण जैसे गंभीर अपराधों के शिकार हुये हैं, प्रतिदिन करीब 6 मासूम बेटियां उनके मामा शिवराजसिंह चौहान अपनी भांजियां सबोधित करते हैं, दुष्कर्म की शिकार हुई हैं। प्रदेश में बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध की दर 59.1 प्रतिशत है।

 

कांग्रेस पार्टी मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से मांग करती है कि वे अपने कथित कुप्रचार और सुशासन को लेकर श्वेत-पत्र जारी करें, ताकि प्रदेश की जनता हकीकत से रूबरू हो सके।