मात्र 21 साल की न्यूज एंकर व रेडियो जॉकी बनी सरपंच ..

प्रदेश में पंचायतो में प्रथम चरण के निर्वाचन में जो परिणाम आये है उनमे मतदाताओं ने युवाओं को प्राथमिकता के साथ चुना है ! बड़ी संख्या में महिलाए चुन कर आई है ! उज्जैन जिले की एक ग्राम पंचायत में मतदाताओं ने इस बार युवा महिला सरपंच को प्राथमिकता के साथ चुना है । मात्र 21 साल की लक्षिका डागर सबसे कम उम्र की सरपंच बनी है। जिले की चिंतामन जवासिया ग्राम पंचायत में वह सरपंच चुनी गई है। सबसे कम उम्र की सरपंच बनने पर गांव में खुशी भी मनाई गई….

ज्ञात हो कि उज्जैन शहर से करीब दस किमी दूर चिंतामन जवासिया ग्राम पंचायत है। शनिवार को हुए चुनाव में यहां लक्षिका डागर को सरपंच चुना गया। इस ग्राम पंचायत की कुल आबादी 3265 है।

पंचायत चुनाव के लिए हुए आरक्षण में यहां एससी महिला के लिए सरपंच पद आरक्षित हुआ था।गांव से अजा वर्ग की करीब आठ महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में थी।

इनमें सबसे कम उम्र की लक्षिका ही थी। कल देर रात को आए परिणाम के बाद लक्षिका को 487 मतों से विजयी घोषित किया गया तो गांव में जश्न का माहौल बन गया।

नवनिर्वाचित सरपंच लक्षिका के पिता दिलीप डागर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक भरतपुरी में रीजनल अधिकारी के पद पर हैं। माता, पिता, बड़े भाई और बहन ने भी लक्षिका को चुनाव के लिए सहयोग किया। लक्षिका पढ़ाई के साथ ही उज्जैन लोकल में न्यूज एंकर और रेडियो जॉकी की भूमिका भी निभाती हैं। मास कम्यूनिकेशन में एमए किया है। फैशन डिजाइनिंग कर रही है। गांव के लोगों का भी मानना है कि लंबे समय बाद युवा और उच्च शिक्षित महिला सरपंच गांव को मिला है। जीत के बाद लक्षिका का विजयी जुलूस भी गांव में निकला। इस दौरान ग्रामीणों ने ढोल ढमाकों के साथ गांव की बेटी का स्वागत किया।

 

नवनिर्वाचित सरपंच लक्षिका डागर ने बताया कि गांव के विकास के लिए कार्य करना था। जब सरपंच के लिए पंचायत में अजा वर्ग की महिला के लिए आरक्षण हुआ, तभी लक्ष्य बना लिया था कि चुनाव लड़कर गांव की समस्या दूर करना है।नामांकन भरने के साथ ही गांव के विकास को लेकर लक्ष्य तय किया था। घोषणा पत्र में वायदा किया है कि गांव में पेयजल, नाली, स्ट्रीट लाईट की समस्या हल करना है। साथ ही गांव के आवासविहीन परिवारों के लिए आवास योजना का लाभ दिलाने का वादा पूरा करेंगी। इसके साथ ही गांव के पंचायत कार्यालय में ग्रामीणों की समस्या सुनने के लिए उपलब्ध रहेंगी। जिससे ग्रामीणों की समस्या का निराकरण हो सके।

 

महिला सशक्तिकरण का ये बेजोड़ उदाहरण प्रस्तुत करता है की पड़े लिखे बच्चे बच्चियां ब राजनीती में आ कर देश व समाज के लिए काम करेंगे ! यह राजनीती के लिए शुभ संकेत है ! वही दूसरी और क्षेत्र के वर्षों से सक्रिय वरिष्ठ नेताओं को भी इन बच्चो का मुक्त ह्रदय से राजनीती में स्वागत करना चाहिए ! तभी क्षेत्र की फिजां खुशियों से महकती रहेगी, विकास की फसले क्षेत्र में लहलहाएगी , लोगों के चेहरों पर आर्थिक संपन्नता की चमक से क्षेत्र आलोकित होगा  ….श्याम भरावा की रिपोर्ट