के लिए प्रेरित किया जा रहा है ! यदि उसके साथ कोई अप्रिय घटना घटित होती है तो इसकी जवाबदारी डीएफओ अखिल बंसल मुख्य वन संरक्षक कोरी अनुसूचित जाति जनजाति थाना प्रभारी रश्मि जैन और विभागीय जांच समिति के सदस्यों की होगी !
यहां उल्लेखनीय है कि घटना घटित होने के बाद भी कोई भी आशा जनक कार्यवाही पीड़िता की पक्ष में नहीं की गई और उसे बार-बार बयान देने के लिए उपस्थित होने और पीड़िता की व्यक्तिगत जानकारी अनावश्यक रूप से मांग कर प्रकरण में उसका उल्लेख नियम विरुद्ध तरीके से करने से व्यथित होकर पीड़िता द्वारा संबंधित ओं की शिकायत की गई ! आरोपी रेंजर सुरेंद्र सिंह राजपूत के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की गई प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए 27 सितंबर 2020 को अनुसूचित जाति जनजाति आयोग ने तत्काल संज्ञान लेते हुए मध्य प्रदेश शासन के पुलिस महानिदेशक पुलिस अधीक्षक छिंदवाड़ा तथा कलेक्टर छिंदवाड़ा को प्रकरण में निष्पक्ष जांच कर आरोपी रेंजर सुरेंद्र सिंह राजपूत के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही करने तथा की गई कार्यवाही से आयोग को सात दिवस के भीतर अवगत कराने का पत्र जारी किया है !
साथ ही इस बात पर नाराजगी व्यक्त की है कि पीड़िता अनुसूचित जाति जनजाति सदस्य है और उसके प्रकरण में संबंधित एजेंसियों द्वारा अन्याय किया जा रहा है और वरिष्ठ अधिकारियों को इस बात की सूचना होने पर भी इस प्रकरण में वह संवेदनशील नही है बल्कि अधिकारियों की असंवेदनशीलता से आदिवासी पीड़िता को कोई शारीरिक क्षति होती है तो आक्रोश की स्थिति उत्पन्न होगी और इसकी जवाबदारी प्रशासन की होगी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के जिले में जब एक आदिवासी पीड़िता को न्याय के लिए दर-दर भटकने की नौबत आ गई ऐसी स्थिति में न्याय की उम्मीद आखिर नागरिक किससे करें यह प्रकरण छिंदवाड़ा जिले की प्रशासनिक व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाता है !
क्योंकि वन विभाग के गैर जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारी डीएफओ अखिल बंसल मुख्य वन संरक्षक कोरी को इस प्रकरण की प्रत्येक जानकारी से पीड़िता ने बार-बार अवगत कराया था तथा डीएफओ अखिल बंसल को यह भी कहा था कि यदि उसे न्याय नहीं मिलेगा तो वह डीएफओ कार्यालय के सामने अपने बच्चों सहित आकर न्याय की गुहार लगाने बैठ जाएगी परंतु गैर जिम्मेदार डीएफओ अखिल बंसल को पीड़ित आदिवासी महिला कर्मचारी पर जरा भी तरस नहीं आया और मुख्य वन संरक्षक कोरी पूरे प्रकरण की जानकारी लेने के बाद भी आरोपी रेंजर के विरुद्ध किसी भी प्रकार की विभागीय कार्रवाई करने से अभी तक बचते रहे हैं और उन्होंने आरोपी रेंजर को अभय दान देने के लिए 15 दिन का अवकाश भी तत्काल प्रभाव से स्वीकृत कर दिया था जिसकी अवधि कल समाप्त हो रही है जाहिर है इस मामले में वन विभाग रंगीन मिजाज रेंजर को अभय दान देने की मशक्कत में लगा हुआ है आदिवासी पीड़ित महिला कर्मचारी के साथ हुए अन्याय की गूंज मध्य प्रदेश शासन के वन मंत्री मुख्यमंत्री सहित वन विभाग के आला अधिकारियों के कानों तक पहुंची है देखना यह है कि वन विभाग आरोपी रेंजर के विरुद्ध क्या कार्रवाई करता है वही अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के द्वारा प्रकट की गई नाराजगी एवं जारी किए गए पत्र पर प्रशासनिक अधिकारी एवं जांच एजेंसियां क्या कार्यवाही करती हैं यह देखना बाकी है! साभार : सोशलिस्ट एक्सप्रेस